कौन बनेगा बंगाल बीजेपी का अध्यक्ष? शमिक भट्टाचार्य को मिल सकती है कमान, नड्डा से मुलाक़ात के बाद अटकलें तेज

बीजेपी ने बंगाल में नए अध्यक्ष के रूप में शमिक भट्टाचार्य को लगभग तय कर लिया है. दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात के बाद कोलकाता में नामांकन प्रक्रिया चल रही है, और गुरुवार को घोषणा उम्मीद है. वर्तमान अध्यक्ष सुकांत मजूमदार का कार्यकाल खत्म हो चुका है.

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शमिक भट्टाचार्य बन सकते हैं बंगाल बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य बन सकते हैं बंगाल बीजेपी के नए प्रदेशाध्यक्ष

अनुपम मिश्रा

  • कलकत्ता,
  • 02 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

आख़िरकार काफ़ी जद्दोजहद के बाद बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में नया अध्यक्ष लगभग तय कर लिया है. राजधानी दिल्ली में जेपी नड्डा के साथ शमिक भट्टाचार्य की मुलाक़ात के बाद अब उन्हें पश्चिम बंगाल बीजेपी का नया अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है.

आज होगा नामांकन, कल होगी घोषणा

कोलकाता में भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय में आज नामांकन का दौर चल रहा है और गुरुवार को पश्चिम बंगाल बीजेपी के नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो जाएगी.

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सुकांत मजूमदार का कार्यकाल समाप्त

अभी तक पश्चिम बंगाल बीजेपी की कमान सुकांत मजूमदार के हाथ में थी, जिनका कार्यकाल पिछले साल ही ख़त्म हो गया था. मजूमदार केंद्र में राज्य शिक्षा मंत्री के पद पर भी हैं.

2026 विधानसभा चुनावों की चुनौती

हालांकि नए अध्यक्ष के लिए आने वाले दिन काफ़ी चुनौतीपूर्ण हैं क्योंकि 2026 में बंगाल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में एक सवाल यह भी उत्पन्न हो रहा है कि इतना चुनौतिपूर्ण साल होने के बावजूद शमिक भट्टाचार्य को पार्टी ने कमान क्यों सौंपने का फ़ैसला लिया.

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छवि, निष्ठा और अनुभव ने दिलाई कमान

पार्टी सूत्रों के मुताबिक़ शमिक भट्टाचार्य को पार्टी के प्रति उनकी वफ़ादारी, बंगाली भद्रलोक की उनकी छवि, बंगाली साहित्य और संस्कृति का ज्ञान और बंगाल बीजेपी की कथित खेमेबाज़ी से अलग इमेज की वजह से ही बंगाल बीजेपी की कमान सौंपने का निर्णय लिया गया है.

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2014 में बने पहले विधायक

शमिक भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बेहद पुराने नेताओं में से एक हैं. शमिक भट्टाचार्य 2014 में पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी के पहले और इकलौते विधायक चुने गए थे, जिन्होंने टीएमसी को सीधी लड़ाई में बग़ैर किसी दूसरी पार्टी के सहयोग से हराया था.

उन्होंने बसीरहाट दक्षिण विधानसभा सीट पर उपचुनाव में जीत हासिल की थी. हालांकि इसके बाद 2016 में शमिक इसी सीट से टीएमसी से चुनाव हार गए थे, लेकिन सूत्रों के मुताबिक उस दौरान और उसके बाद भी टीएमसी की ओर से शमिक को बीजेपी छोड़ टीएमसी में शामिल होने का खुला प्रस्ताव था. लेकिन शमिक ने बीजेपी नहीं छोड़ी और पार्टी के वफ़ादार कार्यकर्ता के तौर पर अपनी ज़िम्मेदारी निभाई.

चार दशक पुराना नाता

मूलतः हावड़ा ज़िले के निवासी शमिक भट्टाचार्य पिछले 40 सालों से पार्टी से जुड़े हुए हैं. इससे पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे.

1985 में शमिक भट्टाचार्य का सफ़र बीजेपी के साथ शुरू हुआ और शमिक भट्टाचार्य ने इस दौरान पार्टी के पोस्टर दीवार में चिपकाने से लेकर पार्टी द्वारा दी गई हर ज़िम्मेदारी को बखूबी निभाया.

बंगाल बीजेपी का भद्रलोक चेहरा

शमिक भट्टाचार्य को बीजेपी का बंगाली भद्रलोक माना जाता है और बंगाल में बीजेपी को काफ़ी दिनों से ऐसे चेहरे की तलाश थी जो बंगाली साहित्य संस्कृति से भली-भांति परिचित हो. शमिक को सुवक्ता के तौर पर भी जाना जाता है और किसी भी विषय पर घंटों बोलने की क्षमता भी रखते हैं.

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राज्यसभा सदस्य और प्रवक्ता की भूमिका

शमिक को 2024 में पार्टी ने राज्यसभा का सांसद व प्रवक्ता का पद भी दिया और हाल के दिनों में शमिक को दिल्ली में काफ़ी प्रमुखता भी मिल रही है.

अन्य दावेदार भी चर्चा में

हालांकि शमिक भट्टाचार्य के अलावा शुभेंदु अधिकारी, अग्निमित्रा पॉल, लॉकेट चटर्जी और दिलीप घोष जैसे नामों की भी चर्चा है, लेकिन अभी तक बंगाल बीजेपी का अध्यक्ष बनने की दौड़ में शमिक सबसे आगे चल रहे हैं.

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