इजरायल आतंकी बता रहा, तो अल-जज़ीरा पत्रकार... गाजा में मारे गए अनस अल-शरीफ कौन हैं, जिन पर हो रहा विवाद

इजरायली हमले में मारे जाने से पहले अनस अल-शरीफ ने कहा था, "मैंने कई बार दर्द सहा है, कई बार दुख और नुकसान का स्वाद चखा है, फिर भी मैंने बिना किसी तोड़-मरोड़ या झूठ के सच को ज्यों का त्यों बताने में कभी हिचका नहीं."

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अल-जज़ीरा के रिपोर्टर अनस अल-शरीफ ने मारे जाने से पहले जारी किया था मैसेज (X/ Anas Al Sharif) अल-जज़ीरा के रिपोर्टर अनस अल-शरीफ ने मारे जाने से पहले जारी किया था मैसेज (X/ Anas Al Sharif)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:10 PM IST

फ़िलिस्तीन के गाजा शहर में पत्रकारों के एक तंबू पर इज़रायल के हमले में अल जज़ीरा के अरबी जर्नलिस्ट अनस अल-शरीफ (Anas al-Sharif) और उनके चार साथी मारे गए. रविवार देर शाम गाजा शहर के अल-शिफा अस्पताल के मेन गेट के बाहर बनाए गए तंबू पर हुए हमले में सात लोग मारे गए. 

हमले में मारे गए लोगों में अल जज़ीरा के रिपोर्टर मोहम्मद क़रीक़ेह और कैमरा ऑपरेटर इब्राहिम ज़हीर, मोहम्मद नौफ़ल और मोआमेन अलीवा शामिल हैं.

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इजरायल दावा कर है कि अनस अल-शरीफ हमास के एक सदस्य थे और आतंकी गतिविधियों में शामिल थे. पिछले साल के अक्टूबर महीने से ही इजरायल की सेना ने उनको अपने टारगेट पर लिया था. वहीं, अल जज़ीरा मीडिया नेटवर्क ने इजरायल दावे को खारिज कर दिया और इज़राइल पर उसके पत्रकारों के खिलाफ 'उकसाने का अभियान' चलाने का आरोप लगाया है.

मारे जाने से कुछ वक्त पहले का पोस्ट...

अल-शरीफ (28) ने मारे जाने से कुछ वक्त पहले सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था, "इज़रायल ने गाजा शहर के पूर्वी और दक्षिणी इलाकों पर तेज और केंद्रित बमबारी शुरू की है. उनके आखिरी वीडियो में बैकग्राउंड में इज़रायल की मिसाइल बमबारी की तेज़ आवाज़ें सुनी जा सकती हैं, जबकि अंधेरा आसमान नारंगी रोशनी की चमक से जगमगा रहा है.

कौन थे अनस अल-शरीफ?

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अनस अल-शरीफ़ गाज़ा के एक मशहूर पत्रकार थे, जिन्होंने अल जज़ीरा अरबी के लिए उत्तरी पट्टी से बड़े लेवल पर रिपोर्टिंग की. उन्होंने गाज़ा शहर स्थित अल-अक्सा यूनिवर्सिटी के मीडिया डिपार्टमेंट से ग्रुजएशन की पढ़ाई पूरी की थी. अनस को उनकी रिपोर्टिंग के लिए साल 2018 में फ़िलिस्तीन में बेस्ट यंग जर्नलिस्ट का पुरस्कार मिला.

अक्टूबर, 2023 में शुरू हुई जंग के बाद, अल-शरीफ़ गाज़ा में ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले अल जज़ीरा के सबसे जाने-माने चेहरों में से एक बन गए और नियमित रूप से डेली रिपोर्ट करते रहे.

दिसंबर 2023 में अल-शरीफ़ ने अपने पिता को खो दिया, जब इज़रायल ने गाज़ा शहर में जबालिया शरणार्थी शिविर पर हवाई हमला किया. उस वक्त, उन्होंने अपना काम जारी रखने का वादा किया था. अल-शरीफ़ ने कहा था, "इन सबके बावजूद, और मेरे घर को निशाना बनाए जाने और मेरे पिता की हत्या के बावजूद, मैं जबालिया शरणार्थी शिविर और उत्तरी गाज़ा से कवरेज जारी रखूंगा."

इस साल जनवरी की शुरुआत में, हमास और इज़रायल के बीच सीजफायर के बाद, अल-शरीफ़ ने एक लाइव टेलिकास्ट के दौरान अपना बॉडी आर्मर उतार दिया, जबकि दर्जनों गाजा निवासी जंग में अस्थायी रुकावट को लेकर जश्न मना रहे थे.

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अनस अल-शरीफ का फाइनल मैसेज...

जर्नलिस्ट अनस अल-शरीफ ने मारे जाने से पहले अपना फाइनल मैसेज दिया था. मैसेज के बारे में अल जज़ीरा ने बताया कि यह 6 अप्रैल को लिखा गया था, जिसे अल-शरीफ़ की मौत के बाद उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया गया थाा. अनस अल-शरीफ ने कहा, "मैंने कई बार दर्द सहा है, कई बार दुख और नुकसान का स्वाद चखा है, फिर भी मैंने बिना किसी तोड़-मरोड़ या झूठ के, सच को ज्यों का त्यों बताने में कभी संकोच नहीं किया."

उन्होंने आगे कहा, "अल्लाह उन लोगों के खिलाफ गवाही दे जो चुप रहे, जिन्होंने हमारे क़त्ल को स्वीकार किया, जिन्होंने हमारी सांसें रोक दीं और जिनके दिल हमारे बच्चों और महिलाओं के बिखरे अवशेषों से नहीं पसीजे और जिन्होंने उस नरसंहार को रोकने के लिए कुछ नहीं किया, जिसका सामना हमारे लोग डेढ़ साल से ज़्यादा वक्त से कर रहे हैं."

अल जज़ीरा ने क्या कहा? 

अल जज़ीरा ने कहा, "नेटवर्क इसकी कड़ी निंदा करता है, जो गाजा पर चल रहे इज़राइली युद्ध की कवरेज की शुरुआत से ही उसके कर्मचारियों के खिलाफ लगातार उकसावे की कोशिश की जा रही है. नेटवर्क इस उकसावे को क्षेत्र में अपने पत्रकारों को निशाना बनाने को एक खतरनाक प्रयास मानता है."

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नेटवर्क ने कहा, "गाज़ा के सबसे बहादुर पत्रकारों में से एक अनस अल-शरीफ़ और उनके सहयोगियों की हत्या का आदेश, गाज़ा पर कब्ज़े से पहले आवाज़ों को दबाने की एक हताश कोशिश है. टारगेटेड मर्डर प्रेस की आज़ादी पर एक पूर्वनियोजित हमला है."

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गाजा में लगातार हो रही पत्रकारों की हत्या...

गाजा में अल-शरीफ और अन्य संवाददाताओं की मौत, घिरे हुए क्षेत्र से रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों के सामने आने वाले खतरों का एक और उदाहरण है. पत्रकारों की सुरक्षा समिति (CPJ) के मुताबिक, अक्टूबर 2023 में गाजा में इज़रायली सैन्य अभियान शुरू होने के बाद से 186 पत्रकारों की मौत हो चुकी है.

मीडिया निगरानी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) ने जुलाई की शुरुआत में कहा था कि जंग शुरू होने के बाद से गाजा में 200 से ज़्यादा पत्रकार मारे जा चुके हैं, जिनमें अल जज़ीरा के कई पत्रकार भी शामिल हैं.

दरअसल, गाजा में अल जज़ीरा के कई पत्रकार मारे जा चुके हैं. जुलाई के आखिरी दिनों में, इस्माइल अल-घोल और उनके कैमरापर्सन रामी अल-रिफी एक आईडीएफ हवाई हमले में मारे गए थे. मुख्य संवाददाता वाएल अल दहदौह की पत्नी, बेटा, बेटी और पोता अक्टूबर 2023 में मारे गए और कुछ हफ़्ते बाद एक हमले में वह खुद घायल हो गए, जिसमें अल जज़ीरा के कैमरापर्सन समीर अबू दक्का की मौत हो गई.

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