पहले खर्चे कम करो... कर्ज देने से पहले IMF ने पाकिस्तान को दी यह नसीहत

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को लोन देने से पहले खर्च को कम करने की नसीहत दी है. मौजूदा समय में पाकिस्तान की आर्थिक हालत काफी खराब है. हाल ही में देश में आर्थिक सुधार के लिए आईएमएफ पाकिस्तान को 1.2 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त लोन देने के लिए राजी हुआ था.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फोटोः रायटर्स) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फोटोः रायटर्स)

सुदीप कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने लोन देने से पहले एक खास नसीहत दी है. आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान को अपने खर्च कम करने की जरूरत है. पाकिस्तानी न्यूज चैनल, ARY के अनुसार, आईएमएफ पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय और संघीय राजस्व बोर्ड (FBR) के प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं है. 

जुलाई में आईएमएफ पाकिस्तान के लिए लोन की राशि बढ़ाने के लिए राजी हुआ था. जिसके तहत पाकिस्तान को 1.2 अरब डॉलर का अतिरिक्त ऋण देने की बात हुई थी. इस लोन के मिलने के बाद पाकिस्तान पर आईएमएफ का 7 अरब डॉलर कर्ज हो जाएगा.

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न्यूज एजेंसी रायटर्स के अनुसार, आईएमएफ ने लोन कार्यक्रम की नौंवी समीक्षा बातचीत से पहले पाकिस्तान को खर्च कम करने की नसीहत दी है. 

पाकिस्तान की गड़बड़ाई आर्थिक व्यवस्था

पाकिस्तान पिछले काफी समय से आर्थिक संकटों से जूझ रहा है. पिछले साल पाकिस्तान में जहां राजनीतिक स्थिरता का संकट देखने को मिला तो वहीं बाढ़ ने एक तिहाई पाकिस्तान के लाखों लोगों को गंभीर तरह से अपनी चपेट में ले लिया. बाढ़ से पाकिस्तान को आर्थिक नजरिए से भी काफी नुकसान पहुंचा और पहले से खराब अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ गई. पाकिस्तान ने वैश्विक मंच पर मदद की मांग भी की, जिसके बाद कई देशों की ओर से मदद भी की गई.  

वर्तमान में पाकिस्तान में महंगाई दर आसमान छू रहा है. अगस्त में पाकिस्तान की महंगाई दर पिछले 13 सालों के उच्चतम स्तर पर थी. महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने ब्याज दरों में 100 बेसिक अंको की बढ़ोतरी करते हुए 16 प्रतिशत कर दिया है. आर्थिक संकट झेल रहे पाकिस्तान में विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति और भी बदतर है.

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राजनीतिक उठा पटक एक कारण
राजनीतक उठा पटक और सियासी ड्रामे के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में काफी उथल-पुथल मचा हुआ है. आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक अस्थिरता के कारण विदेशी भंडार में तेजी से कमी आ रही है.

वर्तमान में पाकिस्तान की विदेशी मुद्रा भंडार काफी कम है. पाकिस्तानी चैनल जियो की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा 8 अरब डॉलर से भी कम है. यह राशि छह सप्ताह के आयात के लिए भी पर्याप्त नहीं है. हाल ही में विश्व बैंक और एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) के नए निवेश के बावजूद भंडार में कमी पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बना हुआ है.

बाहरी देनदारी से चूकने का डर
पाकिस्तान के ऊपर बाहरी कर्ज बहुत ज्यादा है. इस्लामिक बांड के जरिए लिए गए कर्ज का एक बिलियन डॉलर से ज्यादा राशि का बांड पुनर्भुगतान 5 दिसंबर को पूरा हो रहा है. इस कर्ज पर डिफॉल्ट होने की खबरों के बीच स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के प्रमुख जमील अहमद ने कहा था कि पाकिस्तान तय तारीख से तीन दिन पहले 2 दिसंबर को यह बांड भरेगा. 

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर जमील अहमद ने कहा था कि बांड भुगतान के लिए एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और कई अन्य माध्यमों से 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर की व्यवस्था की गई है.

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कर्ज के तले डूब चुका पाकिस्तान!
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को इससे पहले भी काफी कर्ज दे चुका है. 2019 में पाकिस्तान ने आईएमएफ से 6 अरब डॉलर का कर्ज लेने का समझौता किया था. यह राशि पाकिस्तान को तीन सालों में किश्तों में दी जानी थी. हालांकि, इसी दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के राजनीतिक निर्णय को आईएमएफ के शर्तों का उल्लंघन करार देते हुए संस्था की ओर से कर्ज जारी रखने पर रोक लगा दी थी.

दरअसल, इमरान खान ने पेट्रोल-डीजल पर सब्सिडी देने की घोषणा कर दी थी. आईएमएफ ने इसे शर्तों का उल्लंघन माना था. नई सरकार के बनने के बाद शहबाज शरीफ ने आईएमएफ से फिर से बातचीत शुरू की. आईएमएफ कड़ी शर्तों के साथ लोन देने के लिए राजी हुआ था. वर्तमान की 1.2 अरब डॉलर का कर्ज लेने के बाद आईएमएफ का कर्ज बढ़कर 7 अरब डॉलर हो जाएगा.

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