एशिया में चीन और जापान के बीच तनाव अचानक बहुत बढ़ गया है. वजह है जापान की प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची का वो बयान, जिसमें उन्होंने कहा कि अगर चीन ताइवान के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई करता है या उसकी नाकेबंदी करता है, तो जापान जवाब देने पर मजबूर हो सकता है. चीन ने इसे सीधा चुनौती माना और बेहद सख़्त प्रतिक्रिया दी.
सबसे बड़ा विवाद तब हुआ जब चीन के ओसाका काउंसल जनरल शुए जियान ने सोशल मीडिया पर ताकाइची को लेकर हिंसक भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने लिखा कि ताकाइची का "गंदा सिर काट देना चाहिए." यह पोस्ट बाद में हटा दी गई, लेकिनg बयान ने दोनों देशों के बीच आग लगा दी.
आर्थिक प्रतिशोध के अलावा, चीन ने जापान को धमकी दी है कि अगर उसने ताइवान के साथ उसके एकीकरण के प्रयास में हस्तक्षेप करने की कोशिश की तो उसे "करारी हार" मिलेगी.
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इसके बाद चीन ने जापान यात्रा पर सेफ्टी एडवाइजरी जारी की. अपने नागरिकों से कहा कि जापान न जाएं क्योंकि वहां "गंभीर सुरक्षा खतरे" हैं. इसका जापान की अर्थव्यवस्था पर तुरंत प्रभाव पड़ा. पर्यटन और रिटेल कंपनियों के शेयर गिरने लगे. हर साल लगभग 75 लाख चीनी पर्यटक जापान जाते हैं, इसलिए यह चेतावनी टोक्यो के लिए बड़ा झटका है.
दीयाओ द्वीप पर भेजे नौसेना का जहाज
तनाव सिर्फ बयानों तक नहीं रुका. चीन ने अपने चार हथियारबंद कोस्ट गार्ड जहाज विवादित दीयाओ-सेनकाकू द्वीपों के पास भेज दिए. ये वही द्वीप हैं जिन्हें चीन अपना मानता है, लेकिन नियंत्रण जापान के पास है. इससे स्थिति और पेचीदा हो गई.
जापान हालात काबू करने की कोशिश में
जापान ने स्थिति शांत करने की कोशिश शुरू कर दी है. जापान के विदेश मंत्रालय के अधिकारी मसाआकी कनाई बीजिंग पहुंचे हैं. वह चीन को भरोसा दिला रहे हैं कि जापान की सुरक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है और ताकाइची का बयान युद्ध की चेतावनी नहीं था.
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जापान की अर्थव्यवस्था पहले से दबाव में
लेकिन चीन का रुख सख्त है. बीजिंग ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और कहता है कि अगर जरूरत हुई, तो बल प्रयोग भी करेगा. इधर जापान की अर्थव्यवस्था पहले ही दबाव में है. तीसरी तिमाही में उसकी GDP में गिरावट दर्ज हुई है. ऐसे में चीन की धमकियां टोक्यो के लिए और परेशानी बढ़ा सकती हैं.
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