ट्रैक्टर की जगह बाइक का नंबर, मिट्टी ढुलाई का फर्जी पेमेंट... यूपी के महोबा में भ्रष्टाचार का हैरान कर देने वाला मामला, DM ने दिए जांच के आदेश

Mahoba News: हाल ही में विभाग ने मिट्टी ढुलाई का भुगतान किया था. वो भी 185 चक्कर ट्रॉली का. जबकि, हकीकत में एक भी ट्रॉली मिट्टी ढुलाई नहीं हुई. भुगतान के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली के नंबर की जगह बाइक का नंबर लगा दिया और पेमेंट करा लिया गया.

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महोबा डीएम ने दिए जांच के आदेश महोबा डीएम ने दिए जांच के आदेश

नाह‍िद अंसारी

  • महोबा,
  • 06 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:43 PM IST

सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार के आपने तो कई मामले देखे और सुने होंगे. लेकिन यूपी के महोबा जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने अधिकारियों को भी सकते में डाल दिया. दरअसल, हाल ही में विभाग ने मिट्टी ढुलाई का भुगतान किया था. वो भी 185 चक्कर ट्रॉली का. जबकि, हकीकत में एक भी ट्रॉली मिट्टी ढुलाई नहीं हुई. भुगतान के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली के नंबर की जगह बाइक का नंबर लगा दिया और पेमेंट करा लिया गया. मतलब, मिट्टी ढुलाई ट्रैक्टर-ट्रॉली से नहीं, बल्कि बाइक से करा दी गई. सुनने में भले ही इसपर यकीन ना हो लेकिन विभाग ने भुगतान इसी तर्ज पर किया. 

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बता दें कि ये पूरा मामला महोबा के नगर पंचायत कुलपहाड़ का है. जहां बाइक से 185 चक्कर मिट्टी ढुलाई का कारनामा सामने आया है, जिसका भुगतान भी विभाग ने कर दिया. मगर इसकी सच्चाई तब उजागर हुई जब एक आरटीआई में बाइक के नंबर पर मिट्टी ढोने का 46 हजार 250 रुपये का भुगतान होना दिखाया गया. 

डीएम ने दिए जांच के आदेश 

जिसपर मामले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता ने जिला अधिकारी से की. अब  डीएम ने सख्ती दिखाते हुए जांच और कार्यवाही के निर्देश दे दिए हैं. वहीं, तालाब  सिल्ट सफाई के मामले में जिम्मेदारों ने आपसी सांठ-गांठ कर कैसे सरकारी बजट गटक लिया इसका खुलासा होने पर प्रशासन के लोग भी सकते में आ गए है. 

हालांकि, मामला संज्ञान में आते ही डीएम मृदुल चौधरी ने तत्काल जांच कर कार्यवाही के निर्देश दे दिए हैं. लेकिन सवाल अभी भी बड़ा है कि क्या सरकारी कार्यदाई संस्थाएं इस बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के लिए अधिकृत हैं और क्या इन संस्थाओं के संचालन व्यवस्था हेतु कथित जिम्मेदारों पर कोई अंकुश रहा ही नहीं. 

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मिट्टी ढुलाई के नाम पर फर्जीवाडा

एक जनसूचना के जरिए प्रकाश में आया भ्रष्टाचार का यह अजीबोगरीब मामला असल में फकत एक बानगी है. नगर पालिका हों या नगर पंचायत या फिर ग्राम सभाएं कमोवेश सभी की सभी कागज की बाजीगरी में खासे निपुण हैं. यह अलग बात है कि कागजी महल बनाने में कुलपहाड़ नगर पंचायत ने बाकी सभी को पीछे छोड़ दिया. 

250 रुपये प्रति चक्कर के हिसाब से 46,250 रुपये का भुगतान 

कच्चे कामों में मेजरमेंट की गुगली, मिट्टी ढुलाई के चक्करों के नाम पर खेल और मजदूरों की हाजिरी में हेरफेर करना कोई नया खेल नहीं है. लेकिन यहां तो मामला ही एकदम अलग है. भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा को पार कर चुके इस मामले में जिम्मेदारों ने मोटर साइकिल (पल्सर बाइक) से 185 चक्कर मिट्टी की ढुलाई कर डाली. 

इतना ही नहीं ढुलाई के साथ साथ 250 रुपये प्रति चक्कर के हिसाब से 46,250 रुपयों का भुगतान भी हो गया. जब से ये मामला प्रकाश में आया है अधिकारियों के होश फाख्ता हैं. डीएम ने जांच कर कार्यवाही के निर्देश दे दिए हैं. ऐसे में अब देखना यह है कि भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार से निपटने को लेकर जिला सहित प्रदेश स्तर पर क्या कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या फिर ये मामला भी आगे जाकर ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया जाएगा. 

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