अफगानिस्तान में भूकंप से तबाही! मलबे में तब्दील हुए घर, अब तक 9 की मौत... दिल्ली-NCR तक हिली धरती

भूकंप अफगानिस्तान के जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तरपूर्व में 8 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया. इस भूकंप से दिल्ली-एनसीआर के लोगों में दहशत हो गई. कई लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए. अफगान में भंकप से कम से कम 9 लोगों की मौत हुई है.

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भूकंप से अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में घरों को नुकसान पहुंचा है. (Photo- ITG) भूकंप से अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में घरों को नुकसान पहुंचा है. (Photo- ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:12 AM IST

अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी इलाके में रविवार-सोमवार की मध्य रात्रि को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.0 मापी गई. भूकंप इतना तेज था कि इसके झटके भारत के कई हिस्सों, खासकर दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस किए गए. इसके अलावा पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए.

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अफगान के नांगरहार जन स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता नकीबुल्लाह रहीमी ने रॉयटर्स को बताया कि भूकंप के तेज झटकों के चलते कम से कम 9 लोगों की मौत हुई है और 15 घायल हुए हैं. सभी घायलों को इलाज के लिए पास के अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

भूकंप के बाद की तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिनमें साफ नजर आ रहा है कि अफगानिस्तान में धरती हिलने के बड़ी संख्या में घर मलबे में तब्दील हो गए. 

जानकारी के मुताबिक भूकंप जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तरपूर्व में 19:17:34 UTC (1 सितंबर को 12:47 पूर्वाह्न IST) पर 8 किलोमीटर की गहराई पर दर्ज किया गया. इस भूकंप से दिल्ली-एनसीआर के लोगों में दहशत हो गई. नोएडा में भी भूकंप महसूस किया गया, जिसके चलते कई लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए. हालांकि इसमें भारत में किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है. 

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अफगानिस्तान में लगातार आते हैं भूकंप

रेड क्रॉस के अनुसार अफगानिस्तान का हिंदूकुश पर्वतीय इलाका भूवैज्ञानिक रूप से काफी सक्रिय है, जहां हर साल भूकंप आते रहते हैं. यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट्स के जंक्शन पर स्थित है, जबकि एक फॉल्ट लाइन सीधे हेरात से होकर गुजरती है.

पिछले महीने भी यहां कई झटके दर्ज किए गए थे. 2 अगस्त को 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई 87 किलोमीटर थी. वहीं, 6 अगस्त को 4.2 तीव्रता का भूकंप महसूस हुआ.

विशेषज्ञों का कहना है कि सतही (shallow) भूकंप गहरे भूकंपों की तुलना में ज्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनके झटके सतह तक कम दूरी में पहुंचते हैं और इससे जमीन पर कंपन ज्यादा तेज़ हो जाता है. इससे इमारतों को अधिक नुकसान और जनहानि की संभावना बढ़ जाती है.

भूकंप क्यों और कैसे आता है?

वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है. जब इससे डिस्‍टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है.

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कैसे मापी जाती है तीव्रता?

भूकंप को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.

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