अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व ऑफिसर जॉन किरियाको ने बताया है कि जब उन्होंने कहा था कि परंपरागत लड़ाई में पाकिस्तान भारत से नहीं जीत सकता है तो कई पाकिस्तानी उनसे खफा हो गए. उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलने लगी. इसके बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की पार्टी की तरफ से उन्हें एक चिट्ठी भेजी गई और कहा गया कि वे अपने इस बयान के लिए तत्काल माफी मांगे. खुर्राट CIA ऑफिसर जॉन किरियाकौ ने पाकिस्तानियों की इस धमकी का जवाब अपने ही अंदाज में दिया और कहा कि उस चिट्ठी से उन्होंने अपना #%&*^ पोछ कर उसे फेंक दिया है.
जॉन किरियाको CIA के खुर्राट और तिकड़मी अधिकारी रहे हैं और वह अपनी राय बेलाग-बेबाक हो कर रखते हैं.
CIA के पूर्व ऑफिसर जॉन किरियाको ने अक्तूबर में कहा था कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ पारंपरिक युद्ध नहीं जीत सकता और उसे यह समझने की जरूरत है कि भारत के साथ लड़ने से कुछ भी अच्छा नहीं होगा. एएनआई के साथ एक इंटरव्यू में किरियाको ने कहा था, "भारत और पाकिस्तान के बीच असली युद्ध से कुछ भी, सच में कुछ भी अच्छा नहीं होगा क्योंकि पाकिस्तानी हार जाएंगे. यह इतनी सीधी बात है. वे हार जाएंगे. और मैं न्यूक्लियर हथियारों की बात नहीं कर रहा, मैं सिर्फ एक पारंपरिक युद्ध की बात कर रहा हूं."
जॉन किरियाको अमेरिकी व्हिसलब्लोअर, लेखक, पत्रकार और पूर्व सीआईए अधिकारी हैं. उन्होंने 14 वर्ष सीआईए में काउंटरटेररिज्म एनालिस्ट और ऑपरेशंस ऑफिसर के रूप में काम किया. उन्होंने 2002 में पाकिस्तान में अल-कायदा के आतंकी अबू जुबैदा की गिरफ्तारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सीआईए अफसरों की पहचान सार्वजनिक करने के लिए उन्हें 2012 में सजा हो चुकी है.
जॉन किरियाको ने कहा कि इस इंटरव्यू के बाद उन्हें कई धमकियां मिलने लगी. कई पाकिस्तानी जान से मारने की धमकी देने लगे.
CIA के पूर्व ऑफिसर ने बताया, "मुझे पाकिस्तान के एक प्रधानमंत्री की पार्टी से चिट्ठी मिली, मेल पर, उन्होंने कहा कि वे मेरी बात की कड़े शब्दों में आलोचना करते हैं, उन्होंने मुझसे तत्काल माफी की मांग की और कहा कि मैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, उनकी पार्टी और पाकिस्तान के लोगों से तुरंत माफी मांगू."
आगे जॉन किरियाको ने बताया कि, "मेरे वकील ने कहा कि इसे फेंक दीजिए, इससे कुछ नहीं होने वाला है, लेकिन मैंने इसे फेंका नहीं. मैंने उन्हें जवाबी ई मेल लिखा और कहा, "आपकी माफी की मांग के बारे में मैं कहना चाहूंगा कि उस चिट्ठी से मैंने अपना #%&*^ पोछ लिया है."
उस इंटरव्यू में जॉन किरियाको ने बार-बार जोर देकर कहा कि इस्लामाबाद को ये समझ लेना चाहिए कि भारत को बार बार धमाकाने से पाकिस्तान को ही नुकसान होता है.
इस इंटरव्यू में जॉन किरियाको ने कई खुलासे किए थे. उन्होंने कहा था कि 2002 में मुझे अनऑफिशियली बताया गया था कि पेंटागन पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों को कंट्रोल करता है.
किरियाको ने दावा किया था कि उनके कार्यकाल के दौरान US ने उस समय के प्रेसिडेंट परवेज़ मुशर्रफ को लाखों-करोड़ों डॉलर दिए थे, एक तरह से हमने उनकी मदद खरीद ली थी. तब पाकिस्तानी सरकार के साथ हमारे रिश्ते बहुत-बहुत अच्छे थे. उस समय जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ थे. और देखिए सच कहूं तो यूनाइटेड स्टेट्स को तानाशाहों के साथ काम करना पसंद है. क्योंकि तब आपको पब्लिक ओपिनियन और मीडिया की चिंता करने की जरूरत नहीं होती है.
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