'मुझे बेइज्जत किया गया, मैं अब इस पद पर नहीं रहना चाहता', मोहम्मद यूनुस से परेशान बांग्लादेश के राष्ट्रपति

बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि वह फरवरी 2025 के चुनाव के बाद अपना कार्यकाल बीच में ही छोड़ना चाहते हैं, क्योंकि मोहम्मद यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार उन्हें लगातार नजरअंदाज और अपमानित कर रही है. 2024 में शेख हसीना के देश छोड़ने और संसद भंग होने के बाद वे देश के एकमात्र संवैधानिक पदाधिकारी रह गए थे.

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शहाबुद्दीन के मुताबिक यूनुस ने लगभग सात महीनों से उनसे मुलाकात नहीं की है. (File Photo: Reuters) शहाबुद्दीन के मुताबिक यूनुस ने लगभग सात महीनों से उनसे मुलाकात नहीं की है. (File Photo: Reuters)

aajtak.in

  • ढाका,
  • 12 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:51 AM IST

बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा है कि वह फरवरी में होने वाले संसदीय चुनाव के बाद अपने कार्यकाल के बीच में ही पद छोड़ना चाहते हैं. गुरुवार को न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए एक इंटरव्यू में शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की ओर से 'अपमानित' और 'साइडलाइन' किया जा रहा है.

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2023 में बने थे राष्ट्रपति

शहाबुद्दीन बांग्लादेश की सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर हैं. हालांकि देश में राष्ट्रपति का पद मुख्य रूप से औपचारिक माना जाता है और वास्तविक कार्यकारी शक्ति प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के पास होती है. लेकिन अगस्त 2024 में छात्र आंदोलन के कारण लंबे समय से प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना के देश छोड़ने और संसद भंग होने के बाद राष्ट्रपति ही देश के एकमात्र संवैधानिक रूप से अधिकृत पदाधिकारी रह गए थे.

शहाबुद्दीन को 2023 में अवामी लीग के उम्मीदवार के तौर पर पांच साल के कार्यकाल के लिए निर्विरोध चुना गया था, लेकिन अब अवामी लीग को 12 फरवरी को होने वाले चुनाव में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.

'मैं पद छोड़ना चाहता हूं'

ढाका स्थित राष्ट्रपति भवन से व्हाट्सऐप के माध्यम से दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वह अब इस पद पर बने नहीं रहना चाहते. उन्होंने कहा, 'मैं पद छोड़ना चाहता हूं. मैं बाहर जाना चाहता हूं.' उन्होंने स्पष्ट किया कि वह केवल चुनाव तक ही पद पर बने रहेंगे. उन्होंने कहा, 'जब तक चुनाव नहीं हो जाते, मुझे बने रहना चाहिए. मैं सिर्फ इसलिए पद पर हूं क्योंकि यह संवैधानिक जिम्मेदारी है.'

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'सात महीनों से नहीं मिले यूनुस'

उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने उन्हें पूरी तरह से हाशिये पर धकेल दिया है. उनके अनुसार, यूनुस ने लगभग सात महीनों से उनसे मुलाकात नहीं की, उनके प्रेस विभाग को हटा दिया गया और सितंबर में दुनिया भर में दूतावासों व मिशनों से उनकी तस्वीर उतार दी गई.

'एक रात में सभी दूतावासों से हटा दी मेरी तस्वीर'
 
उन्होंने कहा, 'सभी दूतावासों, हाई कमीशनों और कांसुलेट्स में राष्ट्रपति की तस्वीर लगी होती थी, लेकिन एक ही रात में इन्हें हटा दिया गया. इससे लोगों के बीच गलत संदेश जाता है कि शायद राष्ट्रपति को ही हटाया जा रहा है. मुझे बेहद अपमानित महसूस हुआ.'

शहाबुद्दीन ने कहा कि उन्होंने अपनी तस्वीर हटाई जाने के मामले में यूनुस को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने कहा, 'मेरी आवाज को दबा दिया गया है.' रॉयटर्स के मुताबिक, यूनुस के मीडिया सलाहकारों ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

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