हेट स्पीच मामले में अब्बास अंसारी को नहीं मिली राहत, पहले ही जा चुकी है विधायकी

हेट स्पीच मामले में मऊ के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को अदालत से कोई राहत नहीं मिली है. एमपी/एमएलए कोर्ट ने उनकी सजा के खिलाफ दायर तीनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं, जिससे उनकी दो साल की सजा बरकरार रही. इसके साथ ही, नियमों के अनुसार उनकी विधायकी स्वतः समाप्त मानी गई है.

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अब्बास अंसारी- फाइल फोटो अब्बास अंसारी- फाइल फोटो

आशीष श्रीवास्तव

  • मऊ,
  • 05 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 9:49 PM IST

हेट स्पीच मामले में मऊ के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को अदालत से कोई राहत नहीं मिली है. एमपी/एमएलए कोर्ट ने उनकी सजा के खिलाफ दायर तीनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं, जिससे उनकी दो साल की सजा बरकरार रही. इसके साथ ही, नियमों के अनुसार उनकी विधायकी स्वतः समाप्त मानी गई है.

अब्बास अंसारी पर चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने (हेट स्पीच) का आरोप था. इस मामले में पहले ही उन्हें दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई जा चुकी है. इसके खिलाफ उन्होंने राहत की गुहार लगाते हुए तीन याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन शुक्रवार को एमपी/एमएलए कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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ऐसे गई विधायकी
अब्बास अंसारी ने फैसले को जिला जज की अदालत में चुनौती दी है, जहां यह मामला अब भी लंबित है. हालांकि, वर्तमान में उनकी विधायक सदस्यता रद्द मानी जा रही है क्योंकि जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत दो साल या उससे अधिक की सजा होने पर विधायकी स्वतः समाप्त हो जाती है.

जिला अदालत में होने वाली सुनवाई पर निर्भर करेगा अगला कदम
यह मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि अब्बास अंसारी माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे हैं और सुर्खियों में बने रहते हैं. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अब अगला फैसला जिला अदालत में होने वाली सुनवाई पर निर्भर करेगा. अगर वहां से भी राहत नहीं मिलती है, तो आगे अपील हाई कोर्ट में की जा सकती है.

क्या है मामला?
यह मामला वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान का है. मऊ नगर कोतवाली क्षेत्र के पहाड़पुरा मैदान में एक चुनावी जनसभा के दौरान, मंच से भाषण देते हुए अब्बास अंसारी ने विवादास्पद बयान दिया था. अपने भाषण में उन्होंने कहा था कि सरकार बनने के बाद अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग पर रोक लगाई जाएगी, ताकि पहले उन अधिकारियों से 'हिसाब-किताब' किया जा सके.

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इस बयान के बाद मामला तूल पकड़ गया और इसे नफरत फैलाने वाला भाषण (हेट स्पीच) माना गया. तत्कालीन एसआई गंगाराम बिंद की ओर से मऊ नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई, जिसमें अब्बास अंसारी सहित अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया. पुलिस ने चुनावी मंच से दिए गए इस बयान को चुनाव आचार संहिता और शांति व्यवस्था के विरुद्ध माना था.

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