घर में रहते हैं 10 लोग, उसी पते पर 4 हजार से ज्यादा मतदाता... महोबा की वोटर लिस्ट में गजब खेल

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले की वोटर लिस्ट इस वक्त वायरल हो रही है. यहां एक घर में 10 लोग रहते हैं, लेकिन उसी पते पर 4 हजार से ज्यादा मतदाताओं को दर्ज कर दिया गया. ये गलती सिर्फ एक घर के मतदाता सूची में नहीं है, बल्कि कई और घरों में हुई है.

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महोबा के मतदाता सूची में बड़ी लापरवाही आई सामने. (Photo: Representational ) महोबा के मतदाता सूची में बड़ी लापरवाही आई सामने. (Photo: Representational )

नाह‍िद अंसारी

  • महोबा,
  • 17 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:18 PM IST

उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियों के तहत जारी मतदाता सूची इस समय सबसे बड़ा मजाक बन गई है. गड़बड़ी का आलम यह है कि कहीं एक साधारण मकान में 4271 मतदाता दर्ज हैं, तो कहीं एक घर में 243 मतदाता दर्ज हैं. इस तरह की लापरवाही देख लोग भी हैरत में हैं.

दरअसल, ये पूरा मामला कुलपहाड़ तहसील के जैतपुर ग्राम पंचायत का है. यहां का मकान नंबर 803 सुर्खियों का केंद्र बना हुआ है. वार्ड नंबर तीन जुगयाना में चार कमरों वाले इस मकान की मुखिया उजिया की 10 साल पहले मौत हो चुकी थी. फिर भी मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज है. 

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घर में 10 लोग, लेकिन मतदाता सूची में 4 हजार से ज्यादा

मगर ताज्जुब है कि मतदाता क्रमांक 2251 यानि कि इसी मकान नंबर 803 में 4271 लोग कागजों में इस घर के स्थायी निवासी बना दिए गए हैं. ऐसे में लोग इसको लेकर विभागीय जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. 

उजिया की पुत्री, पुत्री कहना है कि उनके घर के सिर्फ 10 मतदाता हैं. मगर ये हजारों की संख्या कैसे हुई, उन्हें भी नहीं मालूम है. वहीं पड़ोस में रहने वाले एहसान ने भी इस मामले को लेकर सवाल खड़े किए और कहा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि इतने सारे लोग कैसे एक ही मकान नंबर पर दर्ज हो गए हैं?

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वार्ड क्रमांक 13 में भी हुआ यही खेल

इसी तहसील के पनवाड़ी ग्राम पंचायत के वार्ड क्रमांक-13 में भी गजब की गड़बड़ी सामने आई है. मकान नंबर 996 पर 185 और मकान नंबर 997 पर 243 मतदाता दर्ज मिले. जबकि असलियत में इन घरों में दो से छह ही लोग रहते हैं. मकान मालिक खुद यह सूची देखकर दंग रह गए. स्थानीय लोगों ने इसे गंभीर लापरवाही बताते हुए निर्वाचन आयोग से जांच की मांग की है.

जानिए ADM ने मामले में क्या कहा?

इस मामले को लेकर एडीएम कुंवर पंकज का कुछ और ही कहना है. उनकी माने तो यह त्रुटियां स्थायी मकान नंबर न होने के कारण हुई हैं. ऐसे में बीएलओ ने एक ही नंबर पर कई परिवारों के नाम दर्ज कर दिए, लेकिन दर्ज मतदाता उसी गांव के ही हैं. अब सुधार प्रक्रिया के तहत मकान नंबरों को विभाजित कर त्रुटियों को ठीक किया जाएगा.

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