भारतीय कारोबारी को अपने 4 भाइयों को देने होंगे 2000 करोड़ और अरबों की प्रॉपर्टी, US कोर्ट ने सुनाया फैसला

एक अमेरिकी अदालत ने भारतीय मूल के पांच भाईयों से जुड़े मामले में अहम फैसला सुनाया है. 21 साल तक कोर्ट में चले इस मामले में जजों ने हरेश जोगानी को अपने भाईयों को 2000 करोड़ रुपये देने और अरबों की प्रॉपर्टी का आपस में बंटवारा करने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने हरेश जोगानी को अपने भाइयों को अरबों का हर्जाना देने का आदेश दिया कोर्ट ने हरेश जोगानी को अपने भाइयों को अरबों का हर्जाना देने का आदेश दिया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 2:29 PM IST

अमेरिका में लॉस एंजिल्स की एक अदालत ने भारतीय मूल के पांच भाइयों से जुड़े कानूनी विवाद मामले में 21 साल बाद अपना फैसला सुनाया है और हर्जाने के तौर पर अरबों डॉलर की भारी भरकम धनराशि तथा संपत्ति के बंटवारे का आदेश जारी किया है.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला 21 साल पुराने भूमि विवाद में आया था जिसमें हरेश जोगानी को अपने चार भाइयों को 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना देने और दक्षिणी कैलिफोर्निया में अपनी संपत्ति साम्राज्य के शेयरों का बंटवारा करने का आदेश दिया गया.

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17000 अपार्टमेंट का होगा बंटवारा

संपत्ति की बात करें तो अरबों अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के लगभग 17,000 अपार्टमेंट शामिल हैं. मुकदमा 2003 में दायर किया किया गया था जिसका निपटारा अंततः जूरी द्वारा अरबों के भुगतान और संपत्ति के बंटवारे के फैसले के साथ हुआ. लॉस एंजिल्स सुपीरियर कोर्ट में 18 अपीलें दायर हुई, वकीलों की पीढ़ियों और पांच न्यायाधीशों ने इस दौरान मामले की सुनवाई की.

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मुकदमा इस आरोप पर शुरू हुआ कि हरेश जोगानी ने अपने भाई-बहनों के साथ लंबे समय से चली आ रही पार्टनरशिप को तोड़ दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार, दंडात्मक हर्जाने पर सुनवाई सोमवार के लिए सूचीबद्ध है, और कहा जा रहा है कि कि मौजूदा 2,000 करोड़ रुपये के जुर्माने में बढ़ोतरी भी हो सकती है.

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कौन हैं जोगानी भाई

गुजरात के मूल निवासी जोगानी बंधुओं ने यूरोप, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और मध्य पूर्व में वैश्विक हीरा व्यापार के जरिए बहुत पैसा कमाया. 2003 में दर्ज की गई शिकायत के अनुसार, शशिकांत जोगानी 1969 में कैलिफोर्निया चले गए और आभूषणों का कारोबार करने लगे और फिर प्रॉपर्टी का काम शुरू करते हुए अपनी फर्म शुरू की.

1990 के दशक की शुरुआत में, जब मंदी के कारण संपत्तियों को घाटा हुआ, तो शशिकांत जोगानी अपने भाइयों को अपने साथ लाए और उन्हें उन्हें अपनी फर्म में पार्टनर बना लिया. उनकी शिकायत के अनुसार, हरेश जोगानी ने बाद में पार्टनरशिप खत्म कर दी है और अपने भाई को फर्म के प्रबंधन से "जबरन हटा दिया" और उन्हें पैसे का भुगतान करने से इनकार कर दिया. शशिकांत जोगानी की शिकायत के अनुसार, यह तब हुआ जब फर्म ने खरीदारी की होड़ शुरू की और अंततः लगभग 17,000 अपार्टमेंट यूनिट्स का पोर्टफोलियो बनाया.

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कोर्ट में लंबी चली बहस

दूसरी ओर, हरेश जोगानी ने तर्क दिया कि लिखित समझौते के बिना, उनके भाई-बहन यह साबित नहीं कर सकते कि उनकी उनके साथ साझेदारी थी. लेकिन लॉस एंजिल्स अदालत ने पाया कि हरेश ने मौखिक अनुबंध का उल्लंघन किया है. ज्यूरी ने गवाही सुनी और पाया कि मौखिक समझौते हीरे के व्यापार और गुजराती समुदाय दोनों में प्रथागत हैं.

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क्या कहा अदालत ने

ब्लूमबर्ग के अनुसार, शशिकांत जोगानी के वकील ने कहा कि कानून यह कहता है कि कोई भी मौखिक अनुबंध कर सकता है जो लिखित समझौतों के समान ही मूल्यवान है. दशकों, कई अपीलों और पूर्वाग्रह के आरोपों के साथ-साथ हरेश जोगानी के "नस्लीय दुश्मनी" के आरोपों के बाद, जूरी ने अपना फैसला दिया और  निष्कर्ष निकाला कि 77 वर्षीय शशिकांत जोगानी के पास रियल एस्टेट साझेदारी का 50 प्रतिशत हिस्सा है और उनके लिए 1.8 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रारंभिक हर्जाना देने का आदेश दिया.

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