'तीन गुना ज्यादा खर्च किया फिर भी...', कनाडा की PEI संसद में भारतीय छात्रों ने बयां किया दर्द

यह भाषण ऐसे समय में आया है जब भारतीय छात्र प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में 25% आव्रजन कटौती के खिलाफ दिन-रात विरोध कर रहे हैं. अप्रवासी कह रहे हैं कि आवास संकट प्रांतीय सरकार की इस असमर्थता का परिणाम है कि वह यह नहीं देख पा रही है कि वह कितना समायोजन कर सकती है.

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कनाडा के PEI प्रांत की संसद में पहुंचे दो भारतीय छात्र कनाडा के PEI प्रांत की संसद में पहुंचे दो भारतीय छात्र

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST

कनाडा के सबसे छोटे प्रांत प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (पीईआई) ने कुछ दिनों पहले ही आव्रजन परमिट में 25% की कटौती की घोषणा की. इसके बाद भारतीय छात्रों को निर्वासित किए जाने का खतरा है और सैकड़ों भारतीय छात्र पांच दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं. छात्रों का कहना है कि कनाडाई प्रांत द्वारा आव्रजन नीति में अचानक किए गए बदलावों ने उन्हें अनिश्चित भविष्य में छोड़ दिया है. प्रदर्शनकारी भारतीय छात्रों में से दो ने प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (पीईआई) की संसद में भी इस बारे में बात की कि आव्रजन कटौती की नीति क्यों अन्यायपूर्ण है.

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संसद में रूपिंदरपाल सिंह ने कहा कि उन्होंने यहां अपनी शिक्षा पर कनाडा के छात्रों की तुलना में तीन गुना अधिक खर्च किया है, और फिर भी उन्हें एक अप्रवासी के रूप में कष्ट सहना पड़ रहा है. उन्होंने ओंटारियो में अपनी शिक्षा और कनाडा में टैक्सेशन, दोनों पर अतिरिक्त पैसा खर्च किया. 

कनाडाई समाचार पोर्टल ट्रू नॉर्थ के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इससे उन्हें एक कनाडाई नागरिक के रूप में समान अधिकार सुनिश्चित होने चाहिए थे.

रूपिंदरपाल सिंह ने पूछा, "और मेरे दोस्त जो यहां काम करते हैं, उन्होंने उसी कोर्स के लिए 2500 डॉलर का भुगतान किया. दो सेमेस्टर के लिए. यह कितना सही है सर? मैं यहीं से आया हूं. मैंने इसके लिए ज्यादा खर्च किया है. यह कैसे सही है. कुल मिलाकर, मैंने अपनी ट्यूशन के लिए लगभग 30,000 डॉलर का भुगतान किया. वहीं इसी के लिए कनाडा में जन्मे और पले-बढ़े लड़कों ने लगभग 10,000 डॉलर की पेमेंट की. मैंने 20,000 डॉलर ज्यादा खर्ज किए और फिर भी हम कष्ट में हैं. यह कितना अनुचित है?"

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रूपिंदर और जसप्रीत सिंह प्रांतीय सरकार से अनुरोध करने के बाद पीईआई संसद में बोल रहे थे कि उनके वर्क वीजा की अवधि खत्म होने के बाद उन्हें निर्वासित न किया जाए.

कनाडा में भारतीय छात्र क्यों विरोध कर रहे हैं?

बता दें कि यह भाषण ऐसे समय में आया है जब भारतीय छात्र प्रिंस एडवर्ड आइलैंड में 25% आव्रजन कटौती के खिलाफ दिन-रात विरोध कर रहे हैं. अप्रवासी कह रहे हैं कि आवास संकट प्रांतीय सरकार की इस असमर्थता का परिणाम है कि वह यह नहीं देख पा रही है कि वह कितना समायोजन कर सकती है. वे यह भी चाहते हैं कि आव्रजन कटौती से पहले पीईआई में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को स्थायी निवासी बनने की अनुमति दी जाए. लेकिन प्रांत ने कहा है कि वह केवल निर्माण और स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों के लिए वीजा बढ़ाएगा, क्योंकि प्रांत को उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है. ट्रू नॉर्थ की रिपोर्ट के अनुसार सिंह ने कहा कि निर्वासन से भारतीयों की स्थिति "भावनात्मक, वित्तीय और मानसिक रूप से अस्थिर" हो जाएगी.

कनाडा का प्रांत अप्रवासियों पर सीमा क्यों लगाना चाहता है?

भारी टैक्स और शुल्क का भुगतान करने के बाद भी कनाडा से निर्वासित होने का डर सही है. लेकिन कहानी इससे कहीं ज़्यादा है. भारतीय छात्रों को लगता है कि उनके साथ अनुचित व्यवहार किया जा रहा है. वहीं PEI के स्थानीय लोगों को लगता है प्रांत अप्रवासियों से भरा हुआ है और PEI के स्थानीय लोगों के लिए बहुत कम अवसर हैं. कनाडा में स्थायी निवास (PR) की तलाश करने वाले कई भारतीय छात्र निजी कॉलेज में आते हैं. सबसे अच्छे अकादमिक रिकॉर्ड वाले छात्र कनाडा के सरकारी विश्वविद्यालयों में एडमिशन लेते हैं.

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