पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में शहबाज शरीफ सरकार और आसिम मुनीर की सेना की ज्यादतियों पर भारत की प्रतिक्रिया सामने आई है. भारत ने कहा है कि वो पीओके के हालात से वाकिफ है और पाकिस्तान की दमनकारी नीतियों की वजह से ही पीओके की ऐसी हालत है. प्रदर्शन कर रहे लोगों पर आसिम मुनीर की सेना के अत्याचारों पर भी भारत ने प्रतिक्रिया दी है.
साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर के कई क्षेत्रों में प्रदर्शन और बेगुनाह नागरिकों पर पाकिस्तानी सेना की तरफ से की गई क्रूरता की खबरें देखी हैं.'
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने आगे कहा, 'हम मानते हैं कि यह पाकिस्तान के दमनकारी नजरिए और उन क्षेत्रों से संसाधनों की सिस्टमैटिक तरीके से लूट का नतीजा है जिसपर उसने जबरन गैरकानूनी कब्जा किया हुआ है.'
रंधीर जायसवाल ने कहा कि 'पाकिस्तान को अपनी भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.'
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में लोग पिछले कई दिनों से शहबाज सरकार और आसिम मुनीर की सेना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. अवामी एक्शन कमेटी (AAC) की अगुआई में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं. मुजफ्फराबाद, मीरपुर, कोटली, रावलाकोट और नीलम घाटी समेत कई जिलों में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं.
प्रदर्शनों के चलते पीओके के कई इलाकों में दुकानें बंद रहीं, परिवहन ठप हो गया और जनजीवन पूरी तरह से रुक सा गया. गुस्से में लोग पाकिस्तानी हुकूमत और सेना के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं- हुक्मरानों देख लो, हम तुम्हारी मौत हैं, इंकलाब आएगा, कश्मीर हमारा है.'
पीओके का प्रदर्शन पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में भी फैल गया है जिसे सख्ती से दबाया जा रहा है. प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की गोली से 12 लोगों की मौत हो गई जिसके बाद इस्लामाबाद और कराची में भी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले. इस्लामाबाद में वकीलों ने नेशनल प्रेस क्लब में शांतिपूर्ण धरना दिया जहां पुलिस ने धावा बोल प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. इस दौरान पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया.
पीओके के लोगों का आरोप है कि क्षेत्र के संसाधनों से होने वाला लाभ उनके साथ नहीं बांटा जाता. उनका कहा था कि शहबाज सरकार ने उनकी जरूरतों को अनदेखा किया है.
पीओके में प्रदर्शन तब शुरू हुए जब सरकार ने AAC की 38 सूत्रीय मांगों को मानने से इनकार कर दिया. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि विधानसभा की 12 आरक्षित सीटों को खत्म कर दिया जाए जिन्हें पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए रखा गया है, बिजली दरों में कटौती की जाए, गेहूं और अन्य जरूरी सामानों पर सब्सिडी दी जाए और स्थानीय राजस्व पर कंट्रोल शामिल है.
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