अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो गया है. अब अमेरिका का राष्ट्रपति चुनने के लिए होने वाले मतदान में एक हफ्ते से भी कम का वक्त बचा हुआ है. इस बार राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट के बीच कड़ी टक्कर है. रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मैदान में हैं तो अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उम्मीदवार हैं. दोनों उम्मीदवार देशभर में घूम-घूमकर रैली कर रहे हैं. चुनावी कैंपने के बीच अमेरिका में कुछ ऐसा हो रहा है, जो सभी को हैरान कर रहा है. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप को मुस्लिम नेताओं का समर्थन मिल रहा है. मिशिगन में भी उन्हें समर्थन देने वाले मुस्लिम लीडर्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है.
मुस्लिम विरोधी माने जाने के बाद भी ट्रंप को क्यों मिल रहा मुसलमानों का समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पुराने बयान और नीतियों को हमेशा मुस्लिम समुदाय विरोधी माना जाता रहा है. मुस्लिम कम्यूनिटी के लिए उनके कई बयानों की आलोचना भी हो चुकी है. ऐसे में मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं की तरफ से उन्हें समर्थन मिलना बहुत बड़ा बदलाव माना जा रहा है. माना जा रहा है कि इसके पीछे दो वजहें हो सकती हैं. पहली वजह मुस्लिम मतदाताओं का बाइडेन प्रशासन की विदेश नीति विशेषकर गाजा के मुद्दे पर उनके स्टैंड से मोहभंग होना हो सकता है. वहीं, दूसरा वजह ट्रंप का रुख जो रूढ़िवादी मुस्लिम नेताओं के मूल्यों को सपोर्ट कर सकता है. ट्रंप के मिडिल ईस्ट में शांति लाने के वादे को लेकर भी कई मुस्लिम नेता भी उनका समर्थन कर रहे हैं.
बाइडेन प्रशासन की विदेश नीति से मोहभंग भी है वजह
गाजा में हमास और इजराइल के बीच संघर्ष अभी भी जारी है. इस दौरान बाइडेन सरकार ने इजराइल का मजबूती से समर्थन किया है. यही वजह है कि मुस्लिम वोटर्स, खासतौर पर अरब और फिलिस्तीनी मूल के लोग उनसे खासे नाराज हैं. उनके मुताबिक बाइडेन प्रशासन ने फिलीस्तीनियों के मानवीय संकट की अनदेखी की है. वहीं, दूसरी तरफ मौके का फायदा उठाते हुए ट्रंप ने अपनी रैलियों के माध्यम से मिडिल ईस्ट में युद्ध को खत्म करवा कर शांति लाने का वादा किया है.
मुस्लिम मतदाताओं को लुभा रहे हैं ट्रंप के वादे
मुस्लिम नेता इमाम बेलाल अलजुहैरी ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक रैली में उन्हें 'पीस कैंडिडेट' के तौर पर संबोधित किया है और युद्धों को समाप्त करने को लेकर ट्रंप की प्रतिबद्धता को सराहा है. ट्रंप की तरफ से किए गए ये वादे उन मतदाताओं को अपनी तरफ खींच रहे हैं, जो अपने देश में लंबे समय चल रहे संघर्ष से बुरी तरह थक चुके हैं.
ट्रंप का रूढ़िवादी रुख भी मुस्लिमों को कर रहा प्रभावित
सामाजिक मुद्दों पर ट्रंप के रूढ़िवादी रुख ने भी मिशिगन के कई मुसलमानों को प्रभावित किया है. हैमट्रैक के मेयर आमेर गालिब ने सार्वजनिक स्कूलों में LGBTQ सामग्री को शामिल करने जैसी प्रगतिशील सामाजिक नीतियों का विरोध किया है. वह इन चीजों को अपने समुदाय के विपरीत मानते हैं. पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों के साथ ट्रंप का जुड़ाव और रूढ़िवादी मान्यताओं की रक्षा करने का वादा गालिब और उनके जैसे अन्य लोगों को आकर्षित कर रहा है.
मुस्लिम बहुल देशों के साथ पिछले कार्यकाल में ट्रंप के कूटनीटिक रिश्ते
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ने अपने पहले कार्यकाल में सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित मुस्लिम बहुल देशों के साथ बेहद महत्वपूर्ण कूटनीतिक रिश्ते कायम किए थे. ऐसे में मदाताओं को ये लगने लगा है कि ट्रंप अपने पिछले मुस्लिम विरोधी बयानों के बावजूद मिडिल ईस्ट में स्थिरता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं.
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