75 लोगों का परिवार, एक टाइम में लगता है 7 किलो आटा- 8 KG चावल, जानिए कैसे रहती है गोरखपुर की ये फैमिली

गोरखपुर का एक परिवार सुर्खियों में है. वजह है इस परिवार के सदस्यों की संख्या. दरअसल, परिवार में कुल सदस्यों की संख्या 75 है. एक ही घर में, एक छत के नीचे ये सभी 75 लोग हंसी-खुशी रहते हैं.

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गोरखपुर का यादव परिवार गोरखपुर का यादव परिवार

रवि गुप्ता

  • गोरखपुर ,
  • 16 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST

यूपी के गोरखपुर का एक परिवार सुर्खियों में है. वजह है इस परिवार के सदस्यों की संख्या. दरअसल, परिवार में कुल सदस्यों की संख्या 75 है. एक ही घर में, एक छत के नीचे ये सभी 75 लोग हंसी-खुशी रहते हैं. परिवार में चार पीढ़ियां निवास करती हैं. इलाके के लोग इस संयुक्त परिवार  की मिसाल देते हैं. 'आजतक' ने इस परिवार से बात की है, जिसमें सदस्यों ने बताया कि कैसे वो इस जॉइंट फैमिली में रहते हैं...   

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बता दें कि गोरखपुर के चौरी-चौरा विधानसभा के राजधानी नामक गांव में छत्रधारी यादव का 75 सदस्यीय परिवार पिछले 5-6 दशक से एकसाथ रहता आ रहा है. परिवार के मुखिया छत्रधारी ने बताया कि वह कुल चार भाई थे, जिसमें दो भाइयों का निधन हो चुका है.

उन्होंने बताया कि परिवार के सभी सदस्य, बच्चे से लेकर महिलाओं तक सब बहुत ही संस्कारी हैं, जिस वजह से जॉइंट फैमिली में रहना संभव हो पाया है. वैसे तो हर घर की तरह छोटे-मोटे विवाद होते रहते हैं, लेकिन हमारे परिवार में सब मैनेज हो जाता है. किसी बात पर मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं.  

दिन भर जलता है घर का चूल्हा

छत्रधारी यादव बहुत ही गर्व के साथ बताते हैं कि उनके घर का चूल्हा एक मिनट भी नहीं बुझता है. क्योंकि, इतना लंबा परिवार है इस वजह से दिनभर किचन में कुछ ना कुछ बनता रहता है. घर की सभी महिलाएं आपस में बेहतर सामंजस्य बिठाकर एक दूसरे के काम में हाथ बंटाती हैं. कोई बर्तन धुलने में मदद करता है तो कोई सब्जी काटने में. कुछ खाना बनाते हैं तो कुछ परोसते हैं. ऐसा करके घर की महिलाओं का समय भी कट जाता है और घर का खाना भी बन जाता है. 

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एक टाइम में 7 किलो आटा और करीब उतने ही किलो चावल

छत्रधारी आगे बताते हैं कि अमूमन घर में सभी लोग नहीं मौजूद होते हैं. कुछ लोग काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, वहीं कुछ लोग पढ़ाई-लिखाई के लिए बाहर चले जाते हैं. औसतन 45 से 50 लोग घर में होते ही हैं. ऐसे में एक टाइम में कुल 7 से 8 किलो आटे की रोटियां बनती हैं. जबकि इतने ही किलो चावल की भी आवश्यकता पड़ती है. वहीं, दो से ढाई किलो तक दाल की जरूरत पड़ती है. 

सब्जियों की बात करें तो छत्रधारी के पास खुद के खेत हैं. उसी में वो तरह-तरह की सब्जियां उगाते हैं. इसलिए सब्जियों को वह अपने खेत से ही मंगा लेते हैं. जिससे थोड़ी बचत भी हो जाती है. 

50 से अधिक की संख्या में हैं वोटर

बकौल छत्रधारी यादव- 'घर में 50 से अधिक वोटर हैं, लिहाजा राजनीतिक पार्टियों की नजर उनके घर पर जरूर रहती है.' उन्होंने कहा कि मेरा परिवार खुद राजनीति से जुड़ा हुआ है और वह गांव के प्रधान रह चुके हैं. उनकी धर्मपत्नी भी गांव की प्रधान रह चुकी हैं. मजाकिया अंदाज में छत्रधारी कहते हैं कि गांव के लोग हमारे परिवार से पंगा नहीं लेते. 

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दो दर्जन से अधिक लोग सरकारी पद पर हैं

छत्रधारी यादव ने बताया कि उनका परिवार पढ़ाई-लिखाई में भी अग्रणी है. घर के कुछ लोग प्रधानाचार्य, अध्यापक हैं. जबकि, कुछ बच्चे बीटेक और बी फार्मा किए हुए हैं. घर के दो दर्जन से अधिक सदस्य सरकारी नौकरियों में हैं. 

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