पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सस्ते कंडोम और अन्य गर्भनिरोधक सामग्री की उम्मीद में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से बड़ा झटका लगा है. IMF ने पाकिस्तान सरकार की उस मांग को खारिज कर दिया है, जिसमें गर्भनिरोधक वस्तुओं पर लगने वाले 18% जीएसटी (GST) को घटाने की अपील की गई थी. IMF का कहना है कि कंडोम और अन्य बर्थ-कंट्रोल सप्लाई पर जीएसटी की कटौती से राजकोष पर बोझ बढ़ेगा इसलिए फिलहाल ऐसा नहीं किया जा सकता है.
कर्ज और मदद के सहारे चल रही पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था IMF की शर्तों पर टिकी हुई है. इन शर्तों की अनदेखी करने पर देश को डिफॉल्ट घोषित किया जा सकता है और उसे अंतरराष्ट्रीय मदद मिलनी रुक सकती है जिससे आर्थिक अराजकता की स्थिति पैदा होगी.
पाकिस्तान अपनी डांवाडोल अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए IMF के सहारे है, जिसमें 37 महीने की एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) और रेजिलिएंस एंड सस्टेनेबिलिटी फैसिलिटी (RSF) के तहत हालिया कर्ज शामिल हैं. इन कर्जों का मकसद विकास, राजकोषीय स्थिरता लाना और जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को कम करना है.
IMF बेलआउट पैकेज के तहत पाकिस्तान को अब तक करीब 3.3 अरब डॉलर जारी कर चुका है.कुछ समय पहले ही पाकिस्तान के लिए 1.2 अरब डॉलर की राशि मंजूर की गई है.
पाकिस्तान को IMF का यह बेलआउट पैकेज सख्त शर्तों के साथ मिल रहा है जिसमें शासन में सुधार, राजस्व बढ़ाने और भ्रष्टाचार-रोधी कदमों पर जोर दिया गया है.
शहबाज शरीफ के निर्देश पर पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) ने गर्भनिरोधक वस्तुओं से 18% GST तुरंत हटाने के लिए IMF से औपचारिक मंजूरी मांगी थी.
पाकिस्तानी अखबार 'The New International' और 'Geo News' के अनुसार, IMF अधिकारियों ने साफ कह दिया कि मौजूदा बेलआउट प्रोग्राम के बीच (मिड-फिस्कल ईयर) कोई टैक्स छूट संभव नहीं है. इस पर केवल अगले वित्तीय वर्ष 2026–27 के बजट की तैयारी के दौरान ही चर्चा हो सकती है.
पाकिस्तान के रेवेन्यू बोर्ड FBR के अनुमान के मुताबिक, कंडोम पर GST हटाने से सरकारी खजाने पर 40-60 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. IMF ने इसे अस्वीकार्य बता दिया है. यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है खासकर तब जब पाकिस्तान मौजूदा वित्त वर्ष में 13.979 खरब पाकिस्तानी रुपये के संशोधित राजस्व टार्गेट को हासिल करने के लिए जूझ रहा है.
पाकिस्तानी अधिकारियों ने सैनिटरी पैड और बेबी डायपर पर GST घटाने का प्रस्ताव भी रखा था, लेकिन IMF ने इसे भी खारिज कर दिया. वॉशिंगटन डीसी स्थित IMF ने चेतावनी दी कि ऐसी रियायतें टैक्स अनुपालन को मुश्किल बना सकती हैं और तस्करी को बढ़ावा दे सकती हैं.
यह फैसला ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान की जनसंख्या वृद्धि दर 2.55% है जो दुनिया में सबसे ऊंची दरों में से एक है. पाकिस्तान की आबादी में हर साल करीब 60 लाख जुड़ रहे हैं. गर्भनिरोधक महंगे बने रहने से पाकिस्तान के परिवार नियोजन की कोशिशों को झटका लग सकता है और स्वास्थ्य व शिक्षा जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है.
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