उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अप्रैल से जुलाई 2026 के बीच होंगे. राज्य निर्वाचन आयोग (ECI) ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी हैं. हालांकि, चुनाव से पहले मतदाता सूचियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठ गए हैं क्योंकि जांच में कई जिलों में एक ही व्यक्ति का नाम दो से तीन बार दर्ज मिला है. आयोग ने सुधार के लिए गहन अभियान शुरू करने का निर्देश दिया है.
50 लाख तक नाम हो सकते हैं कम
राज्य निर्वाचन आयोग की जांच में पता चला है कि पीलीभीत, वाराणसी, बिजनौर और हापुड़ जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर डुप्लीकेट नाम दर्ज हैं. अकेले पीलीभीत के पूरनपुर ब्लॉक में करीब 97 हजार नाम दोहराए गए हैं. अधिकारियों का मानना है कि अगर ठीक से जांच हुई तो लगभग 50 लाख नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं. आयोग ने इसे दुरुस्त करने के लिए गहन पुनरीक्षण (SIR) जैसा अभियान चलाने का निर्देश दिया है.
प्रत्याशियों की खर्च सीमा बढ़ी
चुनाव की तैयारियों के बीच आयोग ने प्रत्याशियों के लिए खर्च सीमा में भी वृद्धि की है. ग्राम प्रधान अब अधिकतम ₹1.25 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे, जबकि जिला पंचायत सदस्य के लिए यह सीमा ₹2.5 लाख रुपये है. सबसे ज्यादा ₹7 लाख रुपये जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए तय किए गए हैं. आयोग ने पारदर्शिता बनाए रखने और खर्च पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए यह फैसला लिया है, साथ ही तय सीमा से अधिक खर्च पर कार्रवाई की चेतावनी दी है.
जल्द घोषित होगा चुनाव कार्यक्रम
एससी/एसटी आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया पूरी होते ही आयोग चुनाव कार्यक्रम घोषित करेगा. बैलेट पेपर की छपाई का काम शुरू हो चुका है. आयोग ने नामांकन पत्र खरीदने का शुल्क और जमानत राशि की दरें भी बढ़ा दी हैं. डुप्लीकेट मतदाताओं की पहचान और सूची में सुधार के बाद, आयोग का लक्ष्य निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव सुनिश्चित करना है.
आशीष श्रीवास्तव