यूपी के सोनभद्र में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां 18 साल पहले मर चुके एक व्यक्ति को जिंदा दिखा दिया गया. दरअसल, जिस सुनील कोल को अप्रैल 2007 में पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया था, बीते दिनों उसको एक मामले में नामजद करते हुए नोटिस भेज दिया. जिसके बाद मृतक की पत्नी सुशीला अदालत में पेश हुईं. उन्होंने जब सच्चाई बताई तो कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर आपत्ति जताई.
फिलहाल, सोनभद्र पुलिस ने गलती स्वीकार कर ली है. क्योंकि, पुलिस की गलती से ही 18 साल पहले पुलिस एनकाउंटर में मारे गए व्यक्ति को जमीन विवाद के एक मामले में अभियुक्त बनाकर स्थानीय अदालत में तलब किया गया था.
इसको लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ने न्यूज एजेंसी को बताया कि एक सब-इंस्पेक्टर ने अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में गलती से किसी अन्य व्यक्ति की जगह सुनील उर्फ़ संजय कोल का नाम दर्ज कर दिया था. कुमार ने बताया, "रॉबर्ट्सगंज के थाना प्रभारी को गलती सुधारने का निर्देश दिया गया है और ज़िम्मेदार सब-इंस्पेक्टर के ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं."
इससे पहले, मृतक की पत्नी सुशीला मामले में नोटिस मिलने के बाद अदालत में पेश हुईं. उन्होंने अदालत को बताया कि उनके पति को अप्रैल 2007 में चंदौली पुलिस के साथ मुठभेड़ में नक्सली बताकर मार दिया गया था.
सुशीला ने कहा, "उनकी मृत्यु को 18 साल से ज़्यादा हो गए हैं, फिर भी उन्हें ज़मीन और नाली के विवाद को लेकर 6 फ़रवरी, 2025 को दर्ज इस मामले में नामज़द किया गया है." उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी उसके दिवंगत पति की जमानत का प्रबंध करने के लिए उस पर दबाव डाल रहे थे.
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