कौन से देश हैं थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज जहां के लोगों को रोकना चाहते हैं ट्रंप? क्या भारत पर भी असर

डोनाल्ड ट्रंप ने थर्ड वर्ल्ड देशों के लोगों पर सख्ती बढ़ाने का ऐलान किया है. उनका कहना है कि वो इन देशों के लोगों को अमेरिका में प्रवास नहीं करने देंगे. भारत भी कभी थर्ड वर्ल्ड देशों में आता था.

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डोनाल्ड ट्रंप की प्रवास नीतियां और अधिक कठोर होती जा रही हैं (File Photo: Reuters) डोनाल्ड ट्रंप की प्रवास नीतियां और अधिक कठोर होती जा रही हैं (File Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:32 PM IST

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि वो सभी ‘थर्ड वर्ल्ड देशों’ के लोगों का अमेरिका माइग्रेट करना स्थायी रूप से रोक देंगे. ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन यह कदम इसलिए उठा रहा है ताकि अमेरिकी पूरी तरह से रिकवर कर सके और बाइडेन प्रशासन में जो अवैध प्रवासी अमेरिका में घुस गए हैं, उन्हें निकाला जा सके.

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ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा कि इसका उद्देश्य 'गैर-नागरिकों को दिए जाने वाले सभी संघीय लाभ और सब्सिडी को समाप्त करना, घरेलू शांति में बाधा डालने वाले प्रवासियों की नागरिकता खत्म करना और जो विदेशी नागरिक देश पर बोझ की तरह हैं, जिनसे सुरक्षा को खतरा है या फिर जो पश्चिमी सभ्यता के अनुरूप नहीं हैं, उन्हें निर्वासित करना है.

ट्रंप ने यह घोषणा तब की है जब व्हाइट हाउस के पास हुई गोलीबारी की घटना में नेशनल गार्ड के दो सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे. घायलों में से एक की मौत इलाज के दौरान हो गई है और एक की हालत गंभीर बनी हुई है. जांचकर्ताओं के अनुसार, यह हमला एक अफगान नागरिक ने किया है जो कि बाइडेन प्रशासन के दौरान परिवार के साथ अमेरिका आ गया था.

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थर्ड वर्ल्ड कंट्रीज क्या हैं?

यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप का ‘थर्ड वर्ल्ड देशों’ से क्या मतलब है क्योंकि यह एक पुराना शब्द है जिसका इस्तेमाल शीत युद्ध (Cold War) के दौरान उन देशों के लिए किया जाता था जो न तो अमेरिका के साथ थे और न ही सोवियत संघ के साथ.

अमेरिका के सहयोगी देशों को फर्स्ट वर्ल्ड, और सोवियत संघ के समर्थक देशों को सेकंड वर्ल्ड कहा जाता था. भारत उस समय थर्ड वर्ल्ड देश माना जाता था क्योंकि यह गुटनिरपेक्ष था.

1991 में सोवियत संघ के टूटने के बाद, इस शब्द का मूल राजनीतिक उद्देश्य समाप्त हो गया. आधुनिक समय में इसका इस्तेमाल आम तौर पर उन देशों के लिए किया जाता है जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं या अभी विकास की प्रक्रिया में हैं.

आज थर्ड वर्ल्ड कहे जाने वाले देशों में आम तौर पर गरीबी का उच्च स्तर, राजनीतिक या आर्थिक अस्थिरता, और अधिक मृत्यु दर देखने को मिलती है. इनमें से कई देश औद्योगिक नहीं हैं या हाल ही में औद्योगिकरण की ओर बढ़ रहे हैं.

क्योंकि शीत युद्ध के दौरान इसका अर्थ और बाद में आर्थिक संदर्भ में इसका अर्थ बहुत अलग था, इसलिए आज भी यह भ्रम बना रहता है कि किन देशों को वास्तव में इस श्रेणी में माना जाए.

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क्या थर्ड वर्ल्ड देशों की कोई आधिकारिक सूची है?

‘थर्ड वर्ल्ड’ देशों की कोई आधिकारिक सूची नहीं है. हालांकि, संयुक्त राष्ट्र (UN) आर्थिक और सामाजिक रूप से सबसे कमजोर देशों को Least Developed Countries (LDCs) के रूप में वर्गीकृत करता है.

इनकी सूची निम्न आधारों पर तैयार की जाती है:

प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income)

मानव संपदा सूचकांक (Human Assets Index)

आर्थिक व पर्यावरणीय संवेदनशीलता

वर्तमान में कुल 44 देश LDCs की सूची में शामिल हैं.
अफगानिस्तान भी इसी सूची में है.

इस सूची से बाहर आने के लिए किसी देश को उपरोक्त तीन मापदंडों में से दो की सीमा तक पहुंचना जरूरी होता है. 

क्या भारत ‘थर्ड वर्ल्ड’ देशों की सूची में है?

सॉवी (Sauvy) की मूल शीत युद्ध अवधारणा के अनुसार, भारत गुटनिरपेक्ष देशों में था, इसलिए ऐतिहासिक संदर्भ में इसे उस श्रेणी में रखा जा सकता है.

आधुनिक लेकिन विवादित आर्थिक व्याख्या के अनुसार, भारत को आम तौर पर एक विकासशील देश (Developing Country) माना जाता है, LDCs देश नहीं.

इसलिए भारत संयुक्त राष्ट्र की तरफ से निर्धारित 44 सबसे कम विकसित देशों की सूची में शामिल नहीं है. लेकिन चूंकि ट्रंप ने इस शब्द को नीति या परिभाषा के रूप में स्पष्ट नहीं किया, इसलिए उनके बयान से यह तय नहीं होता कि आव्रजन रोकथाम (immigration halt) में भारत शामिल होगा या बाहर रखा जाएगा.

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