बिहार में सीखी ट्रिक, दिल्ली में बनाया गैंग और ठगी... गाजियाबाद में चल रहा था फर्जी करेंसी एक्सचेंज

गाजियाबाद में साइबर फ्रॉड और करेंसी एक्सचेंज घोटाले की कहानी सामने आई है. यहां कवि नगर थाना क्षेत्र की गौर सिद्धार्थम सोसाइटी में एसटीएफ ने छापा मारकर छह लोगों को पकड़ा है. उनके कब्जे से 25.6 लाख रुपये कैश, फर्जी आधार, मोबाइल, पिस्टल व अन्य सामान बरामद किया है. यह गैंग लोगों को बड़ी रकम का लालच देकर फ्लैट में बुलाता और असली नोटों की आड़ में कागज के बंडल थमाकर ठगी करता था.

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गाजियाबाद में चल रहा था फर्जी करेंसी एक्सचेंज. (Photo: AI-generated) गाजियाबाद में चल रहा था फर्जी करेंसी एक्सचेंज. (Photo: AI-generated)

aajtak.in

  • गाजियाबाद,
  • 13 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:21 PM IST

उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने ऐसे गैंग का भंडाफोड़ किया है, जो नोट बदलने के नाम पर लोगों से ठगी करता था. इसी के साथ साइबर फ्रॉड के लिए बैंक खातों की सप्लाई भी करता था. इस गैंग के पास से 25.6 लाख रुपये नकद, एक करेंसी काउंटिंग मशीन, आठ मोबाइल, एक देशी तमंचा, तीन जिंदा कारतूस, फर्जी आधार कार्ड और एक टाटा सफारी बरामद की गई है. इस कार्रवाई में छह आरोपियों को अरेस्ट किया गया है, जबकि गिरोह के कई सदस्य अभी फरार बताए जा रहे हैं.

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एजेंसी के अनुसार, STF ने यह कार्रवाई कवि नगर थाना क्षेत्र स्थित गौर सिद्धार्थम सोसाइटी के एक फ्लैट में गुरुवार देर रात की. यहां छापेमारी के दौरान पुलिस ने गिरोह के छह सदस्य- शुभम राज उर्फ बाबा, प्रदीप कुमार, धीरेज मिश्रा, सोनू कुमार, अमरजीत कुमार और अनुराग को गिरफ्तार किया. पूछताछ में सामने आया कि गिरोह लंबे समय से दिल्ली-एनसीआर के गाजियाबाद, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सक्रिय था और फर्जी पहचान के आधार पर फ्लैट किराए पर लेकर गतिविधियों को अंजाम देता था.

नोट बदलने के नाम पर ठगी

STF की जांच में खुलासा हुआ कि यह गैंग लोगों को नोट बदलने के नाम पर फंसाता था. आरोपी पीड़ितों को झांसा देते कि वे उनके 500 और 2000 रुपये के नोटों के बदले ज्यादा कैश देंगे. जब पीड़ित अपने पैसे लेकर आते, तो गैंग के सदस्य असली करेंसी की गड्डी का ऊपरी हिस्सा असली नोटों से भरते, जबकि नीचे का हिस्सा साधारण कागज का होता था. इस तरह पीड़ित को लगता था कि उसे पूरी गड्डी असली नोटों की मिली है, लेकिन असल में उसे ठग लिया जाता था.

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STF ने बताया कि यह गैंग सिर्फ नकली नोट एक्सचेंज तक ही सीमित नहीं था, बल्कि यह साइबर फ्रॉड में भी शामिल था. गिरोह के सदस्य 'म्यूल अकाउंट' उपलब्ध कराते थे. इन खातों का इस्तेमाल फर्जी लोन ऐप और ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स के जरिए हुई धोखाधड़ी की रकम को घुमाने में किया जाता था. जांच में ऐसे करीब 100 बैंक अकाउंट्स का पता चला है, जिनका इस्तेमाल साइबर फ्रॉड में किया गया था.

करोड़ों के लेन-देन का खुलासा

पुलिस जांच में पता चला है कि इस नेटवर्क के जरिए अब तक 25 से ज्यादा साइबर फ्रॉड शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिनमें कुल 1.09 करोड़ रुपये की रकम शामिल है. इन खातों के जरिए कई राज्यों में धोखाधड़ी की रकम को ट्रांसफर किया गया. 

पूछताछ में मुख्य आरोपी शुभम राज उर्फ बाबा ने पुलिस को बताया कि उसने यह ट्रिक बिहार में एक अन्य ठग से सीखी थी. इसके बाद उसने 2023 में दिल्ली में अपना गैंग बना लिया. अधिकारियों ने बताया कि उसने यह भी खुलासा किया कि कुछ बैंक कर्मचारियों ने कथित तौर पर आर्थिक लाभ के बदले धोखाधड़ी वाले लेनदेन के लिए अकाउंट उपलब्ध कराकर गिरोह की मदद की थी.

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गैंग की हाई-प्रोफाइल लाइफस्टाइल

गिरोह के सदस्य आलीशान सोसाइटियों में फ्लैट किराए पर लेकर रहते थे, ताकि उन पर किसी को शक न हो. महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल कर वे खुद को बड़े कारोबारी की तरह पेश करते थे. कई बार ये सदस्य पीड़ितों को फंसाने के लिए बैंक अधिकारियों या कारोबारी के रूप में सामने आते और नोट बदलने या ट्रांजेक्शन का झांसा देकर रकम हड़प लेते.

STF की कार्रवाई और आगे की जांच

गाजियाबाद STF ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है. फिलहाल गिरोह के सरगना और कुछ अन्य सदस्य फरार बताए जा रहे हैं. पुलिस की टीमें उनकी तलाश में लगातार दबिश दे रही हैं. STF अधिकारियों का कहना है कि इस गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला हुआ है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे हो सकते हैं. 

साइबर सेल भी इस मामले में सक्रिय है, ताकि पीड़ितों की शिकायतों और बैंक खातों की गतिविधियों को लिंक किया जा सके. STF की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस गैंग ने लोगों की मेहनत की कमाई को ठगने का काम किया. ये लोग एक संगठित नेटवर्क की तरह काम कर रहे थे. STF के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ जारी है.

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