हर साल की तरह इस बार भी दिवाली के मौके पर पटाखों को लेकर तमाम चेतावनियां और जागरुकता अभियाना निष्फल साबित हुए. यूं तो पटाखा प्रेमी प्रदूषण और एक्यूआई जैसे मुद्दों को वैसे भी कभी गंभीरता से नहीं लेते लेकिन पटाखे जलाते वक्त अपनी और दूसरों की सावधानी तो बेसिक है. बुधवार की रात लापरवाही की एक चिंगारी 19 परिवारों के घरों में अंधेरा कर गई. प्रकाश पर्व का उल्लास पलक झपकते ही गम और सन्नाटे में बदल गया.
दरअसल गाजियाबाद के इंदिरापुरम थाना क्षेत्र के शक्ति खंड-2 में बुधवार देर रात एक बड़ा हादसा हो गया. खबरों में लिखा जा रहा है कि हादसा टल गया क्योंकि किसी की मौत नहीं हुई लेकिन क्या वाकई हादसा टला है? प्लॉट नंबर 188 स्थित पांच मंजिला दिव्या अपार्टमेंट में अचानक आग लग गई. इलाके में हड़कंप मच गया. तत्काल फायर कर्मियों और स्थानीय लोगों की सूझबूझ से इमारत में रह रहे सभी 19 परिवारों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया.
जलकर राख हो गई वर्षों की गृहस्थी
इतनी गनीमत रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई लेकिन आग ने इन परिवारों का सबकुछ राख कर दिया. सुई से लेकर सोफा तक वर्षों के जतन से जोड़ी गई गृहस्थी अब पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है. वीडियो और तस्वीरों में बिल्डिंग का जो हाल नजर आ रहा है उससे आग की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है. इन परिवारों के सिर से अब छत छिन गई है. इनके लिए हादसा टला नहीं है बल्कि इन पर कहर टूटा है.
आग बुझाने में लगे छह टैंकर
मुख्य अग्निशमन अधिकारी राहुल पाल ने बताया कि आग की सूचना रात करीब 8:30 बजे मिली. सूचना मिलते ही फायर स्टेशन वैशाली से तीन टैंकर रवाना किए गए, जबकि काला पत्थर, इंदिरापुरम और अटल चौक वसुंधरा से भी टैंकर मौके पर बुलाए गए. इसके अलावा एक अतिरिक्त टैंकर साहिबाबाद से भी मंगाया गया. करीब छह फायर टैंकरों और 5-6 होज पाइप लाइनों की मदद से दमकलकर्मियों ने लगभग एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया.
फायर फाइटर्स ने ब्रीदिंग अपरेटस पहनकर धुएं से भरी इमारत के अंदर घुसकर आग बुझाई. शुरुआती जांच में पता चला है कि आग दीपावली पर जलाई गई आतिशबाजी की चिंगारी से भड़की, जिसने बालकनी में रखे सामान और फाइबर शीट्स को अपनी चपेट में ले लिया. देखते ही देखते लपटें कई फ्लैटों की बालकनियों तक फैल गईं.
कहां से शुरू हुई आग?
स्थानीय निवासी दीपक त्यागी ने बताया कि आग उनके फ्लैट से शुरू हुई थी. उन्होंने एक पड़ोसी पर इसका आरोप भी लगाया. दीपक ने कहा, 'मेरे फ्लैट में सबसे पहले आग लगी. एक पटाखा मेरे इन्वर्टर से टकराया. यहां से थोड़ी दूर पर जितेंद्र नाम का एक आदमी रहता है. वह हमारी बिल्डिंग के नीचे पटाखे फोड़ रहा था. मेरी बिल्डिंग का एक और व्यक्ति, राजीव, भी उसके साथ पटाखे फोड़ रहा था. RWA अध्यक्ष अशोक त्यागी ने उन्हें मना किया, लेकिन उन्होंने झगड़ा कर लिया. मैंने अग्निशामक यंत्र से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन लपटें बहुत तेज थीं. आग पूरे घर और फिर बिल्डिंग में फैल गई.'
'हम खाना खाने जा रहे थे'
एक अन्य निवासी ने इन आरोपों से इनकार किया. उन्होंने कहा, 'मैं तीसरी मंजिल पर रहती हूं. हम पूजा के बाद बच्चों के साथ खाना खा रहे थे. कोई नहीं कह सकता कि हमने आग लगाई. मेरे पति का नाम राजीव है. हम खुद इसी बिल्डिंग में रहते हैं, हम इसे क्यों जलाएंगे? कुछ लोगों ने गलत बयान दिए हैं.' फिलहाल दमकल विभाग ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है ताकि आग लगने के असली कारणों का पता लगाया जा सके.
अधिकारियों का कहना है कि अगर समय पर सूचना नहीं मिलती, तो हादसा बड़ा रूप ले सकता था. बिल्डिंग की बालकनियों में रखा फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और घरेलू सामान सबकुछ जलकर राख हो गया है और इमारत के कुछ हिस्सों को आंशिक क्षति पहुंची है.
खतरों और सावधानियों के बारे में भी जान लें
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की रिहायशी इमारतों में आग लगने के खतरे सबसे ज्यादा बालकनी, इन्वर्टर, वायरिंग, रसोई और आतिशबाजी जैसी बाहरी वजहों से होते हैं. जरा सी लापरवाही पूरे फ्लोर या बिल्डिंग को अपनी चपेट में ले सकती है.
ऐसी इमारतों में आग लगने के प्रमुख खतरे:
-बालकनी में लकड़ी, फाइबर शीट या पुराने फर्नीचर जैसी ज्वलनशील चीजें रखना
-इन्वर्टर या बैटरी को खुले में रखना, खासकर आतिशबाजी के दौरान
-पुराने इलेक्ट्रिक वायर और ओवरलोडेड सर्किट
-एक ही बोर्ड से कई भारी उपकरण चलाना
-त्योहारों या शादी-ब्याह में पटाखे जलाते समय नजदीकी इमारतों का ध्यान न रखना
इन सावधानियों से टल सकती है बड़ी त्रासदी:
-बालकनी या गलियारों में किसी भी ज्वलनशील वस्तु (फर्नीचर, कपड़े, कागज, डिब्बे आदि) को न रखें
-आतिशबाजी हमेशा खुली जगह और इमारतों से दूर करें
-घर में फायर एक्सटिंग्विशर (अग्निशामक यंत्र) रखें और परिवार के सभी सदस्य उसका इस्तेमाल सीखें
-पुरानी वायरिंग की समय-समय पर जांच कराएं और ओवरलोडिंग से बचें
-बिल्डिंग में फायर अलार्म, इमरजेंसी एक्जिट और अग्नि सुरक्षा व्यवस्था को नियमित रूप से जांचें
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