सुल्तानपुर में एक लाख के इनामी मंगेश यादव के एनकाउंटर पर सवाल उठ रहे हैं. सवालों के घेरे में पुलिस और यूपी एसटीएफ की थ्योरी भी है. मंगेश यादव के परिवार और STF की कहानी में काफी अंतर्विरोध है. परिवार एनकाउंटर को फर्जी बता रहा है वहीं एनकाउंटर के तरीके पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं. अखिलेश यादव, राहुल गांधी सरीखे विपक्षी नेता भी मंगेश यादव एनकाउंटर का खुलकर विरोध कर रहे हैं. ऐसे में आइए कुछ तथ्यों से समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर किसकी कहानी में सच्चाई है, मंगेश के परिवार की या फिर STF की?
मंगेश लूट की घटना में शामिल था या नहीं?
यूपी एसटीएफ के मुताबिक, मंगेश यादव ने 28 अगस्त को 12 बजकर 15 मिनट पर साथियों के साथ सुल्तानपुर के ज्वैलरी शोरूम में लूट की थी.
वहीं, मंगेश के परिजनों का दावा है कि 28 अगस्त को सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 2 बजे तक मंगेश अपनी बहन के साथ था. क्योंकि, उस दिन उसे बहन के स्कूल में फीस जमा करनी थी. ऐसे में वो लूट की घटना में कैसे शामिल हो सकता है.
गरीब घर से था मंगेश तो उसके पास से ब्रांडेड कपड़े कहां से आए?
एसटीएफ कहती है कि एनकाउंटर के वक्त मंगेश के पास से ब्रांडेड कपड़े और ट्रॉली बैग मिला. बाइक भी उसके पास थी. साथ ही उसके पास से महंगी पिस्टल बरामद हुई है.
लेकिन मंगेश की बहन की माने तो जब परिवार इतनी गरीबी में जी रहा है तो ब्रांडेड कपड़े कहां से लाएंगे. घर में बाइक तो छोड़िए साइकिल तक नहीं है. घर भी टूटा-फूटा है.
चप्पल-जींस पहन एनकाउंटर करने निकल पड़े?
STF के अनुसार, उसने 'खतरनाक अपराधी' मंगेश यादव के एनकाउंटर के वक्त सारे नियमों का पालन किया. जैसे- बुलेटप्रूफ जैकेट आदि पहन रखी थी. लेकिन एनकाउंटर साइट की जो फोटो आई हैं उनमें STF अफसर डीके शाही और उनके कुछ साथी चप्पल पहने हुए नजर आ रहे हैं. बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं दिख रही.
यूपी STF का कहना है कि मंगेश के पास से 7.65MM की पिस्टल और 315 बोर का एक देसी कट्टा मिला है. तो ऐसे में सवाल उठता है कि फिर भी पुलिसवालों ने बुलेटप्रूफ जैकेट क्यों नहीं पहनी? क्या उन्हें मंगेश पर भरोसा था कि वो गोली नहीं चलाएगा या फिर कुछ और ही वजह थी?
मंगेश पर 8 केस दर्ज थे, मगर कभी हथियार नहीं मिला
मंगेश यादव पर सुल्तानपुर लूट कांड समेत 8 मुकदमे दर्ज थे. सभी मुकदमे वाहन चोरी और लूट के थे और इसमें एक मुकदमा गैंगस्टर एक्ट का था. मंगेश को पुलिस ने दो बार गिरफ्तार किया. एक बार सुल्तानपुर से और एक बार जौनपुर से, लेकिन मंगेश ने ना कभी गोली चलाई ना किसी को चाकू मारा और ना ही पुलिस ने गिरफ्तारी के वक्त उसके पास कभी कोई असलहा बरामद किया. लेकिन एनकाउंटर वाले दिन एकाएक उसके पास हथियार आ गए.
इतनी बड़ी वारदात के बाद घर में क्या कर रहा था मंगेश?
परिजनों के मुताबिक, पुलिस मंगेश को घर से उठाकर ले गई फिर दो दिन बाद उसे फर्जी मुठभेड़ में ढेर कर दिया. मंगेश के पिता राकेश ने कहा कि अगर बेटे ने लूट की होती तो वो घर में क्या करता, कहीं बाहर भाग जाता.
मंगेश यादव ने जब 28 अगस्त को दिनदहाड़े लूट जैसी वारदात को अंजाम दिया, उसके तीन साथी एनकाउंटर के बाद दबोचे जा चुके थे, गैंग के लीडर विपिन सिंह ने सरेंडर कर दिया था, इतना ही नहीं उस पर ₹1 लाख का इनाम हो चुका था तो फिर वह घर में क्यों आराम फरमा रहा था. इसपर बहन कहती है कि भाई को कुछ पता नहीं था. वो सोच रहा था कि जब कुछ किया ही नहीं तो घर से क्यों भागे.
तीन को पैर में गोली मारी, लेकिन मंगेश को किया ढेर
पुलिस ने तीन बदमाशों पुष्पेंद्र सिंह, त्रिभुवन कोरी और सचिन सिंह को सुल्तानपुर लूट कांड के दो दिन बाद 1 सितंबर को एनकाउंटर में घायल कर गिरफ्तार किया था. वहीं, दूसरी तरफ इस पूरे गैंग में सबसे खतरनाक और शातिर अपराधी विपिन सिंह ने 4 सितंबर को रायबरेली में दर्ज पुराने मुकदमे में सरेंडर कर दिया था. जबकि, 5वां आरोपी मंगेश यादव एनकाउंटर में मारा गया.
अब बाकी बचे 9 बदमाशों फुरकान, अनुज प्रताप सिंह, अरबाज, विनय शुक्ला, अंकित यादव, अजय यादव, अरविंद यादव, विवेक सिंह, दुर्गेश प्रताप सिंह समेत 9 लोगों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित है.
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