चीन: बड़े नेताओं को जिनपिंग ने दिलाई 'वफादारी' की शपथ, 'फरार' हैं खुफिया प्रमुख

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सीनियर नेताओं को वफादारी की शपथ दिलवाई है. ऐसा सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह से पहले हुआ है.

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शी जिनपिंग को किस बात का है डर? शी जिनपिंग को किस बात का है डर?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2021,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST
  • जिनपिंग ने सीनियर नेताओं को वफादारी की दिलाई शपथ
  • खुफिया प्रमुख डोंग जिंगवेई के लापता होने से सतर्क चीन

चीन के खुफिया प्रमुख डोंग जिंगवेई (Dong Jingwei) के अमेरिका 'फरार' होने की खबरों के बीच राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से बड़ा कदम उठाया गया है. चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट  पार्टी के शताब्दी समारोह से पहले शी जिनपिंग ने अपने पार्टी नेताओं को वफादारी की शपथ दिलवाई है. इसके साथ-साथ, शपथ समारोह को वहां के टीवी नेटवर्क पर प्रसारित भी किया गया है. इसको डोंग जिंगवेई वाली घटना से जोड़कर भी देखा जा रहा है.

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दरअसल, पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चीन के खुफिया प्रमुख डोंग जिंगवेई अमेरिका 'फरार' हो गए हैं. इतना ही नहीं, यह भी दावा किया गया है कि उन्होंने वुहान लैब (जहां से कथित रूप से कोरोना फैला) के बारे में जानकारी अमेरिका को सौंपी है.

चीन ने सीनियर नेताओं को दिलाई 'वफादारी' की शपथ

इसी बीच समाचार एजेंसी की खबर के मुताबिक, कम्युनिस्ट पार्टी के शताब्दी समारोह से पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सीनियर नेताओं को वफादारी की शपथ दिलवाई है. इसमें पार्टी नेताओं को नेतृत्व की बात मानने और देश के लिए संघर्ष करने को कहा गया है, जिससे चीन का आधुनिकीकरण और राष्ट्रीय कायाकल्प हो.

बता दें कि जिनपिंग ने दिसंबर 2012 में चीन की सत्ता संभाली थी. फिलहाल वह कम्युनिस्ट पार्टी के कोर लीडर हैं. पार्टी के सीनियर नेताओं को यह शपथ ग्रहण राजधानी बीजिंग में करवाया गया था. यहां जिनपिंग एक नए म्यूजियम का उद्घाटन करने पहुंचे थे. इस शपथ ग्रहण को चीन के आधिकारिक मीडिया चैनल्स पर प्रसारित किया गया था.

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चीन की सत्ताधारी पार्टी में करीब 90 मिलियन सदस्य हैं. माओ ने 1921 में इसकी स्थापना की थी. यह 1949 से चीन की सत्ताधारी पार्टी है. चीन में 1 जुलाई से पार्टी का शताब्दी समारोह मनाया जाएगा. इसमें कई कार्यक्रम होंगे, जिसमें मिलिट्री परेड भी शामिल है.

पार्टी का यह शताब्दी समारोह ऐसे वक्त में मनाया जा रहा है, जब कई वजहों से चीन की वैश्विक स्तर पर निंदा हो रही है. इसमें से कोरोना का फैलना सबसे प्रमुख है. इसके अलावा उसपर झिंजियांग, हांगकांग और तिब्बत में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगते रहे हैं.

 

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