उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक बड़े ब्लैकमेलिंग रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें एक वकील और उसके साथी को गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि वकील अखिलेश दुबे ने अपने सहयोगी लवी मिश्रा के साथ मिलकर कई हाई-प्रोफाइल लोगों, जिनमें बीजेपी नेता भी शामिल हैं उनसे फर्जी रेप केस के जरिए लाखों रुपये की वसूली की साजिश रची थी.
'ऑपरेशन महाकाल' के तहत हुई गिरफ्तारी
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक यह कार्रवाई कानपुर पुलिस द्वारा चलाए गए एक महीने लंबे ऑपरेशन महाकाल के तहत की गई, जिसका उद्देश्य वसूली गिरोह और भूमि माफियाओं पर शिकंजा कसना था.
बीजेपी नेता ने दर्ज कराई थी एफआईआर
बीजेपी नेता रवि सतीजा ने बार्रा थाने में वकील दुबे के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप था कि दुबे ने पिछले साल उनके खिलाफ झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराया और फिर 50 लाख रुपये की मांग की.
FIR एक युवती की शिकायत पर दर्ज की गई थी, लेकिन वह कभी भी जांच टीम के सामने बयान देने नहीं आई. जांच के बाद पुलिस ने मामले को फर्जी पाते हुए क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी.
अब रेप केस करने वाली महिला की तलाश
विशेष जांच दल (SIT) ने मामले की बारीकी से जांच की, जिसमें स्पष्ट हुआ कि यह केस पूरी तरह फर्जी था और इसका मकसद केवल पैसे की उगाही था. पुलिस ने बुधवार रात अखिलेश दुबे को उसके किदवई नगर स्थित घर से और उसके सहयोगी लवी मिश्रा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया. छह घंटे की पूछताछ में वो कोई साक्ष्य नहीं दे पाए, जिसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया.
इसके अलावा निशा कुमारी, गीता कुमारी, विमल यादव, अभिषेक बाजपेयी और शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू यादव समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है, जो इस रैकेट में शामिल बताए जा रहे हैं.
साउथ के DCP दीपेन्द्र नाथ चौधरी ने बताया कि सीतापुर के बीजेपी सांसद अशोक रावत ने कानपुर पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर ऐसे रैकेट की जानकारी दी थी, जिसके बाद 3 मार्च को SIT का गठन किया गया था. पुलिस अब भी फरार आरोपी युवती और उसकी बहन की तलाश कर रही है और आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
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