मेरठ में चर्चित स्टांप घोटाले में जेल में बंद मुख्य आरोपी अक्षय गुप्ता एक बार फिर विवादों में है. इस बार उस पर अपनी जमानत कराने के लिए फर्जी जमानती, फर्जी दारोगा के हस्ताक्षर और फर्जी वकील की मोहर लगवाने का गंभीर आरोप लगा है. मामला सामने आते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है.
फर्जी जमानती और फर्जी दारोगा का खुलासा
दरअसल, साल 2024 में हुए स्टांप घोटाले में अक्षय गुप्ता को जेल भेजा गया था. जेल में रहते हुए उसने एसीजेएम-10 कोर्ट में कई जमानती भेजे. पुलिस जब तस्दीक के लिए अलग-अलग थानों में पहुंची तो पता चला कि सभी जमानती फर्जी हैं. जमानत पत्रों पर जिन दारोगाओं के हस्ताक्षर दिखाए गए थे-थाना लालकुर्ती के “हरपाल” और थाना टीपी नगर के “रंजीत” दोनों ही नाम पूरी तरह काल्पनिक निकले. जिले के किसी भी थाने में ऐसे दारोगा तैनात नहीं हैं.
यह भी पढ़ें: मेरठ में सुहागरात को रहस्यमय तरीके से लापता हुआ दूल्हा, तीन दिन बाद हरिद्वार में इस हाल में मिला
फर्जी वकील की मोहर भी लगाई गई
जांच में यह भी सामने आया कि जमानत पत्रों पर जिस वकील नबी हसन जैदी की मोहर लगाई गई थी, वह भी पूरी तरह फर्जी है. कचहरी में इस नाम का कोई भी वकील मौजूद नहीं है. इससे साफ हो गया कि जमानत दस्तावेजों की पूरी प्रक्रिया फर्जीवाड़े पर आधारित थी.
पुलिस ने दर्ज किया मुकदमा, टीम गठित
मामले पर एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह ने बताया कि जमानत से जुड़े सभी दस्तावेज, जमानती और तस्दीक करने वाले दारोगा फर्जी पाए गए. पुलिस ने आठ लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. मुख्य आरोपी अक्षय गुप्ता को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जा रहा है. बाकी आरोपियों की तलाश के लिए पुलिस टीम बना दी गई है और जल्द गिरफ्तारियां होने की संभावना है.
उस्मान चौधरी