इस साल की शुरुआत में अमेरिका के ऊपर उड़ने वाला चीनी जासूसी गुब्बारा किसी भी तरह की खुफिया जानकारी हासिल करने में नाकाम रहा था. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा कि गुब्बारे को गिराए जाने से पहले उसने कोई जानकारी एकत्रित नहीं की थी.
पेंटागन के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने संवाददाताओं से कहा, "हमारा आकलन है कि जब यह अमेरिका के ऊपर से उड़ान भर रहा था तो ये कोई जानकारी एकत्रित नहीं कर पाया था." बता दें कि चीन का ये जासूसी गुब्बारा मारे गिराए जाने से पहले अमेरिका और कनाडा के ऊपर उड़ान भरता रहा था.
क्या था पूरा मामला?
इस साल जनवरी के आखिरी हफ्ते में चीन का एक गुब्बारा अमेरिकी वायुक्षेत्र में मंडराता दिखाई दिया था. अमेरिकी सेना ने उस पर कड़ी नजर रखी थी. तीन दिनों तक गुब्बारा अमेरिका के मोंटाना क्षेत्र में उड़ता रहा. मोंटाना में ही अमेरिका का एक न्यूक्लियर मिसाइल क्षेत्र है और अमेरिका को अंदेशा था कि गुब्बारा संवेदनशील क्षेत्र से गुजरते हुए जानकारी चीन तक पहुंचाएगा.
बाइडेन ने दिया था गुब्बारे को गिराने का आदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सुरक्षा कारणों की वजह से इस गुब्बारे को गिराने के आदेश दे दिए थे. उनका कहना था कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि तीन बसों के आकार के गुब्बारे से किसी को नुकसान न हो, इसलिए गुब्बारे के अटलांटिक महासागर के ऊपर आने का इंतजार किया गया. गुब्बारा जब समुद्री क्षेत्र में आया, उसके बाद अमेरिकी एयरफोर्स ने हाई टेक F-22 रैप्टर एयरक्राफ्ट की मदद से चीनी गुब्बारे को मार गिराया. चीन ने गुब्बारा गिराए जाने से पहले तो नरमी दिखाई थी लेकिन जब अमेरिका ने उसे मार गिराया और मलबा देने से इनकार कर दिया तो चीन भड़क गया.
जासूसी गुब्बारे पर चीन ने क्या कहा था?
वहीं इस मामले में चीन ने कहा था कि उसका मौसम की जानकारी जमा करने वाला गुब्बारा गलती से अमेरिकी एयरस्पेस में चला गया था. इसको लेकर अमेरिका-चीन के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया था. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन उस समय रिश्तों को सामान्य करने के लिए चीन जाने वाले थे, इस घटना के बाद उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया था. गुब्बारा गिराए जाने के बाद अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कोशिश की थी कि दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की फोन पर बात हो, लेकिन चीन ने इस पेशकश को ठुकरा दिया था.
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