संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में रूस द्वारा युद्ध के दौरान जबरन स्थानांतरित और निर्वासित किए गए यूक्रेनी बच्चों की वापसी की मांग वाले प्रस्ताव पर भारत ने मतदान से परहेज किया. बुधवार को पेश किए गए इस मसौदा प्रस्ताव को 193 सदस्य देशों में से 91 ने समर्थन दिया, 12 देशों ने विरोध किया, जबकि 57 देश मतदान से दूर रहे. इंडिया, बहरीन, बांग्लादेश, ब्राजील, चीन, मिस्र, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका उन देशों में शामिल रहे जिन्होंने वोटिंग से दूरी बनाई.
‘रिटर्न ऑफ यूक्रेनियन चिल्ड्रन’ शीर्षक वाले इस प्रस्ताव ने युद्ध के दौरान बच्चों पर पड़े प्रभाव और विशेष रूप से 2014 से परिवारों से अलग किए गए बच्चों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई. प्रस्ताव में कहा गया कि कई बच्चों को रूस द्वारा कब्जे वाले यूक्रेनी इलाकों से जबरन ले जाया गया या रूस में निर्वासित किया गया.
प्रस्ताव ने रूस से तत्काल, सुरक्षित और बिना शर्त सभी बच्चों की वापसी सुनिश्चित करने की मांग की और बच्चों के आगे किसी भी तरह के जबरन विस्थापन, परिवार से अलगाव, नागरिकता बदलने, गोद लेने या वैचारिक प्रभाव डालने जैसी गतिविधियों को रोकने का आह्वान किया.
रूस ने आरोपों को बताया झूठा
रूस की डिप्टी स्थायी प्रतिनिधि मारिया ज़ाबोलोत्स्काया ने प्रस्ताव को झूठे आरोपों से भरा बताया. उन्होंने कहा कि रूस की आलोचना यह भूल जाती है कि कई बच्चे युद्ध क्षेत्रों से सुरक्षा कारणों से निकाले गए, या अपने परिवारों से संपर्क खो चुके हैं.
उन्होंने कहा, “यूक्रेनी शरणार्थियों को रूसी नागरिकता देने की सरल प्रक्रिया, दुनिया भर के शरणार्थियों के लिए सपने जैसी है और पूर्णतः स्वैच्छिक है.”
ज़ाबोलोत्स्काया ने कहा कि प्रस्ताव के पक्ष में दिया गया हर वोट झूठ, युद्ध और टकराव के समर्थन में है, जबकि विरोध शांति के पक्ष में वोट है.
20,000 से अधिक मामलों की जांच
यूक्रेन की उप विदेश मंत्री मारियाना बेत्सा ने बताया कि अक्टूबर 2025 तक 6,395 बच्चों के जबरन स्थानांतरण की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 20,000 से अधिक मामलों की जांच जारी है.
यूएन महासभा की अध्यक्ष अन्नालेना बैरबॉक ने कहा कि बच्चों की वापसी का मुद्दा रूस के आक्रमण से अलग नहीं देखा जा सकता. उन्होंने याद दिलाया कि फरवरी 2022 से महासभा ने आठ प्रस्तावों के माध्यम से रूस से यूक्रेन की संप्रभु भूमि से तत्काल और पूर्ण वापसी की मांग की है.
उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले ने न केवल लंबे समय तक युद्ध को जन्म दिया, बल्कि पूरे क्षेत्र और वैश्विक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव डाला है.
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