कनाडा के साथ जारी राजनयिक विवाद के बीच भारत ने ट्रूडो सरकार से नई दिल्ली में रह रहे अतिरिक्त राजनयिकों को वापस बुलाने का अल्टीमेटम दिया था. इसके बावजूद कनाडा ने अभी तक अपने एक भी राजनयिक को वापस नहीं बुलाया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आज यानी गुरुवार को भी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि हम अपनी राजनयिक उपस्थिति में समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है.
मोदी सरकार ने बीते सप्ताह तीन अक्टूबर को कहा था कि एक सप्ताह के भीतर ट्रूडो सरकार अपने अतिरिक्त डिप्लोमैट्स को भारत से वापस बुला ले. अगर 10 अक्टूबर के बाद भी ये राजनयिक भारत में ही रहते हैं तो इनकी राजनयिक छूट खत्म कर दी जाएगी.
खालिस्तानियों के मुद्दे को लेकर कनाडा और भारत के बीच राजनयिक रिश्ते पिछले कुछ समय से बहुत ही खराब हैं. लेकिन दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले महीने भारत पर संगीन आरोप लगाते हुए भारत के एक सीनियर डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया था. इसके कुछ घंटे बाद ही भारत ने भी कनाडा के एक डिप्लोमैट को निष्कासित कर दिया था.
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर को कनाडा की संसद में बोलते हुए भारत पर आरोप लगाया था कि जून 2023 में हुई हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ हो सकता है.
भारत में ही कनाडा के अतिरिक्त राजदूत
ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मामले से अवगत लोगों ने कहा है कि कनाडा, भारत के साथ राजनयिक विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है. एक कनाडाई अधिकारी के हवाले से अखबार ने लिखा है कि भारत की तय समय सीमा से पहले कनाडा ने अपने किसी भी राजनयिक को नई दिल्ली से वापस नहीं बुलाया है.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में कनाडा के 62 राजनयिक भारत में हैं, जिसे भारत ने घटाकर 21 करने के लिए कहा था. लेकिन तय समय सीमा समाप्त होने के बावजूद कनाडा के अतिरिक्त राजनयिक भारत में रह रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या मोदी सरकार इन राजनयिकों पर कोई एक्शन लेगी?
भारत में कनाडा के राजनयिक बहुत ज्यादाः विदेश मंत्रालय
भारत ने इस बात को कई बार दोहराया है कि कनाडा में भारत के राजनयिक की तुलना में भारत में कनाडा के राजनयिक बहुत ज्यादा हैं. जिसे वियना कन्वेंशन के तहत बराबर होना जरूरी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आज यानी गुरुवार को भी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि हम अपनी राजनयिक उपस्थिति में समानता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है.
उन्होंने इस बात को एक बार फिर दोहराया कि भारत में कनाडाई दूतावास में जरूरत से ज्यादा राजनयिक हैं जिसे हमने बराबर करने के लिए कहा है. बीते सप्ताह गुरुवार को भी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि दोनों देशों में राजनयिकों की संख्या में बराबरी होना जरूरी है.
अरिंदम बागची ने आगे कहा था कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है. भारत फिलहाल दो चीजों पर ही फोकस कर रहा है. पहला- कनाडा में ऐसा माहौल हो, जहां भारतीय राजनयिक ठीक से काम कर सके. दूसरा- राजनयिक क्षमता के मामले में समानता हासिल करना.
निजी तौर पर विवाद सुलझाने की कोशिशः कनाडा
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और विदेश मंत्री मेलानी जोली ने बीते सप्ताह कहा था कि कनाडा निजी तौर पर भारत के साथ राजनयिक गतिरोध को सुलझाने की कोशिश कर रहा है. मामले से अवगत लोगों के हवाले से एफटी ने लिखा है कि पिछले महीने भी कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जोली और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिकी शहर वॉशिंगटन में एक सीक्रेट मीटिंग की थी.
हालांकि, कनाडा के विदेश मंत्री ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से भी इस मीटिंग की कोई जानकारी साझा नहीं की गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में भारत ने नई दिल्ली में कनाडाई राजनयिकों की संख्या में कमी लाने के फैसले को उचित ठहराते हुए वियना कन्वेंशन का हवाला दिया है. लेकिन कनाडा ने उस तर्क को खारिज कर दिया है. कनाडा का कहना है कि भारत वियना कन्वेंशन के उस संधि को गलत नजरिए से देख रहा है. राजनयिक दो देशों के संबंधों के बीच एक पुल का काम करते हैं.
भारत मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा ः कनाडा
विदेशी मामलों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कनाडाई सीनेट समिति के अध्यक्ष पीटर बोहेम ने एफटी से बात करत हुए कहा है कि वियना संधि में ऐसा कुछ भी नहीं है जो दो देशों के बीच राजनयिकों की संख्या की समानता की बात करता हो. लेकिन भारत इसे बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है.
वहीं, ओटावा विश्वविद्यालय में विदेशी मामलों के प्रोफेसर रोलैंड पेरिस का कहना है कि अगर भारत कानून का पालन करने वाला देश है तो वह वियना सम्मेलन की शर्तों का सम्मान करे और उस अनुसार काम करे.
क्या मोदी सरकार लेगी एक्शन?
मोदी सरकार ने चेतावनी दी थी कि अगर 10 अक्टूबर के बाद भी कनाडा के अतिरिक्त राजनयिक भारत में रहते हैं तो उनकी राजनयिक छूट खत्म कर दी जाएगी. राजनयिक छूट खत्म होने का मतलब होगा कि डिप्लोमैट्स भी फिर आम नागरिक बन जाएंगे. उन्हें सिविल और क्रिमिनल मामलों में हिरासत या गिरफ्तारी से जो छूट मिली होती है, वो हट जाएगी.
राजनयिक छूट विदेश में तैनात डिप्लोमैट को किसी भी मामले में गिरफ्तारी से छूट देती है. अगर किसी देश का डिप्लोमैट कोई अपराध भी करता है, तो भी उसे न तो गिरफ्तार किया जा सकता है और न ही हिरासत में लिया जा सकता है.
विएना कन्वेंशन का अनुच्छेद 29 कहता है कि डिप्लोमैटिक एजेंट को हिरासत में या गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. साथ ही डिप्लोमैट्स की सुरक्षा करना भी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है.
इसके अलावा विएना कन्वेंशन के अनुच्छेद 22 के तहत किसी भी डिप्लोमैटिक मिशन की संपत्ति की न तो कुर्की की जा सकती है और न ही उसकी तलाशी ली जा सकती है. मिशन के दस्तावेजों की जांच भी नहीं की जा सकती है.
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