यूपी के बागपत के बेसिक शिक्षा विभाग में एक हैरान कर देने वाला फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. यहां एक कर्मचारी ऐसे स्कूल के शैक्षिक प्रमाण पर नौकरी करते पकड़ा गया जिसका वजूद ही जमीन पर कभी नहीं रहा. चौंकाने वाली बात यह है कि यह फर्जी नियुक्ति 36 साल तक चलती रही और विभाग की आंखों के सामने सुरेंद्र शर्मा नाम का कर्मचारी हर महीने मजे से वेतन उठाता रहा. आखिरकार अब जांच के बाद पूरे खेल का पर्दाफाश हुआ और बीएसए गीता चौधरी ने उसे बर्खास्त कर दिया.
दरअसल, पूरा मामला 1989 से जुड़ा है, जब मेरठ बीएसए कार्यालय से सुरेंद्र शर्मा की नियुक्ति परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालय ढिकाना में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद पर दिखाई गई. 19 अक्टूबर 2023 को बीएसए कार्यालय बागपत को शिकायत मिली कि सुरेंद्र शर्मा ने फर्जी तरीके से नौकरी पाई है. जब जांच हुई तो सुरेंद्र से शैक्षिक प्रमाणपत्र मांगे गए. उसने दावा किया कि नियुक्ति उप विद्यालय निरीक्षक मेरठ ने की थी और उस समय कक्षा आठ की मूल टीसी भी जमा की थी. लेकिन जब बीएसए बागपत ने मेरठ कार्यालय से पूरी फाइल मंगवाई तो वहां से जवाब मिला कि जिले के गठन के बाद सभी फाइलें बागपत भेज दी गई थीं. बागपत दफ्तर में चेक करने पर सुरेंद्र की नियुक्ति संबंधी फाइल का कहीं कोई अता-पता नहीं मिला.
बीईओ ने जब उससे शैक्षिक प्रमाणपत्रों की डुप्लीकेट कॉपी लाने को कहा तो सुरेंद्र ने बहाना बना दिया कि स्कूल लंबे समय से बंद है. इसी बीच विभाग ने 19 अप्रैल 2024 को उसका वेतन रोक दिया गया. जिसके बाद सुरेंद्र शर्मा ने नौकरी पाने के लिए जो शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाया था वही अब उसके लिए मुसीबत बन गया.
सुरेंद्र ने नियुक्ति के समय आठवीं कक्षा की टीसी जीवन साधना शिशु वाटिका नामक स्कूल की पेश की. मगर जांच में सामने आया कि इस स्कूल को आठवीं तक की मान्यता तो 2023 में मिली है, जबकि सुरेंद्र द्वारा दिखाई गई टीसी में वर्ष 1982 दर्ज था. साफ हो गया कि जिस समय का वह प्रमाणपत्र दिखा रहा था, उस वक्त इस नाम से आठवीं तक कोई मान्यता प्राप्त स्कूल था ही नहीं. यानी नौकरी का पूरा आधार ही फर्जी निकला.
वहीं, लंबे खींचतान के बाद अब जांच रिपोर्ट सामने आने पर बीएसए गीता चौधरी ने बड़ा कदम उठाते हुए सुरेंद्र शर्मा को बर्खास्त कर दिया है. जिसकी पुष्टि बीएसए ने खुद की है. उन्होंने कहा कि एक शिकायत मिली थी. उसके आधार पर जांच चल रही थी. जांच के बाद कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया गया है.
मनुदेव उपाध्याय