लखीमपुर खीरी जिले के निघासन थाना क्षेत्र के ग्रांट नंबर 12 गांव में गुरुवार को एक प्राचीन शिव मंदिर महज 10 सेकंड में शारदा नदी में समा गया. मंदिर के नदी में गिरने का यह दृश्य ग्रामीणों ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद किया, जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. घटना के समय मौके पर मौजूद लोगों की आंखों के सामने वर्षों पुरानी आस्था का केंद्र बहाव में विलीन हो गया और ग्रामीण भावुक होकर जय श्री राम के नारे लगाने लगे.
कटान से बदला भूगोल, खतरे में बस्ती
ग्रांट नंबर 12 गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि शारदा नदी का यह किनारा हमेशा से कटान की चपेट में रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह खतरा तेजी से बढ़ा है. पिछले साल ही इसी गांव के करीब 12 मकान नदी में समा गए थे. जहां कभी खेत और घर थे, अब वहां सिर्फ बहती धारा और खाली जमीन दिखती है. गांव के निवासी महेश कुमार कहते हैं, हम बचपन से इस मंदिर में पूजा करते आए हैं. यह हमारे पूर्वजों के समय का बना हुआ था. पिछले कुछ महीनों से हम देख रहे थे कि नदी की धार मंदिर के करीब आ रही है. आज जो हुआ, उसे देखकर आंखें नम हो गईं.
10 सेकंड का मंजर, गूंजे जय श्री राम के नारे
गुरुवार को जैसे ही नदी का कटान मंदिर की नींव तक पहुंचा, मिट्टी का सहारा टूट गया. कुछ ही पलों में पूरा ढांचा नदी में धंसता चला गया. ग्रामीण उस क्षण को कैमरे में कैद कर रहे थे और साथ ही जय श्री राम के नारे लगा रहे थे. वीडियो में साफ दिखाई देता है कि मंदिर का ऊपरी हिस्सा पहले हिलता है, फिर धीरे-धीरे एक ओर झुकता है और देखते ही देखते पानी में विलीन हो जाता है.
आस्था और पीड़ा का संगम
यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं था, बल्कि गांव की पहचान और लोगों की भावनाओं से जुड़ा प्रतीक था. यहां हर साल महाशिवरात्रि और सावन में विशेष पूजा-अर्चना होती थी. अब मंदिर के स्थान पर बहती नदी को देखकर ग्रामीणों के दिल भारी हैं. गांव की एक महिला श्रद्धालु, कमला देवी ने कहा, हमने कई बार प्रशासन को कटान रोकने के लिए कहा, लेकिन कोई ठोस काम नहीं हुआ. हमारे घर भी खतरे में हैं.
प्रशासन की चुनौती और स्थानीय चिंताएं
कटान प्रभावित क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकना प्रशासन के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रहा है. शारदा नदी नेपाल से निकलकर लखीमपुर खीरी होते हुए बहती है और बरसात में इसका जलस्तर कई गुना बढ़ जाता है. तेज धार से किनारों की मिट्टी ढीली होकर बह जाती है, जिससे गांव के अंदर तक नदी की पहुंच हो जाती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कटान रोधी तटबंध या पक्की दीवारें बनाई जातीं, तो मंदिर बच सकता था. लेकिन इस ओर समय पर ध्यान नहीं दिया गया.
निघासन क्षेत्र के एक स्थानीय अधिकारी ने बताया कि कटान रोकने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं, लेकिन बरसात और तेज धारा के कारण कई बार स्थायी समाधान मुश्किल हो जाता है. प्रभावित गांवों का सर्वे कराया जा रहा है और जरूरत के मुताबिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर बसाने की योजना है.
सोशल मीडिया पर शुरू हुई बहस
इस घटना का वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आने लगीं. कुछ लोग इसे प्रकृति का प्रकोप बता रहे हैं, तो कुछ प्रशासन की लापरवाही मान रहे हैं. वहीं कई लोगों ने भावुक होकर लिखा, "मंदिर तो चला गया, लेकिन आस्था कभी खत्म नहीं होगी.
अभिषेक वर्मा