कुर्सी की वैलिडिटी रिचार्ज और बांग्लादेश में बढ़ा गुस्सा... 'इंडिया कार्ड' खेलकर बच पाएंगे यूनुस?

बांग्लादेश की सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस हर बार करते हैं कि उन्हें बांग्लादेश की कुर्सी से मोह नहीं है, लेकिन वे हर बार इसका उल्टा करते हैं. कायदे से उन्हें चुनाव की घोषणा कर देनी चाहिए थी. लेकिन चुनाव सुधार का हवाला देकर वे इसे लगातार टाल रहे हैं अब तो BNP भी इसका विरोध करने लगी है. ऐसे मौके पर वे भारत विरोधी बयान दे रहे हैं. 

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मोहम्मद यूनुस भारत के खिलाफ क्यों कर रहे हैं बयानबाजी? मोहम्मद यूनुस भारत के खिलाफ क्यों कर रहे हैं बयानबाजी?

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2025,
  • अपडेटेड 1:22 PM IST

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस भारत के साथ संबंधों को बिगाड़ने में मिशन मोड से लगे हुए हैं. मोहम्मद यूनुस जिस किसी भी मंच पर होते हैं भारत की आलोचना करते हैं. पीएम नरेंद्र मोदी पर उंगली उठाते हैं. लेकिन मोहम्मद यूनुस के इंडिया कार्ड का राजनीतिक मकसद है. 

दरअसल गंभीर आर्थिक संकट, घटता रेडीमेड कपड़े का निर्यात, सेना का दबाव और इन सबसे ज्यादा चुनाव न कराने की वजह से उपजे आंतरिक असंतोष से बंगाली जनता का ध्यान हटाने के लिए भारत से टकराव करने वाला बयान देते रहते हैं. 

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मोहम्मद यूनुस का एंटी इंडिया बयान भारत विरोधी रही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमाते-इस्लामी की विचारधारा को सूट करता है. ये दोनों ही संगठन ऐतिहासिक रूप से भारत के प्रति शत्रुता और संशय का भाव रखते हैं. मोहम्मद यूनुस के बेसिर-पैर के भारत विरोधी बयानों को सुनकर ये दोनों संगठन खुश होते हैं और ऐसा करते हुए मोहम्मद यूनुस अपने पॉलिटिकल लाइफ की रिचार्ज वैलिडिटी को बढ़ाते रहते हैं.

गौरतलब है कि मोहम्मद यूनुस ने सत्ता संभालते ही कुछ ही महीनों में चुनाव करवाने का दावा किया था. लेकिन युनूस ने चुनाव की नई तारीख अप्रैल 2026 दी है. यानी कि वे अभी एक साल तक और बांग्लादेश के कर्ता-धर्ता बने रहेंगे.

कुछ ही दिन पहले मोहम्मद यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर बयान दिया था और कहा था कि इस क्षेत्र में मौजूद समुद्र के मालिक सिर्फ हम हैं. इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी.

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अभी लंदन में मौजूद मोहम्मद यूनुस एक बार फिर से भारत से तनाव बढ़ाने वाले बयान दे रहे हैं. 

लंदन में एक थिंक टैंक से बात करते हुए यूनुस ने कहा कि 'हम भारत के साथ बेहतरीन संबंध बनाना चाहते हैं. यह हमारा पड़ोसी है, हम उसके साथ किसी भी तरह की बुनियादी समस्या नहीं रखना चाहते हैं, लेकिन किसी न किसी तरह हर बार चीजें गलत हो जाती हैं क्योंकि भारतीय प्रेस से फर्जी खबरें आती हैं... और कई लोग कहते हैं कि इसका संबंध वहां शीर्ष पर बैठे नीति निर्माताओं से है."
  
यूनुस ने शेख हसीना मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर कहा कि उन्होंने शेख हसीना के सोशल मीडिया बयानों पर रोक लगाने की मांग की लेकिन पीएम मोदी ने इससे इनकार कर दिया. 

यह भी पढ़ें: यूनुस का दावा- PM मोदी से की शेख हसीना पर बात, जवाब मिला- सोशल मीडिया को कंट्रोल नहीं कर सकते

यूनुस ने कहा कि यह एक विस्फोटक स्थिति है, आप यह कहकर बच नहीं सकते कि यह सोशल मीडिया की वजह से है.

गौरतलब है कि शेख हसीना को कुर्सी से हटाकर ही यूनुस बांग्लादेश के चीफ प्रशासक बने हैं. शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग के खिलाफ यूनुस के बयानों को बांग्लादेशी मीडिया में तरजीह मिलती तो है ही ऐसे बयानों पर BNP और जमाते-इस्लामी भी उनकी पीठ थपथपाते हैं.  

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आइए समझते हैं कि मोहम्मद यूनुस के भारत विरोधी बयानों की वजह क्या है?

अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस यह जानते हुए भी भारत के खिलाफ बयानबाजी करते हैं कि बांग्लादेश की इकोनॉमी बगैर भारत के मदद के सुचारू रूप से नहीं चल सकती है. इसकी ये वजहें हैं. 

सत्ता की वैलिडिटी को रिचार्ज कराना

मोहम्मद यूनुस हर बार करते हैं कि उन्हें बांग्लादेश की कुर्सी से मोह नहीं है, लेकिन वे हर बार इसका उल्टा करते हैं. कायदे से उन्हें चुनाव की घोषणा कर देनी चाहिए थी. लेकिन चुनाव सुधार का हवाला देकर वे इसे लगातार टाल रहे हैं अब तो BNP भी इसका विरोध करने लगी है. ऐसे मौके पर वे भारत विरोधी बयान दे रहे हैं. 

विदेशी मामलों पर लिखने वाली पत्रिका द डिप्लोमैट के अनुसार यूनुस का भारत विरोधी रुख बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी जैसे दलों का समर्थन हासिल करने का प्रयास है, जो ऐतिहासिक रूप से भारत विरोधी रहे हैं. बांग्लादेश के लिए प्रोग्रेसिव और उदार सरकार जरूरी है लेकिन वह घरेलू समर्थन के लिए भारत विरोधी रुख अपना रहे हैं."


यूनुस की सरकार को आंतरिक दबावों का सामना है, जिसमें बीएनपी और छात्र संगठनों द्वारा जल्दी चुनाव की मांग और सेना की बढ़ती असहजता शामिल है.

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भारत विरोधी बयान देकर यूनुस इन दलों के बीच अपनी पैठ बनाए रखने की कोशिश करते हैं और जनता के बीच सत्ता पर अपनी पकड़ भी मजबूत करते हैं.
आंतरिक समस्याओं से ध्यान भटकाना

कभी शेख हसीना के प्रत्यर्पण, कभी सीमा पर तनाव और कभी बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा उठाकर यूनुस अपनी जनता का ध्यान घरेलू समस्याओं से मोड़ रहे हैं. बांग्लादेश में आंतरिक असंतोष की स्थिति है, हिन्दुओं पर हमले हो रहे हैं, रेडीमेड उद्योग संकट से गुजर रहा है. लेकिन यूनुस के पास कोई जवाब नहीं है. उन्हें सत्ता हाथ में लिए 10 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. 

माइक्रो इकोनॉमी के नोबेल लेने वाले यूनुस अपने देश की इकोनॉमी के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पा रहे हैं. 

द प्रिंट के अनुसार, "यूनुस सरकार भारत विरोधी भावनाओं को भड़काकर आंतरिक अस्थिरता और अल्पसंख्यकों पर हमलों जैसे मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है."

इधर यूनुस ने हिंदुओं पर हमलों को "प्रचार" और "हसीना द्वारा प्रायोजित" बताते हैं ताकि वे अपने प्रशासन की नाकामी को छिपा सकें. विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुख उनकी सरकार की कमजोरियों को छिपाने और जनता का ध्यान बाहरी "शत्रु" (भारत) पर केंद्रित करने का प्रयास है.

भू-राजनीतिक बैलेंसिंग

यूनुस की सरकार ने पाकिस्तान, चीन, और तुर्की जैसे देशों के साथ संबंधों को बढ़ावा दिया, जो भारत के लिए चिंता का विषय है. कुछ दिन पहले यूनुस की चीन यात्रा और बांग्लादेश को भारत के पूर्वोत्तर के लिए 'संरक्षक' कहना एक भू-राजनीतिक संदेश है, जो चीन के प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश को दर्शाता है."

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बीबीसी के विश्लेषक अंबरसन एथिराजन ने यूनुस की "मेगाफोन डिप्लोमेसी" की आलोचना की, जिसमें उन्होंने भारत के साथ संवेदनशील मुद्दों को मीडिया के माध्यम से उठाया. रिपोर्ट के अनुसार यह भारत को परेशान करने और क्षेत्रीय शक्तियों से समर्थन हासिल करने की रणनीति हो सकती है.

कट्टर इस्लामिक तत्वों का समर्थन

यूनुस की सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और अन्य इस्लामवादी समूहों पर प्रतिबंध हटाया, जिससे बांग्लादेश में धार्मिक कट्टरता बढ़ी है. यूनुस की सरकार ने कट्टरपंथी इस्लामी नेताओं को रिहा किया. ऐसा कर वे इस्लामी तत्वों के बीच लोकप्रिय हो रहे हैं. उनका ये रूख बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले छात्र समूहों को भी पसंद आता है. 

हिंदू अखबार के अनुसार यूनुस ने अवामी लीग को "फासीवादी" कहकर और उनके सहयोगियों को राजनीतिक चर्चाओं से बाहर रखकर इस्लामवादी और भारत विरोधी दलों को मजबूत किया. विशेषज्ञों का मानना है कि यह रुख यूनुस की सरकार को इस्लामवादी समूहों का समर्थन दिलाने का प्रयास है, जो भारत के लिए खतरा पैदा करता है. 

द डिप्लोमैट के अनुसार, "यूनुस की वैश्विक छवि और पश्चिमी समर्थन उन्हें भारत के दबाव से बचाने में मदद करता है, जिसके कारण वह भारत विरोधी रुख अपनाने में साहस दिखा रहे हैं."

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दरअसल मोहम्मद यूनुस का यह रुख बीएनपी और इस्लामिक तत्वों का समर्थन पाने, अमेरिका और चीन जैसे देशों से वैधता हासिल करने और शेख हसीना के प्रभाव को कम करने का प्रयास है. हालांकि यूनुस की यह रणनीति भारत के साथ संबंधों को नुकसान पहुंचा रही है और लंबे समय में बांग्लादेश की स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है.

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