यूपी में खाद को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी अब सीधे कानून के कठघरे में होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ और दो टूक शब्दों में यह संदेश दे दिया है कि मिलावटी, नकली खाद बेचने वालों या खाद की कालाबाजारी करने वालों के लिए अब कोई रियायत नहीं होगी. ऐसे लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) जैसी कठोर कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अन्नदाता किसान को खाद के लिए भटकना पड़ा तो इसकी पूरी जिम्मेदारी तय की जाएगी और दोषी चाहे किसी भी पद या स्तर का हो, कार्रवाई से नहीं बच सकेगा.
उच्चस्तरीय बैठक में सख्त निर्देश
मंगलवार को कृषि मंत्री और सहकारिता मंत्री की मौजूदगी में आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में खाद की उपलब्धता और वितरण व्यवस्था की विस्तार से समीक्षा की. बैठक में अधिकारियों को साफ संदेश दिया गया कि अब खाद को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही या मिलीभगत बर्दाश्त नहीं की जाएगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि सहकारिता और कृषि मंत्री रोजाना खाद की उपलब्धता और वितरण की समीक्षा करेंगे, जबकि मुख्यमंत्री कार्यालय से हर जिले पर सीधी निगरानी रखी जाएगी.
अब अफसर खुद उतरेंगे मैदान में
सीएम योगी ने जिलाधिकारियों, अपर जिलाधिकारियों और उप जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे खुद खाद की दुकानों और समितियों का औचक निरीक्षण करें. यह सिर्फ कागजी कार्रवाई नहीं होगी, बल्कि जमीनी स्तर पर जाकर देखा जाएगा कि दुकानों पर खाद सही दाम पर मिल रही है या नहीं, स्टॉक उपलब्ध है या नहीं और किसानों के साथ किसी तरह की मनमानी तो नहीं हो रही. मुख्यमंत्री ने कहा कि ओवर रेटिंग किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं की जाएगी. डीएपी, यूरिया और पोटाश किसानों को केवल तय सरकारी दरों पर ही उपलब्ध कराई जाए. खाद समितियों को निर्धारित समय पर अनिवार्य रूप से खुला रखना होगा, ताकि किसानों को अनावश्यक परेशानी न हो.
गड़बड़ी मिली तो तुरंत कार्रवाई
सीएम योगी ने अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि जहां भी खाद वितरण में गड़बड़ी पाई जाए, वहां तत्काल जवाबदेही तय की जाए. यदि किसी दुकान या समिति में कालाबाजारी, नकली खाद या कृत्रिम संकट पैदा करने की कोशिश सामने आती है, तो संबंधित व्यक्ति पर सख्त कार्रवाई होगी. जरूरत पड़ने पर एनएसए के तहत भी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में कोई ऐसी हिम्मत न कर सके.
फील्ड अफसरों पर भी नजर
मुख्यमंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि सिर्फ दुकानदार ही नहीं, बल्कि फील्ड में तैनात अधिकारियों की गतिविधियों पर भी लगातार नजर रखी जाएगी. अगर किसी स्तर पर मिलीभगत या लापरवाही सामने आती है, तो खुली विजिलेंस जांच कराई जाएगी. उनका कहना था कि खाद संकट पैदा करने या कृत्रिम अभाव दिखाने वालों के लिए प्रदेश में कोई जगह नहीं है.
आंकड़ों में क्या है स्थिति
बैठक में मुख्यमंत्री को खाद की मौजूदा स्थिति की विस्तृत जानकारी दी गई. अधिकारियों ने बताया कि 16 दिसंबर 2025 तक प्रदेश में कुल 9.57 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है. इसके अलावा 3.77 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 3.67 लाख मीट्रिक टन एनपीके उर्वरक किसानों के लिए मौजूद है. सहकारी क्षेत्र में 3.79 लाख मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र में 5.78 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध बताया गया. डीएपी की बात करें तो सहकारी क्षेत्र में 1.47 लाख मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र में 2.30 लाख मीट्रिक टन स्टॉक मौजूद है. वहीं एनपीके उर्वरक में सहकारी क्षेत्र में 0.88 लाख मीट्रिक टन और निजी क्षेत्र में 2.79 लाख मीट्रिक टन की उपलब्धता बताई गई.
रबी की बुवाई लगभग पूरी
अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया कि प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है. गेहूं की फसल में टॉप ड्रेसिंग के लिए इस समय बड़े पैमाने पर यूरिया का वितरण किया जा रहा है. अधिकारियों के अनुसार, गत वर्ष की तुलना में इस अवधि में यूरिया की बिक्री अधिक रही है. फिलहाल प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 54,249 मीट्रिक टन यूरिया का वितरण हो रहा है.
किसानों को राहत का भरोसा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उपलब्धता के बावजूद अगर किसी किसान को खाद के लिए भटकना पड़ा, तो यह सरकार की नाकामी मानी जाएगी. उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर किसान को समय पर, सही मात्रा में और तय दाम पर खाद मिले. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान सरकार की प्राथमिकता हैं और उनकी जरूरतों के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा.
क्यों जरूरी है यह सख्ती
हर साल रबी और खरीफ के मौसम में खाद को लेकर कालाबाजारी और ओवर रेटिंग की शिकायतें सामने आती हैं. कई बार दुकानों पर स्टॉक होते हुए भी कृत्रिम संकट पैदा किया जाता है, जिससे किसान मजबूर होकर महंगे दामों पर खाद खरीदते हैं. मुख्यमंत्री के ताजा निर्देशों को इसी समस्या पर नकेल कसने के तौर पर देखा जा रहा है.
जमीनी असर पर टिकी नजर
अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इन सख्त निर्देशों का जमीनी स्तर पर कितना असर दिखता है. अगर DM, ADM और SDM वास्तव में खुद दुकानों की जांच करते हैं और गड़बड़ी पर तत्काल कार्रवाई होती है, तो किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है.
आशीष श्रीवास्तव