'कुछ ही पलों में आवाज आने लगी, जैसे...' धराली आपदा में कई दिन फंसे रहे रामपुर के लोगों ने सुनाई आपबीती

उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र में तबाही मचा दी. इस आपदा का सामना वहां के लोगों के साथ गंगोत्री यात्रा पर गए लोग भी कर रहे थे. रामपुर के चार युवक भी गंगोत्री गए हुए थे. वे भी वहां फंस गए. तीन दिनों तक भयावह परिस्थितियों में फंसे रहने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विशेष पहल से हेलीकॉप्टर द्वारा सुरक्षित निकाले गए.

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धराली आपदा में फंस गए थे रामपुर के चार लोग. (Photo: ITG) धराली आपदा में फंस गए थे रामपुर के चार लोग. (Photo: ITG)

आमिर खान

  • रामपुर,
  • 10 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:24 PM IST

उत्तराखंड में बादल फटने की घटना से पूरे क्षेत्र में तबाही मच गई थी. इसी दौरान उत्तराखंड गए लोगों को भी इस आपदा का सामना करना पड़ा था. कुछ लोग इस खौफनाक मंजर के गवाह रहे. उन्हीं में रामपुर जिले के तहसील स्वार के रहने वाले चार लोग भी शामिल हैं, जो गंगोत्री गए थे. इनमें महेंद्र सैनी, नौबत राम सैनी, प्रेम सिंह सैनी और आकाश कुमार को इस आपदा का सामना करना पड़ा. कुछ दिन उत्तराखंड में फंसे रहे.

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उत्तराखंड के सीएम धामी ने हेलिकॉप्टर से गंगोत्री से उत्तरकाशी तक भिजवाया, सभी को सेना की बसों द्वारा ऋषिकेश के लिए रवाना कर दिया गया. इसके बाद घर पहुंचे इन लोगों ने राहत की सांस ली और घर पर रक्षाबंधन का त्योहार धूमधाम के साथ मनाया. 

मीडिया से बात करते हुए इन सभी ने आपबीती सुनाई. घटना के चश्मदीद महेंद्र सैनी ने कहा कि मैं स्वार का रहने वाला हूं. यहां से 4 तारीख को निकले थे. शाम को चंबा में रुके. सुबह निकल गए, फिर धराली गांव में रुके. वहां अचानक ऊपर से कीचड़ आने लगा, जिसमें हमारी गाड़ी के टायर भी गीले हो रहे थे. मलबा आ रहा था. मैंने अपने साथी से कहा कि वीडियो बना लो. वह घबराकर बोले कि यह मलबा खतरनाक लग रहा है. यहां से तेजी से निकलो.

बस कुछ ही पलों में आवाज आने लगी. जैसे आपदा हो. हम वहां पर नए थे तो आगे बढ़ने लगे. थोड़ी देर बाद देखते हैं कि आर्मी के जवान आने लगे. उन्होंने बताया कि एक गांव पूरा बह गया है. हमें हैरानी भी हुई कि अगर हम वहां होते तो हमारे साथ क्या होता. हम बहुत भयभीत हो गए थे. उसके बाद हम गंगोत्री धाम पहुंचे. गंगोत्री धाम में पहले से ही अलर्ट हो गया था. वहां पार्किंग बंद कर दी गई कि कोई बाहर नहीं जाए. 

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कुछ ही पलों में वहां सेवा की गाड़ियां आने लगीं, जो लोग वहां बचे थे, उन्हें लेकर आ रहे थे. नेटवर्क सिगनल सब खत्म हो गए थे. घर वालों को भी डर था. तीन दिन तक यही रहा कि हम जिंदा भी हैं या नहीं. उसके बाद हरिद्वार से एक एडिशनल साहब गए थे, वे सरकारी फोन लेकर गए थे. उन्होंने तीन दिन बाद बात कराई केवल 30 सेकंड की, जिसमें हमने बताया कि हम ठीक हैं और हमारे साथ वाले भी ठीक हैं. उसमें हमारी चार रातें जैसे गुजरी हैं, न तो नींद आई और माहौल पूरा भयभीत रहा. 

इसके 4 दिन बाद पता चला कि हेलिकॉप्टर लगेंगे, मीटिंग चल रही है तो हमारी जान में जान आई. उसके बाद पता चला कि हेलिकॉप्टर की व्यवस्था हो गई है. हम लोगों को लाइन में लगा दिया गया, फिर पता चला कि मौसम खराब है. जो हेलिकॉप्टर था, वह वापस हो गया. फिर अगले दिन हेलिकॉप्टर आया. फिर हम लोगों को ले जाया गया. तकरीबन 15 किलोमीटर हम बस के रास्ते से चले. उसके बाद 4 किलोमीटर हमें पैदल लेकर जाया गया. जहां आपदा आई थी.

हमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मिले. उन्होंने सब लोगों का हाल-चाल जाना, फिर हमसे पूछा कि आप लोग कहां से हैं. हमने बताया कि रामपुर से हैं. तो वे बोले कि आप हमारे पड़ोसी हो. उन्होंने हमें वहां की आपबीती बताई, फिर उन्होंने कहा कि ऊपर एंबुलेंस खड़ी है, आप वहां से निकलो. फिर जहां आर्मी कैंप था, वहां हमें ले जाया गया. फिर वहां से उत्तरकाशी पहुंचे. फिर हमने सभी का धन्यवाद किया और हमारी जान में जान आई. हमारे मोबाइल भी चालू हो गए और सभी के फोन आने लगे. 

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घटना के चश्मदीद नौबत राम ने कहा कि वह रात बहुत भयानक गुजरी. बहुत डर के माहौल में, वहां नेटवर्क नहीं था. हम डरे हुए थे. घर वालों को भी चिंता हो रही थी. यहां अफवाहें बहुत ज्यादा उड़ रही थीं. अब हम घर आ गए हैं. बहुत ज्यादा खुशी का माहौल है. रक्षाबंधन घर आकर मनाया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के शुक्रगुजार हैं, उन्हीं की वजह से हम रक्षाबंधन मना पा रहे हैं. उन्होंने हेलीपैड पर भेजा और यहां तक आने की व्यवस्था की.

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