संभल: जो आदमी जेल में बंद, उसने कैसे कर दी लूट? कोतवाल समेत 12 पुलिसकर्मियों पर FIR के आदेश, फर्जी एनकाउंटर का भी आरोप

संभल जिले में पुलिस की एक बड़ी लापरवाही और साजिश का पर्दाफाश हुआ है. अदालत ने उस आरोपी की दलील को सही पाया जिसे जेल में होने के बावजूद लूट का अपराधी बना दिया गया था. अब तत्कालीन थाना प्रभारी सहित 12 पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश कोर्ट ने दिया है.

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संभल पुलिस पर शख्स को फर्जी केस में फंसाने का आरोप (Representational Photo) संभल पुलिस पर शख्स को फर्जी केस में फंसाने का आरोप (Representational Photo)

अभिनव माथुर

  • संभल ,
  • 25 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बहजोई थाना पुलिस ने ओमवीर नामक व्यक्ति को लूट और मुठभेड़ के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. यह घटना 25 अप्रैल 2022 को एक दूध कारोबारी से हुई एक लाख की लूट से जुड़ी है. पुलिस ने ओमवीर को 7 जुलाई 2022 को गिरफ्तार दिखाकर फर्जी तरीके से आरोपी बनाया था. असल में, लूट वाले दिन ओमवीर पहले से ही बदायूं जेल में किसी अन्य मामले में बंद था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विभांशु सुधीर ने साक्ष्यों के आधार पर तत्कालीन कोतवाल और इंस्पेक्टर सहित 12 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का सख्त आदेश दिया है.

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जेल की चारदीवारी में था 'लुटेरा'

दूध कारोबारी दुर्वेश के साथ हुई लूट के मामले में पुलिस ने अपनी कहानी तो तैयार कर ली, लेकिन वह यह भूल गई कि रिकॉर्ड कभी झूठ नहीं बोलते. पीड़ित ओमवीर ने कोर्ट में साबित कर दिया कि 11 अप्रैल 2022 से 12 मई 2022 तक वह बदायूं जिला जेल में निरुद्ध था. जबकि पुलिस ने उसे 25 अप्रैल को हुई लूट में शामिल दिखाया. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, उसकी जमानत 26 अप्रैल को मंजूर हुई थी और वह 12 मई को जेल से बाहर आया था.

एनकाउंटर और फर्जी गिरफ्तारी का खेल

ओमवीर के जेल से बाहर आने के बाद, 7 जुलाई 2022 को बहजोई पुलिस ने एक 'मुठभेड़' दिखाई. इसमें ओमवीर, धीरेंद्र और अवनेश को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. पुलिस ने दावा किया कि ये वही लोग हैं जिन्होंने अप्रैल में लूट की थी. पुलिस ने आनन-फानन में 12 जुलाई को चार्जशीट भी दाखिल कर दी. आरोपी का आरोप है कि तत्कालीन एसएचओ पंकज लवानिया और अन्य पुलिसकर्मियों ने साजिश रचकर उसे झूठे मुकदमे में फंसाया और फर्जी बरामदगी दिखाई.

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कोर्ट की पुलिस तंत्र पर सख्त टिप्पणी

सीजेएम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे पद का दुरुपयोग और दस्तावेजों की जालसाजी माना है. अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह षड्यंत्र और गलत जांच का मामला प्रतीत होता है. कोर्ट ने बहजोई थाना पुलिस को आदेश दिया है कि तत्कालीन कोतवाल पंकज लवानिया, इंस्पेक्टर राहुल चौहान और दारोगा प्रबोध कुमार सहित 12 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज कर तीन दिन में रिपोर्ट पेश की जाए. हालांकि, तत्कालीन सीओ गोपाल सिंह के खिलाफ साक्ष्य न मिलने पर उन्हें राहत दी गई है.

न्याय के लिए साढ़े तीन साल की जंग

ओमवीर ने न्याय के लिए अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो उसने अदालत का दरवाजा खटखटाया. साढ़े तीन साल बाद कोर्ट के इस फैसले ने यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के नजीर पेश करते हुए सीजेएम कोर्ट ने लोकसेवकों के उत्तरदायित्व को लेकर कड़ी टिप्पणी की है, जिससे महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.

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