पुलिस एनकाउंटर में दो बदमाशों की मौत और साजिश में तीन लोगों को जेल, उसके बाद भी अगर किसी हत्याकांड का असल मकसद साजिशकर्ता कानून की गिरफ्त में ना हो तो क्या कहेंगे. सीतापुर में पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई हत्याकांड की कहानी कुछ ऐसे ही उलझ कर रह गई है. सीतापुर पुलिस ने 5 महीने बाद पत्रकार को गोली मारने वाले दो शूटरों को तो एनकाउंटर में ढेर कर दिया लेकिन अब तक की जांच से अप्रैल महीने में हुए पहले खुलासे पर सवाल खड़े होने लगे हैं. वजह है, पुलिस का बयान कि- 'वारदात का असली मकसद और हत्या को फाइनेंस करने वालों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा', तो क्या जो तीन लोग पुलिस के द्वारा जेल गए वो असली साजिशकर्ता नहीं थे.
आपको बता दें कि बीते 8 मार्च 2025 को दिनदहाड़े सीतापुर के महोली इलाके में बाइक सवार बदमाशों ने हेमपुर ओवरब्रिज पर राघवेंद्र वाजपेई की गोली मारकर हत्या कर दी. शुरुआत में घटना को एक्सीडेंट बताया गया लेकिन जब शव का पोस्टमार्टम हुआ तो पता चला राघवेंद्र वाजपेई को गोली मारकर मौत के घाट उतारा गया है.
पुलिस ने सीसीटीवी खंगालना शुरू किया, कॉल डिटेल खंगाले. घटना के 34 दिन यानी 10 अप्रैल 2025 को पुलिस ने तीन आरोपियों बाबा शिवानंद उर्फ विकास राठौड़ के साथ निर्मल सिंह और असलम गाजी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. पुलिस ने दावा किया कि आरोपी बाबा शिवानंद के मंदिर के एक किशोर सेवादार से संबंध थे जिसकी जानकारी राघवेंद्र वाजपेई को हो गई थी. बाजपेई बाबा को ब्लैकमेल कर रहा था. जिसके चलते राघवेंद्र बाजपेई की हत्या भाड़े के शूटर से करवा दी गई. शूटरों को पैसे बाबा ने ही दिए थे.
दो बदमाशों का एनकाउंटर
इस खुलासे के 119 दिन बाद अब सीतापुर पुलिस ने सीसीटीवी के आधार दो बदमाशों राजू तिवारी उर्फ रिजवान खान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान को एनकाउंटर में मार गिराया है. पुलिस का दावा है की दोनों ही शातिर बदमाश है जिनपर सीतापुर में कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. दोनों सगे भाई हैं. वे बाइक से हरदोई के पिहानी की तरफ से पिसावा थाना क्षेत्र में आ रहे थे. पुलिस ने घेराबंदी की, अवैध कार्बाइन और पिस्तौल से दोनों बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग की और जवाबी फायरिंग में दोनों बदमाश मारे गए.
लेकिन वारदात के 5 महीने की जांच को नए सिरे से खंगालने, दोनों बदमाशों से बरामद हुए बैग में डायरी और कागजात को परखने के बाद पुलिस का कहना है अभी इस हत्याकांड में कुछ और लोगों की गिरफ्तारी होना बाकी है.
पहले हुए खुलासे में दावा
10 अप्रैल को किए गए तत्कालीन एसपी चक्रेश मिश्रा की टीम के द्वारा खुलासे में जहां दावा किया गया कि राघवेंद्र बाजपेई की हत्या बाबा शिवानंद ने भाड़े के शूटरों से करवाई तो अब, एसपी सीतापुर अंकुर अग्रवाल का दावा है कि अभी हत्याकांड को अंजाम देने के लिए इन शूटरों को पैसा किसने दिया? हत्याकांड की वजह क्या है? यह पता चल गया है लेकिन गिरफ्तारी होना बाकी है.
मृतक पत्रकार की पत्नी ने की सीबीआई जांच की मांग
फिलहाल, पुलिस का पहला खुलासा हो या अब किया गया शूटरों का एनकाउंटर, पीड़ित परिवार अभी असल हत्यारों के गिरफ्तार से दूर होने का दावा कर रही है, सीबीआई जांच की मांग कर रही है. हालांकि, पुलिस का दावा है कि जल्द इस हत्याकांड के जब असली मास्टरमाइंड गिरफ्त में आएंगे तो परिवार को भी वारदात की जरूरी बातें बताकर न्याय का भरोसा दिया जाएगा. लेकिन इस हत्याकांड में किसी भी गुनहगार को छोड़ा नहीं जाएगा, अगर कोई निर्दोष जेल गया होगा तो उसको भी देखा जाएगा.
एनकाउंटर में मारे गए बदमाशों का क्राइम रिकॉर्ड
वहीं, राघवेंद्र बाजपेई हत्याकांड में जिन राजू तिवारी उर्फ रिजवान और उसके भाई संजय तिवारी उर्फ अकील को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा पुलिस कर रही है वह मूलतः मिश्रिख कोतवाली क्षेत्र के अटवां ग्राम के निवासी हैं. उक्त दोनों मारे गए आरोपियों के पिता कृष्ण गोपाल हिंदू थे. जिन्होंने अपनी पहली पत्नी की मृत्यु के बाद गद्दी बिरादरी की एक महिला नज्जो से विवाह कर लिया था. क्योंकि, हिंदू पिता और मुस्लिम मां से यह दोनों पैदा थे इसलिए इनका एक नाम हिंदू और एक नाम मुस्लिम के रूप में चर्चित था. पुलिस के मुताबिक, राजू तिवारी पर अलग-अलग थानों में 15 और संजय तिवारी पर अलग-अलग स्थान में कुल 25 मुकदमे दर्ज हैं. दोनों पर राघवेंद्र हत्याकांड में एक-एक लाख रुपए का इनाम घोषित था.
संतोष शर्मा