एंटी इंडिया प्रोटेस्ट, अवामी लीग के दफ्तरों पर हमले... बांग्लादेश में चुनावी स्टंट से आउट ऑफ कंट्रोल हुए हालात

कट्टरपंथी नेता हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में भारी हिंसा और भारत विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. प्रदर्शनकारियों ने भारतीय दूतावासों और अवामी लीग के दफ्तरों को निशाना बनाया है. 2026 के चुनावों की घोषणा के बीच बढ़ती अशांति और चरमपंथी एजेंडा भारत के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है

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कट्टरपंथी नेता की मौत के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी नफरत चरम पर है (Photo: Screengrab) कट्टरपंथी नेता की मौत के बाद बांग्लादेश में भारत विरोधी नफरत चरम पर है (Photo: Screengrab)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 19 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

पड़ोसी देश बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल की गिरफ्त में है. एंटी-इंडिया कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद देशभर में भड़के हिंसक प्रदर्शनों ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था को चुनौती दी है, बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों को भी तनाव के नए मोड़ पर ला खड़ा किया है.

अंतरिम युनूस सरकार ने पहले भारत विरोधी प्रदर्शनों को शह दी लेकिन अब यही प्रदर्शन उसके गले की फांस बनते नजर आ रहे हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि आगामी चुनावों से पहले यह उबाल कहीं पूरी तरह आउट ऑफ कंट्रोल हो गया है.

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शरीफ उस्मान हादी को 12 दिसंबर को एक चुनावी अभियान के दौरान सिर में गोली मारी गई थी. गंभीर हालत में उसे सिंगापुर एयरलिफ्ट किया गया, जहां एक हफ्ते बाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. हादी की मौत की खबर सामने आते ही बांग्लादेश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए.

अवामी लीग के दफ्तर निशाने पर
चट्टोग्राम में प्रदर्शनकारियों ने भारत के उप उच्चायुक्त के आवास पर पथराव किया, जबकि राजशाही में भी भारतीय राजनयिक कार्यालय की ओर मार्च की कोशिश हुई, जिसे पुलिस ने रोक दिया. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में भारतीय सहायक उच्चायोग के पास पत्थरबाजी के दृश्य साफ दिखाई दिए.

हिंसा सिर्फ भारत विरोध तक सीमित नहीं रही. प्रदर्शनकारियों ने अवामी लीग के दफ्तरों को भी निशाना बनाया और भारत में शरण लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने की मांग की. हादी 2024 में शेख हसीना सरकार के खिलाफ हुए आंदोलन का बड़ा चेहरा माना जाता था. उसकी मौत ने सत्ता विरोधी और कट्टरपंथी ताकतों को एक नया मुद्दा दे दिया है.

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ढाका में हालात बेकाबू, आंसू गैस का इस्तेमाल
बुधवार को ढाका में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने भारतीय राजनयिक परिसरों-खासकर भारत के उप उच्चायुक्त के आवास के बाहर जमा होने की कोशिश की. हालात बिगड़ता देख पुलिस को आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा. इस प्रदर्शन में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के कार्यकर्ता भी शामिल हुए, जो पिछले साल के छात्र आंदोलन से निकली एक प्रभावशाली राजनीतिक धारा मानी जाती है.

प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हादी के हमलावर भारत भाग गए हैं और इसी बहाने एंटी इंडिया नारे लगाए गए. कुछ नेताओं ने तो अंतरिम सरकार से भारतीय उच्चायोग बंद करने तक की मांग कर डाली और आवामी लीग के दफ्तरों पर भी हमले किए.

पिछले कई दिनों से “जुलाई ओइक्को (July Unity)” के बैनर तले भारत विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि जिन लोगों को वे भगोड़ा मानते हैं, जिसमें शेख हसीना भी शामिल हैं उन्हें वापस लाया जाए.हालात की गंभीरता को देखते हुए राजशाही और खुलना में भारतीय वीजा आवेदन केंद्र (IVAC) अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए हैं.

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चुनाव की घोषणा और बढ़ता शक
भारत ने बांग्लादेश में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति पर कड़ा रुख अपनाया है. विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त रियाज हामिदुल्लाह को तलब कर गंभीर चिंता से अवगत कराया. MEA ने साफ कहा कि बांग्लादेश में हालिया घटनाओं को लेकर चरमपंथी तत्वों द्वारा फैलाए जा रहे झूठे नैरेटिव को भारत पूरी तरह खारिज करता है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि अंतरिम सरकार न तो निष्पक्ष जांच कर पाई है और न ही भारत के साथ ठोस सबूत साझा किए गए हैं.

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इस पूरे उथल-पुथल के पहले बांग्लादेश में 13वें संसदीय चुनावों की तारीख का ऐलान हो चुका है. मुख्य चुनाव आयुक्त ए.एम.एम. नासिर उद्दीन ने बताया कि चुनाव 12 फरवरी 2026 को होंगे. इसी दिन पहली बार एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह (July Charter) भी कराया जाएगा. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चुनाव और जनमत संग्रह से पहले जिस तरह भावनाओं को भड़काया जा रहा है, वह एक चुनावी स्टंट भी हो सकता है, जो हालात को और विस्फोटक बना सकता है.

यूनुस की अपील, लेकिन सड़कों पर उबाल
मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने राष्ट्र के नाम संबोधन में हादी की मौत को “दिल दहला देने वाला” बताया और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का वादा किया. उन्होंने लोगों से संयम बरतने की अपील की, लेकिन उनकी अपील के बावजूद शाहबाग चौराहे पर सैकड़ों लोग जुटे और नारेबाजी की. छात्र संगठन जातीय छात्र शक्ति ने प्रदर्शन के दौरान गृह सलाहकार का पुतला जलाया और इस्तीफे की मांग की.

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स्थिति तब और गंभीर हो गई जब प्रदर्शनकारियों ने ढाका में प्रोथोम आलो और डेली स्टार जैसे प्रमुख अखबारों के दफ्तरों पर हमला कर दिया. तोड़फोड़, आगजनी और पत्रकारों को बंधक जैसी स्थिति ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या विरोध अब अराजकता में बदल रहा है.

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भारत की चिंता
रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि 1971 के बाद यह भारत के लिए बांग्लादेश में सबसे बड़ी चुनौती हो सकती है. तब संकट मानवीय था, आज खतरा राजनीतिक दिशा बदलने और भारत-विरोधी ध्रुवीकरण का है.हादी की मौत, एंटी इंडिया प्रदर्शन, अवामी लीग पर हमले और चुनावी माहौल, इन सबके बीच बांग्लादेश एक नाज़ुक मोड़ पर खड़ा है. सवाल यही है कि क्या अंतरिम सरकार हालात संभाल पाएगी, या फिर चुनावी राजनीति के नाम पर यह आग और भड़केगी.

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