'गंगा स्नान के बाद बदली जिंदगी, अपनाई शाकाहारी जीवनशैली,' उपराष्ट्रपति CP राधाकृष्णन ने काशी में सुनाया किस्सा

उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने काशी में अपनी निजी जिंदगी से जुड़ा किस्सा शेयर किया है. उन्होंने बताया कि जब वे 25 साल पहले काशी आए और यहां गंगा स्नान किया था, तभी उन्होंने शुद्ध शाकाहारी जीवनशैली अपना ली थी. उपराष्ट्रपति ने वाराणसी में शुक्रवार को श्री काशी नट्टुक्कोट्टई नगर सतराम मैनेजिंग सोसाइटी द्वारा निर्मित नए सत्रम (धर्मशाला) का उद्घाटन किया.

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उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने काशी में तमिल समुदाय की नई धर्मशाला का उद्घाटन किया. उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने काशी में तमिल समुदाय की नई धर्मशाला का उद्घाटन किया.

aajtak.in

  • वाराणसी,
  • 01 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन शुक्रवार को यूपी के शहर वाराणसी पहुंचे. यहां उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तमिल समुदाय द्वारा संचालित नई धर्मशाला का उद्घाटन किया. उपराष्ट्रपति ने कार्यक्रम को भी संबोधित किया. उन्होंने बताया कि 25 साल पहले जब वे काशी आए तो उस समय मांसाहारी (नॉन-वेज) थे. लेकिन गंगा में स्नान के बाद उन्हें अपने अंदर एक गहरा परिवर्तन महसूस किया और उन्होंने शुद्ध शाकाहारी जीवनशैली अपना ली. 

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उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने उद्घाटन समारोह में कहा, धर्म अस्थायी रूप से संकट में हो सकता है, लेकिन कभी स्थायी रूप से नहीं मिटता. यह इमारत इसका प्रमाण है. 25 साल पहले जब मैं पहली बार काशी आया था, तब मैं मांसाहारी था. गंगा स्नान के बाद मेरे जीवन में इतना बदलाव आया कि मैंने शाकाहार अपना लिया.

उन्होंने यह भी कहा कि आज का काशी और 25 साल पहले का काशी काफी अलग है. यह परिवर्तन सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वजह से ही संभव हो पाया है.

उपराष्ट्रपति ने तमिलनाडु के नगरथर समुदाय की सामाजिक सेवा और सांस्कृतिक योगदान की प्रशंसा की. उन्होंने बताया कि इस धर्मशाला के निर्माण के लिए इस समुदाय ने करीब 60 करोड़ रुपये दान के द्वारा उपलब्ध कराए हैं, जिसे उन्होंने आस्था, दृढ़ता और विभिन्न क्षेत्रों के समन्वय का प्रतीक बताया.

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उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि यह नई सुविधा सिर्फ एक भवन नहीं, बल्कि उत्तर-भारत और दक्षिण-भारत के बीच सांस्कृतिक बंधन का नया अध्याय है. उन्होंने बताया कि तमिल विद्वानों, कवियों और भक्तों ने काशी की ओर ज्ञान ओर आध्यात्मिक खोज के लिए यात्रा की है. इस दिशा में यह कदम इसे और मजबूती देगा.

उन्होंने स्मरण कराया कि यह संस्था ( श्री काशी नट्टुक्कोट्टई नगर सतराम मैनेजिंग सोसाइटी) 1863 में तमिलनाडु से काशी आने वाले भक्तों की सहायता के लिए स्थापित हुई थी और आज भी उसी भावना से कार्यरत है.

उपराष्ट्रपति ने अन्नपूर्णी देवी की मूर्ति की वापसी और काशी-तमिल संगमम जैसे आयोजनों का जिक्र किया और कहा कि मोदी और योगी के नेतृत्व में काशी में आध्यात्मिक पुनर्जागरण हो रहा है. उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देवी अन्नपूर्णा अम्मन देवी की मूर्ति की वापसी की भी सराहना की. उन्होंने कहा कि एक सदी से भी पहले वाराणसी के मंदिर से चुराई गई यह मूर्ति मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण 2021 में कनाडा से भारत वापस आ पाई.

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