हाल ही में खबर आई कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने देशभर में इंटरनेट और टेलिकॉम सेवाओं को पूरी तरह ठप कर दिया है. इंटरनेट ब्लैकआउट को अनैतिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए लागू किया गया था. लेकिन अब बुधवार को तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान में राष्ट्रव्यापी इंटरनेट बैन की खबरों को खारिज किया है. सरकार का कहना है कि पुराने इंटरनेट केबल घिस चुके हैं और उन्हें बदला जा रहा है इसलिए कम्युनिकेशन सेवाओं में थोड़ी दिक्कत आ रही है.
कम्युनिकेशन ब्लैकआउट पर तालिबान सरकार का यह पहला आधिकारिक बयान था. ब्लैकआउट से देशभर में बैंकिंग, व्यापार और हवाई सेवाएं बेहद प्रभावित हुई हैं.
पिछले महीने अफगानिस्तान के कई प्रांतों ने इंटरनेट बंद होने की पुष्टि की थी. इसे लेकर बताया गया था कि यह फैसला तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदजादा के आदेश पर लिया गया है ताकि अनैतिकता पर रोक लगाई जा सके.
लेकिन तालिबान ने हालिया देशव्यापी ब्लैकआउट को इस आदेश से अलग किया है. तालिबान अधिकारियों ने पाकिस्तानी पत्रकारों के लिए बनाए गए एक व्हाट्सऐप ग्रुप में जारी तीन लाइन के बयान में कहा, 'ऐसी अफवाहों में कोई सच्चाई नहीं है कि हमने इंटरनेट पर पाबंदी लगाई है.'
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जारी बयान में तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि मौजूदा राष्ट्रव्यापी ब्लैकआउट 'जर्जर फाइबर ऑप्टिक ढांचे' की वजह से है, जिसे अब बदला जा रहा है.
हालांकि, बयान में यह नहीं बताया गया कि इंटरनेट सेवाएं कब तक बहाल होंगी.
इंटरनेट निगरानी समूह नेटब्लॉक्स ने सोमवार को सबसे पहले रिपोर्ट दी थी कि इंटरनेट कनेक्टिविटी पूरे देश में बेहद खराब स्थिति में है, जिसमें राजधानी काबुल भी शामिल है. साथ ही टेलीफोन सेवाएं भी प्रभावित हुईं.
स्थानीय टीवी चैनल TOLO News से बातचीत में अफगान एयरलाइन काम एयर ने बताया कि सोमवार से बंद उड़ान सेवाएं शायद बुधवार को दोबारा काबुल के लिए शुरू की जा सकेंगी.
मानवीय सहायता देने वाले संगठनों ने चेतावनी दी है कि ब्लैकआउट की वजह से बड़े पैमाने पर दिक्कतें हो रही हैं और अधिकारियों से संपर्क बहाल करने की अपील की है.
बच्चों की मदद करने वाले संगठन सेव द चिल्ड्रन ने बुधवार को कहा, 'कम्युनिकेशन चैनलों का फिर से बहाल करना जीवनरक्षक सहायता पहुंचाने और भागीदारों के साथ तालमेल बिठाने के लिए बेहद जरूरी है.'
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालिबान के इंटरनेट पर पाबंदी की काफी आलोचना हुई जिसके बाद अब तालिबान की तरफ से ये बयान सामने आया.
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