दिल्ली धमाके और फरीदाबाद में बरामद भारी विस्फोटक सामग्री के बाद देशभर में एटीएस और एनआईए से जुड़ी जांच चर्चा में है. इसी माहौल का फायदा उठाकर साइबर अपराधियों ने लोगों को ठगने का नया तरीका अपनाया है. ठग व्हाट्सऐप कॉल पर खुद को जांच एजेंसियों का अधिकारी बताते हैं और लोगों को डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर पैसे ट्रांसफर कराने की कोशिश करते हैं.
कानपुर की सुनीता गौड़ को दिल्ली धमाके के अगले दिन कॉल आया कि कॉलर एनआईए से बात कर रहा है. उसने कहा कि एटीएस ने उनका नाम आतंकवादी गतिविधियों में बताया है. डर का माहौल बनाकर महिला से 6 लाख रुपये आरटीजीएस करवा लिए. यह पूरा मामला डिजिटल अरेस्ट की श्रेणी में आता है.
डिजिटल अरेस्ट कर महिला से ठगे 6 लाख रुपये
रविवार को गोविंदनगर के स्वीट हाउस कारोबारी और पार्षद पंकज चड्ढा भी इसी जाल में फंसने से बचे. उनके भाई नीरज चड्ढा ने बताया कि दुकान पर बैठे थे तभी एक व्हाट्सऐप कॉल आई. कॉलर ने खुद को एटीएस लखनऊ का अधिकारी बताया और कहा कि पंकज का नाम दिल्ली धमाके की जांच में सामने आया है. जब उन्होंने कॉल को मजाक समझकर टालने की कोशिश की, तो ठग ने धमकाना शुरू कर दिया और पूछताछ के नाम पर दबाव बनाया.
इसी तरह विजयनगर के सेवानिवृत्त बैंककर्मी सी.के. तिवारी को भी एक कॉल आई. कॉलर ने दावा किया कि वह दिल्ली धमाके की जांच कर रहा है और उनसे पूछताछ करनी है. तिवारी ने कॉल को संदिग्ध बताया तो ठग ने वीडियो कॉल पर आने का दबाव बनाया. घबराकर तिवारी ने तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन पर शिकायत की. जांच में पता चला कि यह कॉल पश्चिम बंगाल से की गई थी. तिवारी को कई मैसेज और करीब 10 वीडियो कॉल भेजे गए थे.
पुलिस ने लोगों को किया जागरूक
पुलिस ने अपील की है कि ऐसी कॉल आने पर कोई घबराए नहीं. किसी भी एजेंसी को डिजिटल अरेस्ट करने का अधिकार नहीं है. अनजान नंबर पर पैसे ट्रांसफर न करें और तुरंत 1930 पर शिकायत करें. पुलिस का कहना है कि दो घंटे के भीतर शिकायत करने पर पैसे वापस मिलने की संभावना काफी अधिक रहती है, जिसे गोल्डन आवर कहा जाता है.
सिमर चावला