तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता अभिषेक बनर्जी ने मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद निर्माण को लेकर चल रही राजनीति और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया पर केंद्र सरकार, बीजेपी और चुनाव आयोग को घेरते हुए कई गंभीर सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि मस्जिद या मंदिर जैसे धार्मिक स्थल किसी भी तरह की राजनीतिक रोटियों का विषय नहीं बनने चाहिए. जो लोग धार्मिक स्थलों को राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करते हैं, उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए.
मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के निर्माण पर अभिषेक ने कहा कि वहां केवल ईंटें रखी हुई देखी हैं और कुछ नेता सिर्फ कम्युनल राजनीति को हवा दे रहे हैं. उन्होंने हुमायूं कबीर पर तंज कसते हुए कहा कि जो नेता कभी बीजेपी के उम्मीदवार रह चुके हैं, उन्हें तब बाबरी मस्जिद तोड़ने वाली पार्टी से जुड़ने में कोई आपत्ति क्यों नहीं हुई.
बीजेपी पर शवों की राजनीति का आरोप लगाते हुए अभिषेक ने पुलवामा हमले के समय भी राजनीतिक पोस्टर लगाने की बात कही. उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर जवाब मांगा और कहा कि प्रधानमंत्री ने इस पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी.
एसआईआर और चुनाव आयोग पर सवाल
एसआईआर प्रक्रिया को लेकर उन्होंने दावा किया कि बीएलओ पर भारी दबाव पड़ा है, जिससे 58 मौतें हुईं और 29 बीएलओ ने आत्महत्या कर ली. चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए अभिषेक ने बताया कि आयोग ने उनके कई सवालों का जवाब नहीं दिया और बैठक के दिन गलत जानकारी लीक की गई. उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और केरल में लाखों मतदाताओं के नाम हटाए गए जबकि बंगाल में सबसे कम नाम हटाए गए, फिर भी बंगाल को निशाना बनाया जा रहा है.
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1.36 करोड़ मतदाताओं की सूची की मांग
अभिषेक ने चुनाव आयोग से मांग की कि 1.36 करोड़ कथित गलत मतदाताओं की सूची सार्वजनिक की जाए, जिसमें कितने रोहिंग्या और बांग्लादेशी शामिल हैं, इसकी जानकारी भी दी जाए. यदि लिस्ट जारी नहीं की गई तो चुनाव आयोग को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि कई जिंदा लोगों को मृत दिखाया गया है और जिला स्तर के प्रमाण उनके पास हैं.
आगे का राजनीतिक कार्यक्रम
अभिषेक बनर्जी ने घोषणा की कि वह 31 दिसंबर को दिल्ली जाकर चुनाव आयोग अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और बैठक का लाइव टेलीकास्ट करने की मांग करेंगे. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सूची जारी नहीं हुई तो वे चुनाव आयोग कार्यालय का घेराव करेंगे.
आगे के राजनीतिक कार्यक्रम की बात करते हुए अभिषेक ने कहा कि 1 जनवरी से वे सक्रिय होंगे और 2 जनवरी से सड़कों पर उतरेंगे. वे जिलों में रैलियां और जनसभाएं आयोजित कर पिछले 15 सालों का ममता सरकार के काम का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखेंगे. उनका यह आंदोलन बंगाल के अपमान और राज्य पर हो रहे हमलों के खिलाफ होगा.
अनुपम मिश्रा