सबसे बड़ा सवाल... एलॉन मस्क के जाने के बाद अब DOGE का क्या होगा? सुधार से ज्यादा विवादों में रहा

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. उन्होंने शपथ लेने के बाद DOGE यानी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी का ऐलान किया था. इसकी कमान एलॉन मस्क को सौंपी गई थी.

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एलॉन मस्क (फोटो: AI) एलॉन मस्क (फोटो: AI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:20 AM IST

अरबपति कारोबारी और टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क ने आखिरकार कई महीने की अटकलों के बाद ट्रंप सरकार को अलविदा कह दिया है. उन्होंने DOGE के प्रभारी का पद छोड़ने का ऐलान किया है. यह वही DOGE है, जिसका चीफ होने की वजह से मस्क को अमेरिका में दूसरे नंबर का ताकतवर शख्स बताया जाता रहा. लेकिन वह अपने पीछे एक सवाल छोड़ गए हैं कि उनके जाने के बाद अब DOGE का क्या होगा?

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ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. उन्होंने शपथ लेने के बाद DOGE यानी डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशियंसी का ऐलान किया था. इसकी कमान एलॉन मस्क को सौंपी गई थी. इस विभाग में नंबर दो विवेक रामास्वामी थे. लेकिन रामास्वामी ने बाद में इस पद से इस्तीफा दे दिया था. 

DOGE का गठन अमेरिका में ब्यूरोकेसी को क्लीन करने के मकसद से किया गया था. ट्रंप ने इस डिपार्टमेंट को इस समय का द मैनहट्टन प्रोजेक्ट बताते हुए कहा था कि इससे चार जुलाई 2026 तक पूरी संघीय ब्यूरोक्रेसी में व्यापक बदलाव आएंगे. उन्होंने कहा था कि इस सरकार में धरातल पर काम अधिक होगा और नौकरशाही कम होगी. 

इस विभाग का मुख्य काम अमेरिकी सरकार के 6.5 ट्रिलियन डॉलर की धनराशि के अनावश्यक खर्च और धोखाधड़ी को रोकना है. द मैनहटन प्रोजेक्ट दरअसल अमेरिकी सरकार का वो प्रोजेक्ट था, जिसके तहत अमेरिका ने परमाणु बम तैयार किया था.

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सुधार से ज्यादा विवादों की भेंट चढ़ता रहा DOGE!

DOGE का मकसद यूं तो सराकरी खर्चों में दो ट्रिलियन डॉलर की कटौती और बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरियों को कम करना था. इसके लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और पर्यावरण कार्यक्रमों पर असर पड़ा. इस मकसद को पूरा करने के चक्कर में लिए गए गलत फैसलों की वजह से बड़े पैमाने पर विरोध भी हुआ.  

कई आलोचकों ने इसे अव्यवहारिक और हानिकारक बताया, क्योंकि इससे कमजोर समुदायों को नुकसान पहुंचता, जैसे कि कम आय वाले परिवारों को दी जाने वाली सहायता और सार्वजनिक सेवाओं में कमी. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि ऐसी कटौतियां सामाजिक असमानता को बढ़ा सकती हैं.

इन फैसलों के खिलाफ अमेरिका के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए. वाशिंगटन डीसी और न्यूयॉर्क में शिक्षक और स्वास्थ्यकर्मी यूनियनों ने रैलियां निकालीं, जिसमें DOGE को लोकतंत्र विरोधी करार दिया गया.

DOGE चीफ के तौर पर मस्क की गतिविधियों का असर टेस्ला पर पड़ा. इससे टेस्ला की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा. Tesla Takedown जैसे आंदोलनों ने अमेरिका और यूरोप में टेस्ला शोरूम में विरोध और तोड़फोड़ हुई. DOGE को ट्रंप सरकार की नीति के रूप में देखा गया, जिसने इसे पहले से ही ध्रुवीकृत अमेरिकी राजनीति में विवाद का केंद्र बना दिया. मस्क और ट्रंप के बीच संबंधों ने इसे और जटिल कर दिया क्योंकि इसे अमीरों के लिए नीति के रूप में देखा गया.

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DOGE ने सरकारी खर्चे कम करने के मकसद से हजारों सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकालना शुरू किया. इसकी सरकारी कर्मचारी यूनियनों और डेमोक्रेटिक नेताओं से तीखी आलोचना झेली, जिन्होंने इसे मध्यम वर्ग की आजीविका पर हमला बताया. यह भी तर्क दिया गया कि इससे सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित होगी.

अब DOGE का क्या होगा?

ट्रंप ने भले ही पद छोड़ने का ऐलान किया है. लेकिन उन्होंने ये भी संकेत दिया है कि DOGE बदस्तूर चलता रहेगा. ट्रंप ने जब राष्ट्रपति बनने के बाद DOGE का गठन किया था तो उन्होंने स्पष्ट किया था कि यह एक अस्थाई विभाग है, जो जुलाई 2026 तक ही अस्तित्व में रहेगा. ऐसे में अब जब ट्रंप ने इसे अलविदा कह दिया है तो कई रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि कैबिनेट सचिव के पास यह विभाग जाएगा. 

लेकिन अभी इसे लेकर ट्रंप या प्रशासन की ओर से किसी तरह की आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. DOGE विभाग जुलाई 2026 तक काम करता रहेगा. ऐसे में किसी अहम शख्स को इसकी जिम्मेदारी सौंपा जाना लाजिमी है.

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