हिंसा, पलायन, घोटाले का जाल... चुनाव से 11 महीने पहले चक्रव्यूह में फंसी बंगाल CM ममता बनर्जी?

ममता सरकार के लिए चुनौती ये है कि हिंसा करने वालों पर चुप्पी सबसे ज्यादा चुभ रही है. 11 तारीख को मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़की. दो लोगों को दंगाइयों ने उन्हीं के घर के बाहर मार डाला. इतने दिन बाद भी हिंसा को लेकर बुनियादी सवालों के जवाब नदारद हैं. इधर, बीजेपी की तरफ से दावा हुआ है कि इस हिंसा के पीछे PFI का भी हाथ हो सकता है.

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ममता बनर्जी (फाइल फोटो- पीटीआई) ममता बनर्जी (फाइल फोटो- पीटीआई)

आजतक ब्यूरो

  • नई दिल्ली,
  • 17 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 9:29 PM IST

वक्फ एक्ट को लेकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिंसा हुई. इसमें तीन लोगों की मौत हो गई, इसके साथ ही हिंदू नागरिकों का पलायन, पार्टी के सांसदों में खींचतान, शिक्षक भर्ती घोटाले में 25 हजार टीचर की भर्ती पर सुप्रीम कोर्ट से झटके के बाद ये राजनीतिक सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी चुनाव से पहले बड़े चक्रव्यूह में उलझ गई हैं?

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देश में इस वक्त ममता बनर्जी इकलौती मुख्यमंत्री हैं, जो सियासत के केंद्र में नरेंद्र मोदी के आने से पहले से पश्चिम बंगाल जीत रही हैं और पिछले 11 साल में भी उन्हें बंगाल में कोई हरा नहीं पाया, लेकिन अबकी बार पश्चिम बंगाल के चुनाव से पहले क्या ममता बनर्जी के लिए चुनौतियां बड़ी होती जा रही हैं? 

हिंसा के बाद उठे कई सवाल

चुनौती- वक्फ कानून को लेकर कानून व्यवस्था ना संभाल पाना, क्योंकि विरोध तो वक्फ कानून का पूरे देश में दिखा लेकिन हिंसा केवल पश्चिम बंगाल में दिखी. आरोप- साजिश के लगे. सवाल ममता राज पर उठा. सवाल ये उठा कि ममता बनर्जी के राज्य में कानून व्यवस्था मुर्शिदाबाद में 4 दिन हिंसा होने से रोक नहीं पाई. नतीजा- ये हुआ कि हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा. जहां अपने ही राज्य में हिंसा का जिम्मेदार बीजेपी को बताकर मानो ममता सरकार ये कह रही हो कि हिंसा रोकने में वो नाकाम रही. ममता बनर्जी के लिए हिंदू परिवार का ये पलायन आगे बड़ी चुनौती बन सकता है. जहां परिवार गुस्से में हैं. हिंसा पीड़ित राज्यपाल से मिले हैं. राज्यपाल अब खुद मुर्शिदाबाद जाना चाहते हैं. 

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ममता की चुप्पी बनेगी नई चुनौती?

जिन ममता पर तुष्टिकरण की सियासत का आरोप पहले बीजेपी लगाती आई, क्या वहां मुर्शिदाबाद की हिंसा के बाद हिंसा करने वालों पर मुख्यमंत्री की चुप्पी नई चुनौती बनेगी, जबकि दो विधानसभा चुनावों के बीच ममता बनर्जी का हिंदू वोट 4 फीसदी घटा है. जबकि बीजेपी का हिंदू वोट 38 फीसदी बढ़ा है. लेकिन इन्हीं दो चुनाव के बीच ममता बनर्जी की पार्टी का मुस्लिम वोट 24 फीसदी बढ़ा है. तो क्या इसी वजह से ममता को आशंका है कि हिंदू वोट और घटेगा तो मुस्लिम वोट अपना संभालकर ऱखना है. बंटने नहीं देना है. और इसीलिए ममता बनर्जी ये तक कहती हैं कि वक्फ का विरोध दिल्ली तक करो. 

हिंसा के पीछे PFI का हाथ?

ममता सरकार के लिए चुनौती ये है कि हिंसा करने वालों पर चुप्पी सबसे ज्यादा चुभ रही है. 11 तारीख को मुर्शिदाबाद में हिंसा भड़की. दो लोगों को दंगाइयों ने उन्हीं के घर के बाहर मार डाला. इतने दिन बाद भी हिंसा को लेकर बुनियादी सवालों के जवाब नदारद हैं. इधर, बीजेपी की तरफ से दावा हुआ है कि इस हिंसा के पीछे PFI का भी हाथ हो सकता है. मुर्शिदाबाद में हिंसा को हफ्ताभर होने को है, लेकिन वहां आग किसने लगाई ये अब भी बड़ा सवाल बना हुआ है. सवाल ये भी है कि वक्फ कानून के विरोध की आड़ में विरोध हिंसक कैसे हो गया?

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बीजेपी ने उठाए 2 सवाल

इसे लेकर BJP की तरफ से दो बड़े दावे हुए हैं. पहला ये कि हिंसा करने के लिए मस्जिद के लाउडस्पीकर से ऐलान हुआ था. BJP की तरफ से दूसरा दावा ये किया गया कि मुर्शिदाबाद को जलाने में PFI का भी हाथ हो सकता है. वहीं हिंसा के सवाल पर ममता बनर्जी जांच का इंतजार करने को कहकर BJP पर हमलावर हैं. मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर BJP और TMC जहां एक दूसरे को कटघरे में खड़ा करने में व्यस्त है, वहीं इस हिंसा में अपने दो लोगों को खोने वाला परिवार पूरी तरह से बिखर चुका है और उसने ममता सरकार से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है. बीजेपी जहां NIA से जांच करवाना चाहती है, तो ममता बनर्जी SIT की टीम बनाकर आश्वस्त दिखती है, लेकिन मुर्शिदाबाद में हिंसा का शिकार बने लोग सड़क पर हैं उनका सबकुछ लुट चुका है.

राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में सौंपी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर आज राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट सौंपी है. इसमें बताया है कि कुल 315 गिरफ्तारियां हुई हैं. केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती हुई है. सूती और शमसेरगंज में हिंसा की जांच के लिए एसआईटी बनाई है. इंटरनेट सर्विसेज कुछ दिनों के लिए निलंबित हैं. कुल एक हजार 546 सोशल मीडिया खाते में 1257 बंद करने कहा है, फेसबुक के 918 अकाउंट बंद करने के लिए राज्य सरकार ने लिखा है. अब तक ये कार्रवाई तो हुई है, लेकिन कल फिर शुक्रवार है. जुमे की नमाज के बाद ही अब तक मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से वक्फ का विरोध जताने की बात पर प्रदर्शन होता आया है.

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