सीएम ने विदेशी नागरिकता वाले अवैध रूप से भारत में आए लोगों को सत्यापित करने के अभिलंब कदम उठाने के निर्देश दिए हैं. योगी ने कहा है कि ऐसे लोग जो विदेशी हैं और अवैध रूप से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में घुस आए हैं उन्हें पहले केंद्र में रखें और फिर सत्यापन करके वापस भेजे जाएं.
पिछले कुछ सालों से लगातार योगी सरकार घुसपैठियों पर कार्रवाई की कोशिश कर रही है. 2019 के सर्वे में यूपी में 10 लाख से ज्यादा बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों की संख्या का अनुमान भी था. लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. माना जाता है कथित तौर पर पश्चिम बंगाल, असम के लोग ज्यादातर सफाई से जुड़े कामों में लखनऊ और उत्तर प्रदेश में मौजूद हैं. जिनमें रोहिंग्या और बांग्लादेशी भी हो सकते हैं. इसलिए नगर निगम लगातार ऐसे लोगों का सत्यापन कर रहा है.
यह भी पढ़ें: योगी सरकार की सख्ती, कौशाम्बी में मकान पर कब्जा कराने के आरोप में पूर्व विधायक और तीन पूर्व चेयरमैन समेत 7 पर केस
नगर निगम की शक्ति के बाद अब सफाई कर्मी वापस असम जाने लगे हैं. ज्यादातर लोगों ने अपने दस्तावेज लखनऊ में और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भी बनवा रखे हैं. अब योगी सरकार के डिटेंशन सेंटर बनाए जाने के निर्देश के बाद ऐसे घुसपैठियों में अफरा तफरी मच सकती है.
सीएम योगी ने निर्देश देते हुए कहा की संदिग्ध लोगों की पहचान और सत्यापन की प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा जाए. मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को या निर्देश दिया है कि अपने क्षेत्र में रहने वाले घुसपैठियों को पहचाने और नियमानुसार उन पर कार्रवाई करें.
दिल्ली से सटे एनसीआर खासकर गाजियाबाद नोएडा इसके अलावा के लखनऊ और सीमावर्ती जिलों जिसमें महाराजगंज से लेकर पीलीभीत तक घुसपैठियों की आवाजाही और बसने के कई मामले सामने आए हैं. अकेली लखनऊ शहर में असम और पश्चिम बंगाल से बताने वाले हजारों संदिग्ध हैं. ऐसे में अब इनके सत्यापन की शुरुआत हो गई है.
खुद को असम का बताने वाले ज्यादातर लोगों ने अपने आधार कार्ड राशन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी बनवा सकते हैं. जिससे सरकार के लिए स्थानीय और बाहरी में भेद करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में डिटेंशन सेंटर में संदिग्ध घुसपैठिये रखे जाएंगे और सत्यापन के बाद उन्हें वापस भेजा जाएगा.
अभिषेक मिश्रा