फर्जी दस्तावेज, नकली मालिक, दिल्ली-मुंबई में रहने वाले टार्गेट... UP में दूसरों की जमीन बेचने वाले गैंग का पर्दाफाश

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक गिरोह का भंडाफोड़ किया गया है. यह गिरोह दिल्ली, मुंबई में रहने वाले लोगों की जमीनों को फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच देता था.

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पुलिस गिरफ्त में फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर दूसरों की जमीन बेचने वाले आरोपी. (Photo: Screengrab) पुलिस गिरफ्त में फर्जी डॉक्यूमेंट के आधार पर दूसरों की जमीन बेचने वाले आरोपी. (Photo: Screengrab)

राहुल कुमार

  • सहारनपुर,
  • 06 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 8:31 AM IST

सहारनपुर पुलिस ने एक बड़े फर्जी दस्तावेज़ बनाकर जमीन बेचने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. यह गैंग खासतौर पर उन लोगों की जमीनों को निशाना बनाता था जो शहर से बाहर रहते हैं. ये आरोपी असली मालिक के नाम पर फर्जी आधार, पैन, फोटो, हस्ताक्षर और अंगूठे तैयार कर लेते थे और फिर किसी साथी को मालिक बनाकर तहसील में खड़ा कर देते थे.

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फर्जी दस्तावेज और फर्मी मालिक बनाकर बेचे देते थे दूसरों की जमीन

थाना बिहारीगढ़ क्षेत्र में यह गंभीर मामला तब सामने आया जब मुंबई निवासी रोहित दर्शन भल्ला ने शिकायत दर्ज कराई. दल्ला ने शिकायत में कहा कि उनके मामा सुभाष चंद्र बसन्धरा की करीब सवा बीघा जमीन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बेच दी गई. जांच में पाया गया कि तहसील में एक फर्जी व्यक्ति को असली मालिक बनाकर खड़ा किया गया और पूरी साजिश में दस्तावेज लेखक की मिलीभगत भी शामिल थी.

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पुलिस लाइन सभागार में एसपी देहात सागर जैन ने बताया कि इस गैंग ने बारीकी से योजना बनाकर यह धोखाधड़ी की. आरोपियों ने 20 लाख रुपये मूल्य की जमीन को जाली पहचान पत्र, नकली फोटो और फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बेच दिया था. पुलिस ने इस मामले में पहले दो नामजद अभियुक्तों, फुरकान और दस्तावेज लेखक संगम सैनी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इनके खुलासे के बाद पुलिस की जांच और गहरी हुई, जिससे पता चला कि यह एक संगठित आठ सदस्यों का गिरोह है, जो बाहर रहने वाले मालिकों की जमीन को टारगेट करता है.

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जांच आगे बढ़ने पर पुलिस ने गिरोह के एक और सदस्य मांगेराम को गिरफ्तार किया. जिसने पूछताछ में अपने तीन साथियों मोहित उर्फ मोनू, इसरार और जुल्फकार त्यागी उर्फ गुड्डू त्यागी के नाम बताए. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इन तीनों को भी गिरफ्तार कर लिया. इनके कब्जे से दो कारें और तीन मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं. पुलिस के अनुसार गैंग का मुख्य सरगना इसरार है, जिस पर पहले भी फर्जी दस्तावेज तैयार करने के मुकदमे दर्ज हैं. जबकि संगम सैनी तहसील स्तर पर पूरे दस्तावेज तैयार करने में उनकी मदद करता था.

पूछताछ में आरोपियों ने पूरा तरीका बताया कि वे बाहर रहने वाले लोगों की जमीनें चिन्हित करते, उनके नाम से फर्जी दस्तावेज बनवाते और फिर किसी एक साथी को असली मालिक बनाकर बैनामा करा देते थे. पुलिस का कहना है कि यह धोखाधड़ी तहसील के अंदर की मिलीभगत के बिना संभव नहीं थी. इसलिए कई नए लोग भी अब जांच के दायरे में हैं.

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एसपी सागर जैन ने बताया कि मामले में शामिल चारों आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेजा जा रहा है और जमीन माफिया के बाकी सदस्यों को पकड़ने के लिए पुलिस की टीमें लगातार काम कर रही हैं. एसपी देहात सागर जैन ने बताया कि 24 जुलाई को थाना बिहारीगढ़ पर एक मुकदमा पंजीकृत किया गया था. जिसमें चार लोगों को नामजद किया गया था.

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बाहर रहने वाले लोगों की जमीन को बनाते थे निशाना

वादी ने बताया था कि उसके मामा की जमीन थाना बिहारीगढ़ क्षेत्र में है. आरोपियों ने फर्जी आदमी को उनके मां की जगह खड़ा करके इसे बेच दी. शिकायत के बाद अभियुक्त फुरकान और संगम सैनी को पूर्व में गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वहीं पूछताछ में दोनों ने अपने अन्य तीन साथियों मोहित, इसरार और त्यागी का नाम बताया. पुलिस ने फिर इन तीनों को भी गिरफ्तार किया. इनके कब्जे से दो कार और तीन मोबाइल फोन भी बरामद हुए हैं.

गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि इनका आठ लोगों का गैंग है. यह खास तौर से उन लोगों की जमीन चाहते हैं जो यहां नहीं रहते हैं या दूर एरिया में रहते हैं. फिलहाल मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है. 

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