नेपाल की सड़कों से अब भी क्यों नहीं हट रहे Gen-Z प्रोटेस्टर? रखीं ये 6 डिमांड्स

नेपाल में Gen Z युवाओं के नेतृत्व वाले आंदोलन ने अब अपनी मांगों को सामने रखा है. आंदोलनकारियों ने उन लोगों को शहीद का दर्जा देने की मांग की है, जिनकी प्रदर्शन के दौरान मौत हुई. वहीं, नेपाली सेना के मोर्चा संभालने के बाद से अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं.

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अभी भी सड़कों पर डटे हैं GEN Z प्रदर्शनकारी. (photo: AFP) अभी भी सड़कों पर डटे हैं GEN Z प्रदर्शनकारी. (photo: AFP)

आशीष श्रीवास्तव

  • काठमांडू,
  • 10 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 11:59 AM IST

नेपाल में Gen Z आंदोलनकारी अभी भी सड़कों पर डटे हुए हैं. हालांकि, सेना के मोर्चा संभालने के बाद से नेपाल में अब हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं. इसी बीच आंदोलनकारियों ने अपनी मांग सामने रखी हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि आंदोलन के दौरान शहदत पाने वाले सभी को आधिकारिक रूप से शहीद का दर्जा दिया जाए.

जनरेशन-जेड आंदोलन के नेतृत्वकर्ता रवि किरण हमाल ने अपनी घोषणा में कहा है कि ये आंदोलन किसी दल या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी और राष्ट्र के भविष्य के लिए है. 

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हमाल ने कहा, 'शांति की जरूरत है, लेकिन ये केवल नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव पर ही संभव है. राष्ट्रपति और नेपाली सेना से उम्मीद है कि हमारे प्रस्तावों को सकारात्मक रूप से लागू किया जाएगा.'

क्या हैं आंदोलनकारियों की मांग

उन्होंने मांग की कि आंदोलन के दौरान शहादत पाने वाले सभी को आधिकारिक रूप से शहीद घोषित किया जाए. शहीद परिवारों को राष्ट्र की ओर से सम्मान, अभिनंदन और राहत उपलब्ध कराई जाए.

आंदोलनकारियों ये भी मांग की कि वर्तमान प्रतिनिधि सभा ने जनता का विश्वास खो दिया है, इसलिए इसे तत्काल भंग किया जाए. संविधान का संशोधन या पुनर्लेखन किया जाए, जिसमें नागरिकों, विशेषज्ञों और युवाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हो. अंतरिम अवधि समाप्त होने के बाद स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रत्यक्ष जनसहभागिता पर आधारित नया चुनाव कराया जाए. साथ ही प्रत्यक्ष निर्वाचित कार्यकारी नेतृत्व की स्थापना की जाए. वहीं, बेरोजगारी, पलायन और सामाजिक अन्याय को खत्म करने के लिए विशेष कार्यक्रम लाए जाएं.

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उन्होंने ये भी मांग की कि पिछले तीन दशकों में लूटी गई संपत्ति की जांच कर अवैध संपत्ति का राष्ट्रीयकरण किया जाए. शिक्षा, स्वास्थ्य, न्याय, सुरक्षा और संचार जैसे पांचों मूलभूत संस्थानों का संरचनात्मक सुधार और पुनर्गठन किया जाए.

हिंसक प्रदर्शन में 22 लोगों की मौत

दरअसल, सोमवार को जेन-जेड प्रदर्शनकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर सरकारी प्रतिबंध के खिलाफ किए गए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद मंगलवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी ओली के कार्यालय में घुस गए और उनके इस्तीफे की मांग की. दबाव में आकर ओली ने इस्तीफा दे दिया और सोमवार रात को सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध भी हटा लिया गया.

हालांकि, ओली के इस्तीफे के बाद भी हिसंक प्रदर्शन जारी रहा है. मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन, राष्ट्रपति कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, सरकारी इमारतों, राजनीतिक दलों के कार्यालयों और वरिष्ठ नेताओं के घरों में आग लगा दी. इसके बाद सेना ने मोर्चा संभालते हुए काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जैसे शहरों में कर्फ्यू लगा दिया और सुरक्षा नियंत्रण को अपने हाथों में ले लिया.

सामान्य हो रही है स्थिति

बताया जा रहा है कि बुधवार सुबह से नेपाल में धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. नेपाली सेना ने एक बयान में कहा कि वह देश में शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध है. सेना ने उन समूहों पर चिंता जताई जो कठिन परिस्थिति का अनुचित लाभ उठाकर अराजकता फैला रहे हैं. सेना ने ये भी सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि नागरिकों और सार्वजनिक संपत्ति को और नुकसान न पहुंचे.

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