कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की लिबरल पार्टी ने सोमवार को हुए चुनाव में सत्ता बरकरार रखी है. लिबरल पार्टी 167 निर्वाचन क्षेत्रों में आगे चल रही है या निर्वाचित हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ कंजर्वेटिव पार्टी 145 पर आगे चल रही है और अभी भी वोटों की गिनती जारी है. लिबरल्स को बहुमत के लिए हाउस ऑफ कॉमन्स की 343 सीटों में से 172 सीटें जीतने की जरूरत थी, जिससे वे किसी छोटी पार्टी के समर्थन के बिना शासन कर सकें.
ओटावा में विक्ट्री स्पीच के दौरान मार्क कार्नी ने कहा, "अमेरिका के साथ हमारा पुराना रिश्ता, जो लगातार बढ़ते एकीकरण पर आधारित था, खत्म हो गया है. अमेरिका द्वारा संचालित खुले वैश्विक व्यापार की प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है, जो बेहतर तो नहीं है, लेकिन जिसने दशकों तक हमारे देश को समृद्धि देने में मदद की है, खत्म हो चुकी है." कार्नी ने कहा कि आने वाले महीने चुनौतीपूर्ण होंगे और इसके लिए त्याग की जरूरत होगी.
'अमेरिका हम पर कब्जा...'
मार्क कार्नी ने कहा, "अमेरिका हमारी ज़मीन, हमारे संसाधन, हमारा पानी, हमारा देश चाहता है. ये धमकिया यूं ही नहीं हैं. राष्ट्रपति ट्रम्प हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे अमेरिका हम पर कब्ज़ा कर सके. ऐसा कभी नहीं होगा."
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कार्नी ने कहा, "हम अमेरिकी विश्वासघात के सदमे से उबर चुके हैं. हमें एक-दूसरे का ख्याल रखना होगा, जैसा कि मैं महीनों से चेतावनी दे रहा हूं." कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने वाशिंगटन से आने वाले खतरों के सामने कनाडा की एकता के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रम्प हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे अमेरिका हम पर कब्ज़ा कर सके, ऐसा कभी नहीं होगा. जब वह ट्रम्प के साथ बातचीत करेंगे, तो यह दो संप्रभु राष्ट्रों के बीच भविष्य के आर्थिक और सुरक्षा संबंधों पर बातचीत होगी.
उन्होंने जोर देकर कहा, "यह कनाडा है और हम तय करते हैं कि यहां क्या होगा. हम कनाडा के लिए सबसे अच्छा सौदा पाने के लिए अपनी पूरी ताकत से लड़ेंगे. कार्नी ने देश के लिए एक स्वतंत्र भविष्य बनाने की कसम खाई और नारा दिया: "Canada strong, Canada free, Canada forever."
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मार्क कार्नी ने आयात शुल्कों के मामले में वॉशिंगटन के साथ कड़ा रुख अपनाने का वादा किया था और कहा था कि कनाडा को अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए अरबों डॉलर खर्च करने होंगे. लेकिन उदारवादी शासन के नौ साल से ज्यादा वक्त के बाद बदलाव की मांग करने वाले दक्षिणपंथी कंजरवेटिव ने बड़ी ताकत दिखाई.
कंजरवेटिव नेता पियरे पोलिएवर ने कार्नी के लिबरल्स के सामने हार स्वीकार की और कहा कि उनकी पार्टी सरकार को जवाबदेह ठहराएगी. इस चुनाव नतीजे ने लिबरल्स को एक बार फिर से मौका दे दिया है.
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