भारत में कृषि सुधार को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है. मोदी सरकार द्वारा तीन कृषि कानून भी इसी आधार पर लाए गए थे. लेकिन बाद में किसान आंदोलन की वजह से सरकार ने उन तीनों ही कानूनों को वापस लेने का फैसला किया. लेकिन इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ मानती हैं कि भारत में मजबूत कृषि सुधार की सख्त जरूरत है.
कृषि सुधार पर गीता गोपीनाथ
दावोस में आजतक से खास बातचीत करते हुए गीता गोपीनाथ ने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. उनकी नजरों में भारत को कई कृषि सुधार करने पड़ेंगे. इस बारे में वे कहती हैं कि भारत को कृषि सुधार की काफी जरूरत है, इसके लिए उसे राजनीतिक समर्थन भी चाहिए. इसके अलावा भारत को वर्तमान में स्कूल और वहां मिल रही शिक्षा पर भी फोकस जमाना होगा.
बातचीत के दौरान क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भी गीता गोपीनाथ से सवाल पूछे गए. इस पर उनका साफ कहना था कि वे खुद इससे दूर रहती हैं. वे रिस्क लेने से बचती हैं. वे बताती हैं कि सिर्फ 6 महीने के अंदर में क्रिप्टो ने 3 ट्रिलियन डॉलर से 1.5 ट्रिलियन डॉलर तक का सफर तय कर लिया. ये इतना आसान निवेश नहीं है. ऐसे में अगर कोई इनमें निवेश कर रहा है, तो वो बड़े रिस्क ले रहा है.
महंगाई पर उनके विचार
गीता गोपीनाथ ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस समय महंगाई हर देश में बढ़ रही है. जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, ग्लोबल ग्रोथ पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है. उनकी माने तो अप्रैल महीने में भी ग्रोथ का अनुमान 4.4% से घटाकर 3.6% भी उन्हीं कारणों की वजह से किया गया था. डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर ये भी मानती हैं कि अभी चीन की सुस्त होती अर्थव्यवस्था का भी दुनिया पर असर पड़ने वाला है.
उनका कहना है कि लॉकडाउन की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है. चीन की ग्रोथ भी अप्रैल में 4.4% कर दी गई थी. अगर चीन की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ती है, तो इसका सीधा असर एशिया और ईस्ट एशिया पर पड़ेगा. अब चीन में सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था का भारत पर भी असर दिखने वाला है.
भारत के सामने क्या चुनौतियां?
भारत के सामने क्या चुनौतियां आने वाली हैं, इस मुद्दे पर भी गीता गोपीनाथ ने विस्तार से बात की है. उनकी माने तो कोयले की कमी भारत के लिए बड़ा संकट है. कुछ समय पहले इसी वजह से देश के कई राज्यों में बिजली संकट भी पैदा हो गया था. इसके अलावा गीता मानती हैं कि भारत को जल्द से जल्द लैंड और लेबर रीफॉर्म लाने होंगे. अभी कई भारतीय कंपनियां छोटी हैं, उन्हें नहीं पता कि स्केल कैसे करना है. ऐसे में नई रणनीति की दरकार है.
इस सब के अलावा गीता गोपीनाथ ने आरबीआई के उस फैसले का भी बचाव किया जहां पर रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया था. गीता मानती हैं कि कई मामलों में लचीला होना जरूरी रहता है. सब्सिडी देने से पहले भी भारत को अपने फिस्कल डेफिसिट पर ध्यान देना होगा.
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