यूपी: सरकार के खिलाफ एकजुट हुए हजारों शिक्षा मित्र, बोले- 10 हजार रुपये में नहीं होता गुजारा

लखनऊ के रमाबाई स्थल पर प्रदेश भर से हजारों की तादाद में शिक्षा मित्रों ने प्रदर्शन किया और सरकार से अपनी मांग रखी. हालांकि केंद्र सरकार के मंत्री कौशल किशोर इस सम्मेलन में मौजूद थे और कहा की शिक्षा मित्रों के साथ सरकार है और सम्मलेन के बाद उनकी बात रखी जायेगी.

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यूपी के शिक्षामित्रों ने सरकार से लगाई गुहार (File Photo) यूपी के शिक्षामित्रों ने सरकार से लगाई गुहार (File Photo)

आशीष श्रीवास्तव

  • लखनऊ,
  • 21 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:20 AM IST

उत्तर प्रदेश में शिक्षा मित्रों ने लखनऊ के रमाबाई रैली स्थल पर सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदेश के प्रत्येक जिले से शिक्षा मित्र अपनी मांगो को लेकर लखनऊ पहुंचे और सरकार से मांग की कि उनका समायोजन करे और सहायक शिक्षकों की भांति उनका वेतन किया जाए. क्योंकि वेतन के नाम पर उन्हें मात्र 10 हजार रुपए प्रति महीने ही दिया जाता है, ऐसे में परिवार का पलनपोषण कर पाना मुश्किल होता है. इतने में गुजारा नहीं हो पाता है.

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जानकारी के मुताबिक लखनऊ के रमाबाई स्थल पर प्रदेश भर से हजारों की तादाद में शिक्षा मित्रों ने प्रदर्शन किया और सरकार से अपनी मांग रखी. हालांकि केंद्र सरकार के मंत्री कौशल किशोर इस सम्मेलन में मौजूद थे और कहा की शिक्षा मित्रों के साथ सरकार है और सम्मलेन के बाद उनकी बात रखी जायेगी. 

बता दें कि उत्तर प्रदेश में पिछले 19 सालों से एक लाख 13 हजार से अधिक प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे 1.50 लाख से अधिक शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रहे हैं. शिक्षामित्र योजना के तहत जनवरी-फरवरी 2001 से शिक्षामित्रों की नियुक्ति ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में 2250 रुपये मानदेय पर की गई. न्यूनतम अर्हता इंटरमीडिएट रखी गई थी. हालांकि यह योजना पूर्ण रूप से एक जुलाई 2001 से शुरू हुई. स्कूलों में पढ़ाई शुरू करने से पहले शिक्षामित्रों को एक महीने का प्रशिक्षण दिया गया, जिसके लिए उन्हें उस एक महीने के लिए 400 रुपये मानदेय दिया गया. 

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पिछली सरकार ने बगैर टीईटी शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय लिया. समायोजन के पहले उनका मानदेय 3500 था, जबकि शिक्षक बनने के बाद तकरीबन 28 हजार रुपये वेतन मिलने लगा और हालांकि इस मामले में सहायक शिक्षक कोर्ट चले गए और इनकी नियुक्ति को जायज नहीं ठहराया. 27 जुलाई 2017 को जब सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त हुआ तो उस वक्त उन्हें लगभग 40 हजार रुपये वेतन मिल रहा था. समायोजन निरस्त होने के बाद सरकार ने अगस्त 2017 में उनका मानदेय 3500 से बढ़ाकर 10000 रुपये कर दिया और उसी मानदेय पर वे पिछले तीन सालों से प्राथमिक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं.

सरकार ने कहा था कि भर्तियों में शिक्षामित्रों को प्रतिवर्ष ढाई नंबर के हिसाब से अधिकतम 25 नंबर तक का भरांक मिलेगा. 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद योगी सरकार से उम्मीद लगाए बैठे शिक्षामित्रों ने आंदोलन करने का मन बनाया है और समायोजन बढ़ाने और सहायक शिक्षक के बराबर वेतनमान की मांग कर रहे हैं. लेकिन 6 साल बीत जाने पर भी यह मांग पूरी नहीं हुई है. 

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