पश्चिम बंगाल पुलिस की साइबर क्राइम विंग ने एक मामले में बड़ी कामयाबी हासिल की है. हाल ही में एक साइबर घोटाला हुआ था, जिसमें एक कॉर्पोरेट बैंक अकाउंट से धोखाधड़ी करते हुए स्कैमर्स ने ₹1.31 करोड़ की राशि ट्रांसफर कर ली थी. क्राइम ब्रांच ने सारे पैसे को सफलतापूर्वक बरामद कर लिया है. धोखाधड़ी की गई कुल राशि ₹1.98 करोड़ थी, बची हुई राशि की जांच जारी है.
यह घटना 25 जून, 2025 को हुई, जब हल्दिया वाटर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) निखिल कुमार महंत को व्हाट्सएप पर एक मैसेज आया. मैसेज करने वाला शख्स उनकी कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर होने का दिखावा कर रहा था. इस मैसेज एमडी की डिस्प्ले पिक्चर (DP) का इस्तेमाल किया गया था और उनकी कम्युनिकेशन स्टाइल कॉपी की गई थी. महंत को बैंगलोर स्थित कंपनी स्लैमियोन आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के बैंक अकाउंट में तत्काल ₹1.98 करोड़ ट्रांसफर करने का निर्देश दिया गया था.
झांसे में आकर ट्रांसफर किया फंड
व्हाट्सएप पर आए मैसेज को ऑथेंटिक मानते हुए, निखिल कुमार महंत ने एचडीएफसी बैंक के एक अकाउंट में RTGS के जरिए फंड ट्रांसफर कर दिया. हालांकि, उन्हें जल्द ही इस संदेश में अनियमितताओं का शक हुआ और उन्होंने साइबर क्राइम ब्रांच की सहायता से राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल पर तुरंत शिकायत दर्ज कराई.
लिखित शिकायत के आधार पर, दुर्गाचक थाने में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 316 (2), 318 (4) के तहत केस दर्ज किया गया. मामले की जांच का जिम्मा त्वरित कार्रवाई के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस की साइबर अपराध शाखा को सौंप दिया गया.
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13 दिनों के अंदर यूजर को मिला फंड
पश्चिम बंगाल पुलिस के एक टॉप अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया, "तेजी से कार्रवाई करते हुए, पश्चिम बंगाल साइबर अपराध शाखा के अधिकारियों ने एचडीएफसी बैंक की बेंगलुरु स्थित डोम्लुर ब्रांच के साथ बातचीत की और ट्रांसफर किए गए फंड में से 1.31 करोड़ रुपये फ्रीज करने में कामयाब रहे. घटना के 13 दिनों के अंदर, यह फंड पीड़ित के खाते में वापस कर दी गई. अब तक कुल 1.39 करोड़ रुपये के फंड को सेक्योर कर लिया गया है.
पश्चिम बंगाल पुलिस के एक सूत्र का दावा है कि जांच के सिलसिले में, मालदा ज़िले के बामनगोला निवासी मंटू दास और पपई दास नामक दो लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. दोनों आरोपियों पर व्हाट्सएप पर सिम कार्ड उपलब्ध कराने का आरोप है. पश्चिम बंगाल पुलिस के एक सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया कि शुरुआती जांच से पता चलता है कि इसमें एक अंतर-राज्यीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह शामिल है.
अधिकारियों ने स्कैम को बेहद सधा हुआ बताते हुए जांच को प्राथमिकता दी है. अधिकारी इसमें शामिल सभी लोगों को पकड़ने के लिए कई राज्यों में सुराग जुटा रहे हैं.
राजेश साहा