सोशल मीडिया से Discord तक... नेपाल का Gen Z आंदोलन कैसे अराजकता में बदला?

नेपाल में शुरू हुआ Gen Z द्वारा चलाया गया आंदोलन सोशल मीडिया से लेकर Discord तक फैल गया. शांति का संदेश देने वाला यह आंदोलन जल्द ही हिंसा, आगजनी और अराजकता में तब्दील हो गया. Discord के कंट्रोल रूम से चले संदेशों ने पूरे नेपाल में कोहराम मचा दिया. जानिए कैसे यह आंदोलन उग्रता और विध्वंस में बदल गया...

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Discord पर भड़काऊ संदेशों से नेपाल में हिंसा भड़क उठी. Discord पर भड़काऊ संदेशों से नेपाल में हिंसा भड़क उठी.

आकाश शर्मा / शुभम तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:03 AM IST

नेपाल में शुरू हुआ भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन अब पूरी तरह हिंसा और अराजकता में बदल चुका है. सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के खिलाफ शांतिपूर्ण शुरुआत करने वाला यह आंदोलन Discord नामक प्लेटफॉर्म पर कंट्रोल और कोऑर्डिनेशन का सेंटर बन गया. ‘हामी नेपाल’ नामक समूह ने अपने Discord सर्वर को एक कंट्रोल रूम की तरह इस्तेमाल किया, जहां से सैकड़ों युवाओं ने आक्रामक संदेश शेयर किए.

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'मुझे मशीन गन चाहिए.' 'गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के घर बोतल बम फेंको.' 'हर मरे हुए प्रदर्शनकारी के लिए नेता की जान लो.' इस तरह के भड़काऊ मैसेज ‘हामी नेपाल’ के Discord ग्रुप में शेयर किए जा रहे थे. ये मैसेज इतनी तेजी से वायरल हुए कि अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उनका व्यापक प्रसार हुआ.

सोमवार को प्रदर्शनकारियों की गोलीबारी में 20 से ज्यादा युवाओं की मौत के बाद 'Youths Against Corruption' नाम के Discord सर्वर पर आक्रोश की लहर दौड़ गई. अनमॉडरेटेड चैट ग्रुप में किसी को रोक-टोक नहीं थी, इसलिए हर कोई अपनी मन की बात बेधड़क पोस्ट कर रहा था. नेताओं, उनके बच्चों, सशस्त्र बलों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ हिंसा की धमकियां लगातार सामने आ रही थीं.

हालांकि 'हामी नेपाल' ने मंगलवार को विरोध जारी रखने और स्कूल-कॉलेज बंद रखने की घोषणा की, लेकिन स्थिति तेजी से हिंसक हो गई. इंस्टाग्राम पर भी हजारों यूजर्स ने गृह जिला अधिकारी छबी रिजाल की बेटी को अमेरिका में मारने की धमकी दी और उसका पता शेयर किया. 'नेताओं के बच्चों को मार डालो' जैसे मैसेज कम नहीं हुए.

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इधर, ग्राउंड पर प्रदर्शनकारी संसद भवन, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के निजी आवास और कई मंत्रियों के घरों में आग लगा चुके थे. कुछ Discord यूजर्स ने अगला टारगेट रामेश्वर यादव (मंत्री) और कैलाश सिरोहिया (कांतिपुर ग्रुप के चेयरमैन) बताया. इसके कुछ ही घंटे बाद कांतिपुर TV दफ्तर में आग लगा दी गई. एक अफवाह के चलते काठमांडू एयरपोर्ट भी हमले के लिए सुझाया गया था ताकि पीएम ओली देश छोड़ ना सकें.

जैसे-जैसे हिंसा बढ़ती गई, कई यूजर्स शांति की अपील करने लगे. 'यह क्रांति नहीं पागलपन बन गई है… रुक जाओ!' जैसे मैसेज भी Discord में वायरल होने लगे. लेकिन तीन घंटे बाद जाकर विरोध समाप्त करने की घोषणा की गई, जबकि तब तक कई सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंच चुका था. कई प्रदर्शनकारी मानने लगे कि यह आंदोलन कुछ स्वार्थी तत्वों के हाथों तक पहुंच गया है.

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि बिना नेतृत्व का आंदोलन किस हद तक बिगड़ सकता है. दरअसल, Discord को गेमर्स के लिए बनाया गया था. पहली बार इतने बड़े स्तर पर राजनीतिक आंदोलन के कोऑर्डिनेशन के लिए उपयोग किया गया. इसमें 'Youths Against Corruption' ने अलग-अलग चैनल बनाए. जैसे अपडेट, इमरजेंसी हेल्पलाइन, फैक्ट-चेक, जनरल डिस्कशन आदि. लेकिन अनकंट्रोल माहौल ने आंदोलन को अराजकता में बदल दिया.

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Discord एक अनूठा प्लेटफॉर्म है, जो वॉइस, वीडियो और टेक्स्ट चैट को एक साथ मिलाता है और कम्युनिटी बनाने की सुविधा देता है. मूल रूप से गेमर्स के लिए डिज़ाइन किया गया यह प्लेटफॉर्म उपयोगकर्ताओं को कस्टमाइजेबल सर्वर बनाने और प्रबंधित करने की सुविधा देता है, जहां सदस्य व्यवस्थित टेक्स्ट और वॉइस चैनलों में बातचीत कर सकते हैं. Discord अपनी उपयोग में आसानी, रियल-टाइम कम्युनिकेशन फीचर्स जैसे स्क्रीन शेयरिंग और स्ट्रीमिंग और मॉडरेशन टूल्स के लिए विशेष रूप से जाना जाता है.

 

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